2018-07-02 14:30:00

येसु के हृदय में कोई भी अनाहूत प्रवेष्टा नहीं है, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 जुलाई 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में रविवार 1 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस रविवार का सुसमाचार पाठ (मार. 5,21-43) येसु द्वारा किये गये दो चमत्कारों को प्रस्तुत करता है और उन्हें जीवन की ओर विजयी यात्रा के रूप में वर्णित करता है।

प्रथम चमत्कार का वर्णन करते हुए सुसमाचार लेखक संत मारकुस सभागृह के अधिकारी जैरूस के बारे बतलाता है कि उसने येसु के पास आया तथा येसु से आग्रह किया कि वे उसके घर आयें क्योंकि उसकी बारह साल की बेटी मरने पर थी। येसु उसके आग्रह को स्वीकार कर, उसके साथ हो लिये किन्तु रास्ते पर उन्हें सूचना मिली कि लड़की मर चुकी है। संत पापा ने कहा कि हम यहाँ लड़की के पिताजी की स्थिति की कल्पना कर सकते हैं किन्तु येसु उससे कहते हैं, ''डरिए नहीं। बस, विश्वास कीजिए।'' (पद 36) येसु ने पेत्रुस, याकूब और याकूब के भाई योहन के सिवा किसी को भी अपने साथ आने नहीं दिया। जब वे सभागृह के अधिकारी के यहाँ पहूँचे, तो ईसा ने देखा कि कोलाहल मचा हुआ है और लोग विलाप कर रहे हैं। उन्होंने भीतर जा कर लोगों से कहा, ''यह कोलाहल, यह विलाप क्यों? लड़की मरी नहीं, सो रही है।'' इस पर वे उनकी हँसी उड़ाते रहे। ईसा ने सब को बाहर कर दिया और वह लड़की के माता-पिता और अपने साथियों के साथ उस जगह आये, जहाँ लड़की पड़ी हुई थी। लड़की का हाथ पकड़ कर उससे कहा, 'तालिथा कुम''। इसका अर्थ है- ओ लड़की! मैं तुम से कहता हूँ, उठो। लड़की उसी क्षण उठ खड़ी हुई और चलने-फिरने लगी, क्योंकि वह बारह बरस की थी। लोग बड़े अचम्भे में पड़ गये।" (मार.5,38-42)

संत पापा ने कहा कि चमत्कार की इस कहानी के अंदर संत मारकुस ने दूसरी कहानी को डाला है, रक्त स्राव से पीड़ित महिला की चंगाई की कहानी, जिसे येसु का स्पर्श करते ही चंगाई मिल गयी थी। (पद 27).

संत पापा ने कहा कि यहाँ प्रभावित करने वाली बात ये है कि उस महिला का विश्वास आकर्षित करता है। वह ईश्वरीय मुक्तिदायी शक्ति को चुरा लेती है जिसके कारण येसु महसूस करते हैं कि उनसे शक्ति निकली है वे जानने का प्रयास करते हैं कि किसने ऐसा किया। इस पर एक महिला शर्माती हुई उनके सामने आती है तथा स्वीकार करती है कि उसी ने कपड़े छूवे थे। तब येसु कहते हैं, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है। (पद. 34)

इन दो अन्तःपाशी कहानियों का एक ही केंद्र है विश्वास तथा येसु को जीवन के स्रोत के रुप में प्रस्तुत करना। एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो उन लोगों को जिन्हें उन पर पूर्ण विश्वास है, जीवन प्रदान करते हैं। वे दो पात्र, लड़की के पिता एवं बीमार महिला, येसु के शिष्य नहीं थे किन्तु उनके विश्वासपूर्ण मांगों को पूरा किया गया। उन दोनों को येसु पर विश्वास था इस बात से हम समझते हैं कि हरेक व्यक्ति के लिए प्रभु के दिल में जगह है अतः किसी को यह महसूस नहीं करना चाहिए कि वह बाहर से घुसने का प्रयास कर रहा है, अथवा अपमानित व्यक्ति है या उसे कोई अधिकार नहीं है। येसु के हृदय तक पहुँचने के लिए दो चीजों की आवश्यकता होती है, चंगा किये जाने की आवश्यकता महसूस करना तथा अपने आप को उन्हें समर्पित कर देना।

