2018-06-23 16:14:00

मध्य पूर्व देश पीड़ा का चौराहा,संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शनिवार 23 जून 2018 (वीआर,रेई) : पूर्वी ख्रीस्तीय कलीसियाओं की सहायता करने वाले समूह से बात करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीयों को मध्य पूर्व से हटाये जाने की जोखिम के बारे में चेतावनी दी

संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को ओरिएंटल कलीसियाओं की सहायता एजेंसियों (रोआको) के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की।  संत पापा ने कहा, "मध्य पूर्व आज मुश्किल परिस्थितियों और कष्टों का एक चौराहा है।"

अपनी अनौपचारिक टिप्पणियों में, संत पापा फ्राँसिस ने चेतावनी दी कि मध्य पूर्व से "ख्रीस्तीयों को खत्म करने" का खतरा है, हालांकि वे यह कहने के लिए सतर्क थे। उनके कहने का मतलब यह नहीं था कि यह किसी का इरादा था।

हालांकि मध्य पूर्व पीड़ित है, दुनिया की महान शक्तियां उस क्षेत्र के लोगों की संस्कृति, विश्वास या जीवन के बारे चिंतित नहीं हैं; इसके बजाय, वे केवल "जमीन लेने और अधिक प्रभुत्व रखने के लिए चिंतित हैं।" इस बीच, ख्रीस्तीयों की संख्या लगातार घट रही है।

संत पापा ने मध्य पूर्व में ख्रीस्तीयों की सहायता करने वाले ओरिएंटल कलीसियाओं की सहायता एजेंसियों के कामों की सराहना की और कहा कि पूर्वी ख्रस्तीय धर्म की महान परंपराओं को संरक्षित करना और उसे बनाये रखने के लिए संधर्ष करना बहुत महत्वपूर्ण है, यह उस रस की तरह हैं "जो हमारी आत्मा को जीवन देने के लिए स्रोत से आता है।"

संत पापा ने मध्य पूर्व में शक्ति की इच्छा, "हमारे अपने पाप" युद्ध के पाप पर शोक किया। उन्होंने वहाँ विशेष रूप से स्कूलों और अस्पतालों की कमी को इंगित करते हुए कहा कि वहां लोग और बच्चे पीड़ित हैं।"

उन्होंने मध्य पूर्व में "हमारे अपने पाप" "जीवन और विश्वास के बीच असंगतता"को भी इंगित किया, । हालांकि उन्होंने कहा कि केवल कुछ लोग इन पापों के दोषी हैं, फिर भी उन्होंने सभी ख्रीस्तीयों को विशेष रूप से पुरोहितों और धर्मसंघियों से मांग की कि  वे जिस विश्वास का प्रचार करते हैं उसे अपने जीवन में अभ्यास करें।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा इन सभी समस्याओं के बावजूद, ईश्वर हमें कभी नहीं छोड़ेंगे" और इसलिए, उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि मध्य पूर्व एक आशा है: और इसी आशा में हमें खेती करनी चाहिए।"








All the contents on this site are copyrighted ©.