2018-07-06 14:00:00

संत पापा ने अप्रवासियों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित किया


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 6 जुलाई 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 6 जुलाई को संत पेत्रुस महागिरजाघर में, अप्रावासियों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित किया तथा प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा हमें शक्ति प्रदान करे ताकि हम भय और चिंताओं से मुक्त होकर जरूरतमंद भाई-बहनों की सेवा कर सकें।

प्रवचन में उन्होंने नबी आमोस के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ नबी आमोस के माध्यम से प्रभु उन लोगों को चेतावनी देते हैं जो कमजोर लोगों का शोषण करते और उन्हें अत्याचार का शिकार बनाते हैं। वे कहते हैं कि अत्याचार करने वालों का आनन्द शोक में बदल जायेगा और उनके लिए अन्तिम दिन बहुत कड़ा होगा। (आमोस. 8:4.11)

संत पापा ने कहा, "आज नबी आमोस की यह चेतावनी ध्यान देने योग्य है। हमारे समय में कितने गरीब लोग रौंदे जा रहे हैं। कितने गरीब लोग विनाश के शिकार हो रहे हैं। वे सभी विनाश की संस्कृति के शिकार हो रहे हैं जिसकी निंदा बार-बार की जा चुकी है। उनमें अप्रवासी एवं शरणार्थी भी हैं जो उन राष्ट्रों के द्वार खटखटाते हैं जो अधिक समृद्ध हैं।"  

संत पापा ने पाँच साल पहले लम्पेदूसा की यात्रा का स्मरण किया जहाँ उन्होंने उन लोगों की याद की थी जो समुद्र में खो गये थे तथा उन्होंने मानवीय जिम्मेदारी की अपील की थी। प्रभु कहते हैं, "तुम्हारा भाई कहाँ है? उसका रक्त मुझे पुकार रहा है।"

संत पापा ने कहा कि यह सवाल दूसरों के लिए नहीं है पर आज यह हम प्रत्येक के लिए है। उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि उनकी अपील का पर्याप्त जवाब नहीं मिला है और अब भी हजारों लोगों की मौत हो रहा है।   

संत पापा ने आज के सुसमाचार पाठ की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि येसु निमंत्रण देते हैं, ''थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सभी मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।" (मती. 11:28)

उन्होंने कहा कि प्रभु इस संसार के सभी शोषित लोगों के लिए ताजगी एवं मुक्ति की प्रतिज्ञा करते हैं जिसे पूरा किये जाने की आवश्यकता है। उसे पूरा करने के लिए हमारी आँखों द्वारा भाई बहनों की जरूरतों को देखने की आवश्यकता है। उन्हें हमारे हाथों द्वारा मदद किये जाने की आवश्यकता है। उन्हें हमारी आवाज की जरूरत है जिसके द्वारा लोगों के अन्याय के विरूद्ध आवाज उठायी जा सके। प्रभु को हमारे हृदय की आवश्यकता है जिसके द्वारा वे पिछड़े, बहिष्कृत, परित्यक्त एवं हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों के प्रति अपना करुणावान प्रेम प्रकट कर सकें।

संत पापा ने कमजोर लोगों पर भार डालने और अपने हाथों से कुछ नहीं करने वालों पर येसु की फटकार पर, गौर करते हुए कहा कि प्रभु दया चाहते हैं न कि बलिदान, अतः वे फरीसियों को धिक्कारते हैं जो अपना हाथ गंदा करना नहीं चाहते जैसा कि भले समारितानी के दृष्तांत में दर्शाया गया है। संत पापा ने कहा कि इसका प्रलोभन आज भी है जो हृदय को बंद कर देता है और सेतु के बदले दीवार खड़ा करता है।  

संत पापा ने आधुनिक युग की प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सबसे बड़ी चुनौती है पलायन जिसका विवेकपूर्ण जवाब एकात्मकता एवं करुणा के द्वारा दिया जा सकता है। लोगों की सेवा में एक सही नीति को अपनाये जाने की आवश्यकता है, नीति जो समाधान प्रदान करती और जो सुरक्षा एवं मानव अधिकार एवं प्रतिष्ठा के प्रति सम्मान सुनिश्चित करती है। नीति जो अपने देश की भलाई पर ध्यान देती है।  

संत पापा ने लम्पेदूसा में यात्रा की पाँचवीं सालगिराह पर भूमध्यसागर में राहत कार्यों में लगे सभी लोगों को उनके कार्यों के लिए धन्यवाद दिया तथा उनके कार्यों को भले समारितानी के कार्यों के समान बतलाया जिसने घायल एवं बेसहारे व्यक्ति के जीवन की रक्षा की। उन्होंने उनके कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें प्रोत्साहन दिया तथा उनके प्रति अपना सामीप्य प्रदान किया। संत पापा ने उनसे कहा कि वे विश्व में आशा की ज्योति बने रहें।

उन्होंने पवित्र आत्मा से प्रार्थना की कि वह हमारे मन और हृदय को आलोकित करे ताकि हम भय एवं चिंताओं से मुक्त होकर पिता के करुणावान प्रेम के विनम्र माध्यम बन सकें और हमारे भाई-बहनों के लिए अपना जीवन अर्पित कर सकें जैसा कि येसु ने हम सभी के लिए किया।








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