2018-07-04 15:20:00

भारत में नकली खबरें हत्याओं के लिए जिम्मेदार


भोपाल, बुधवार 4 जुलाई 2018 (उकान) : “सोशल मीडिया के माध्यम से नकली खबरों के फैलाव को रोकने के लिए भारत को कड़े कानूनों की जरूरत है। 1जुलाई को महाराष्ट्र के पश्चिमी राज्य में बाल-अपहरणकर्ताओं के संदेह पर पांच लोगों को मार डाला गया।” यह बात काथलिक कलीसिया के एक अधिकारी ने कही।

धूल जिले के एक गांव में उन्हें मार डाला गया था, क्योंकि स्मार्टफोन पर अफवाहें फैली थीं कि बाल तस्करी के गिरोह इस क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे थे।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि हाल के महीनों में नकली खबरों के चलते इसी तरह की घटनाओं में 25 लोगों की मौत हो गई है, जो कुछ इलाकों में बाल तस्करी, लुटेरों और यौन श्रमिकों के सक्रिय होने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।

सामाजिक संचार के लिए भारतीय धर्माध्यक्षीय कार्यालय के अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल के बारूइपुर के धर्माध्यक्ष साल्वाडोर लोबो ने कहा,"यह सभी सीमाओं और औचित्य को पार कर रहा है।"  वे खतरे की जांच करने के लिए एक कड़ा कानून चाहते हैं।

"नकली खबरों की जांच के लिए कुछ कड़े नियमों को स्थापित करने की जरूरत है जो इस तरह की क्रूरता और मृत्यु को अंजाम देती है।"

नवीनतम घटना में मारे गए पांच लोग खानाबदोश जनजाति के सदस्य थे। सभी पीड़ित सैकरी इलाके के रेनपाडा गांव से थे वे साप्ताहिक बाजार में आए थे तभी उनपर हमला किया गया।

उनमें से एक ने एक युवा लड़की से बात करने की कोशिश की और इसपर ग्रामीणों ने संदेह किया कि वे बाल तस्करी के लोग थे।

पुलिस ने दंगों के लिए 35 लोगों को गिरफतार किया है।

तमिलनाडु, असम, त्रिपुरा और तेलंगना राज्यों में नकली खबरों से जुड़ी हत्याओं की सूचना मिली है।

धर्माध्यक्ष लोबो ने उकान्यूज को बताया, "यह एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है।" "जब तक सरकार इस खतरे को नियंत्रण करने के लिए आपातकालीन कदम नहीं उठाती, तब तक यह अराजकता पैदा करेगी और कई निर्दोष लोगों की जान चली जाएगी।

 जून माह में छह लोगों की हत्या हुई। 28 जून को, बच्चों को अपहरण करने की कोशिश के संदेह पर के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के विभिन्न जिलों में तीन लोगों को मार डाला गया था। 18 जून को उत्तर प्रदेश में गाय सतर्कता की एक भीड़ ने एक मुस्लिम की हत्या कर दी थी। पूर्वी असम में, 8 जून को दो लोगों को झूठी अफवाहों के कारण मार डाला गया था कि वे बच्चों के अपहरणकर्ता थे।

भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के पूर्व प्रवक्ता फादर बाबू जोसेफ ने कहा, "यह सोशल मीडिया का सरासर दुरुपयोग है और इसे राज्य को कड़ाई के साथ जांचना चाहिए।"








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