2018-06-18 17:20:00

पाकिस्तान में युवा ईंट निर्माताओं के जीवन का निर्माण


लाहौर, सोमवार 18 जून 2018 (उकान) : दास जैसी स्थितियों में बंधुआ श्रम निषेध होने के बावजूद देश को पीड़ित करता रहा है। नेहा रहमत और उसके भाई बहन स्कूल जाने से पहले हर दिन 3,000 से अधिक ईंटें बनाते हैं।

13 वर्षीय पाकिस्तानी ने उकान को बताया, "मैं उनके सामने मिट्टी का ढेर लगाता हूँ और वे इसे आयताकार सांचे में डालते हैं।" "गर्मी में मिट्टी से भरे ठेले को धक्का देना मुश्किल हो जाता है।" यदि उनमें से एक बीमार हो जाती है तो ईंटों की संख्या कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वेतन कम होता है।

2015 में उनके पिता कैंसर से मरने के बाद सात भाई बहनें बना रहे हैं। परिवार ने भट्ठी मालिक से उनके इलाज के लिए 300,000 रुपये (यूएस $ 2,600) उधार लिया था।

सौभाग्य से उनके लिए, एक कल्याण संगठन ने पिछले साल अपने ऋण का भुगतान किया था।

नेहा ने कहा, "हम अपनी बुजुर्ग मां को काम नहीं करने देते हैं," थकावट से स्कूल में पढ़ाई में ध्यान देना मुश्किल हो जाता है। वे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर से 49 किलोमीटर दूर कासुर जिले में एक ईंट भट्ठी पर मिट्टी के घरों में दूसरों के साथ रहते हैं।

वहां नेहा को घर के काम को करने के लिए बड़े सबेरे उठना पड़ता है। काम खतम करने के बाद नेशनल ब्रिक्स 2, जहां वे 1000 ईंटों को बनाने के लिए केवल 920 रुपये (यूएस $ 7.96) कमाते हैं।

नेहा ने कहा कि पहले टेलीविजन देखना, विशेष रूप से सुसमाचार चैनल या संगीत, पहले शाम की मुख्य गतिविधि थी। पर  पिछले जुलाई में अपने कारखाने के निकट में  काम करने वाले बच्चों के लिए ‘क्रिस्चन ट्रू स्पीरिट’ नामक एक संस्था ने एक स्कूल खोला है। वे सभी उस स्कूल में पढ़ने जाते हैं अतः संध्या को वे "किताबें पढ़ते और गृहकार्य का संशोधन करते हैं।

2015 में स्थापित, ‘क्रिस्चन ट्रू स्पीरिट’ संगठन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती है, हिंसा पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करती है, जबरन धार्मिक रूपांतरणों के अधीन लोगों को आश्रय प्रदान करती है और कैदियों का समर्थन करती है।

सीटीएस के निदेशक कैथरीन सपना ने कहा, "ईंट निर्माता समुदाय समाज से उपेक्षित समुदाय है।"

"अधिकांश औद्योगिक भट्टियां स्कूलों से दूर स्थित हैं।"

भट्ठी मालिकों के स्कूलों शुरु करने के लिए अनुमोदन प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती रही है।

उनमें से अधिकतर मजदूरों की आवासीय उपनिवेशों के अस्तित्व से इनकार करते हैं जो आमतौर पर ऋण लेने के बाद फंस जाते हैं। उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी बंधन में बनी रही क्योंकि समय के साथ उनका कर्ज भी बढ़ता गया।

जेपीसी-एमएसएलसीपी के मुताबिक पंजाब प्रांत में वर्तमान में 2.2 मिलियन ईंट भट्ठा मजदूर हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत ख्रीस्तीय हैं।








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