संत पापा ने प्रश्न किया कि क्या हम चंगा किये जाने की आवश्यकता महसूस करते हैं, किसी पाप अथवा किसी समस्या से? क्या हम उस आवाज को सुनते हैं जो कहता है, क्या आप येसु में विश्वास करते हो? चंगा किये जाने के लिए ये दो चीजें आवश्यक हैं, उनके हृदय तक पहुँचना एवं उन पर भरोसा रखते हुए चंगा किये जाने की आवश्यकता महसूस करना। येसु ऐसे लोगों की खोज हेतु भीड़ में जाते तथा उन्हें गुमनाम होने से बचाते हैं। जीने से नहीं डरने एवं हिम्मत रखने हेतु मुक्त करते हैं। इसके लिए वे अपनी नजर एवं शब्द का प्रयोग करते हैं जो उन्हें बहुत अधिक दुःख एवं पीड़ा के रास्ते पर ले चलता है। हम भी उन शब्दों को सीखने एवं उनका उच्चरण करने के लिए बुलाये जाते हैं जो मुक्त करता तथा दृष्टि जो पुनः जीवन देता है जो जीने की चाह रखते हैं।  

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार के इस पृष्ठ में विश्वास तथा नया जीवन का विषय जिसे सभी को प्रदान करने येसु आये। उस घर में प्रवेश करते हुए जहाँ लड़की मरी पड़ी थी उन्होंने उन सबको बाहर कर दिया जो उत्तेजित थे और विलाप कर रहे थे और उन्होंने कहा कि लड़की मरी नहीं है सो रही है। संत पापा ने कहा, "येसु प्रभु हैं और उनके लिए शारीरिक मृत्यु निद्रा के समान है अतः इसमें निराश होने की कोई बात नहीं है" किन्तु एक दूसरी तरह की मृत्यु है जिससे डरना चाहिए वह है बुराई द्वारा हृदय का कठोर हो जाना। उन्होंने कहा, "जी हाँ हमें उससे डरना चाहिए, जब हम महसूस करते हैं कि हमारा हृदय कठोर हो गया है, एक ममी (शव) बन गया है तो हमें इससे डरना चाहिए क्योंकि यह हृदय की मृत्यु है। किन्तु पाप एवं ममी बना हृदय भी येसु के लिए अंतिम शब्द नहीं है क्योंकि उन्होंने हमारे लिए पिता के असीम दया को लाया है। जिसके कारण हम यदि गिर भी जाएँ तौभी उनकी कोमल एवं ऊँची आवाज, हम तक पहुँच सकती है। मैं कहता हूँ उठो, यह सुनना अत्यन्त सुखद है जिसके द्वारा येसु हम प्रत्येक को सम्बोधित करते हैं, मैं कहता हूँ खड़े हो जाओ, आगे बढ़ो, हिम्मत रखो, उठो।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि धन्य कुँवारी मरियम विश्वास एवं प्रेम की यात्रा में हमारा साथ दे तथा हम उनकी ममतामय मध्यस्थता द्वारा हमारे उन भाई बहनों के लिए प्रार्थना करें जो शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से पीड़ित हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विभिन्न लोगों के लिए प्रार्थना का आह्वान किया।

उन्होंने बारी में अपनी प्रेरितिक यात्रा का स्मरण दिलाते हुए कहा, "अगली बार मैं कई कलीसियाओं के धर्मगुरूओं एवं मध्य पूर्व के कई ख्रीस्तीय समुदायों के साथ बारी जा रहा हूँ। हम वहाँ उस क्षेत्र की नाटकीय स्थिति पर एक दिवसीय प्रार्थना एवं चिंतन में भाग लेंगे, जहाँ अभी भी हमारे कई भाई बहनें विश्वास के कारण दुःख झेल रहे हैं। हम वहाँ एक आवाज में कहेंगे, ''तुझ में शान्ति बनी रहे''। (स्तोत्र, 122:8) संत पापा ने इस यात्रा की सफलता हेतु सभी से प्रार्थना का आग्रह किया।

उसके बाद उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्याटकों का अभिवादन किया। उन्होंने खास रूप से पुर्तगाल के विश्वासियों, प्रेरितों की रानी परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय के पुरोहितों, पोलैंड की पश्चताप एवं ख्रीस्तीय उदारता की फ्राँसिसकन धर्म बहनों और ईराक के विश्वासियों का अभिवादन किया।   

संत पापा ने पल्ली दलों एवं संगठनों, प्रेरितों की रानी के मिशनरी धर्म बहनों गालियो के युवाओं, पादुवा धर्मप्रांत के युवाओं तथा येसु के परमपावन रक्त के आध्यात्मिक परिवार के सदस्यों का अभिवादन किया जिनके सम्मान में जुलाई महिना को समर्पित किया गया है।  

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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