2018-06-16 14:42:00

महिलाओं का शोषण ईश्वर के विरूद्ध पाप है


वाटिकन सिटी, शनिवार, 16 जून 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में शुक्रवार 15 जून को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने आधुनिक युग में महिलाओं पर हो रहे शोषण पर चिंतन किया जिनके साथ वस्तु की तरह व्यवहार किया जाता है। उन्होंने गौर किया कि महिलाओं के बिना पुरूष ईश्वर का प्रतिरूप नहीं हो सकता।

प्रवचन में संत पापा ने संत मती रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु कहते हैं, जो किसी स्त्री को बुरी नजर से देखता है वह उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।

संत पापा ने आज के समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर ध्यान देते हुए दुःख प्रकट किया और कहा, कई महिलाओं का प्रयोग किया जाता और उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। कई युवा महिलाओं को जीविका उपार्जन के लिए अपनी इज्जत बेचनी पड़ती है।

येसु ने इतिहास बदला

संत पापा ने विश्वासियों को स्मरण दिलाया कि महिलाएँ ईश्वर के स्वरूप में पुरूष की कमी पूरी करती हैं। उन्होंने बतलाया कि महलाओं के लिए येसु के शब्द सच्चे, नवीनीकरण लाने वाले एवं इतिहास को बदलने वाले थे। यह इसलिए क्योंकि इससे पहले महिलाओं को द्वितीय वर्ग के नागरिक के रूप में देखा जाता था। वे गुलाम के समान जीते थे एवं पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं थे।

येसु के सिद्धांत ने महिलाओं के इतिहास को बदल दिया। येसु के पहले महिलाओं को एक वस्तु के रूप में देखा जाता था किन्तु येसु के बाद वे कुछ और थीं। येसु ने महिलाओं को सम्मान दिया तथा उन्हें पुरूषों के बराबर दर्जा दिया क्योंकि उन्होंने उत्पति ग्रंथ के अनुसार कहा कि वे दोनों ईश्वर के अनुरूप गढ़े गये है। अतः जो व्यक्ति, माता, बहन, पत्नी, सहकर्मी अथवा मित्र के रूप में किसी महिला के करीब नहीं है वह अपने आप में ईश्वर का प्रतिरूप नहीं हो सकता।

महिलाएँ आज भी समाज में लालसा की वस्तुएं हैं

सुसमाचार पाठ में निहित महिलाओं को बुरी नजर से देखने पर चिंतन करते हुए संत पापा ने खेद प्रकट किया कि महिलाएं मीडिया में अथवा उनकी तस्वीरें समानों को बेचने के लिए विज्ञापन में प्रयोग किये जाते हैं। उन्हें अपमानित एवं कम कपड़ों में प्रस्तुत किया जाता है। उन्हें यूज एवं थ्रो (फेकने) की संस्कृति का शिकार होना पड़ता है और उन्हें व्यक्ति के रूप में भी नहीं देखा जाता है।  

संत पापा ने कहा कि महिलाओं का तिरस्कार सृष्टिकर्ता ईश्वर के विरूद्ध पाप है क्योंकि उनके बिना एक पुरूष ईश्वर का प्रतिरूप नहीं हो सकता। महिलाओं के शोषण के खिलाफ क्रोध, नाराजगी और गुस्सा के बावजूद, नौकरी पाने के लिए युवा महिलाओं को खुद को डिस्पोजेबल वस्तुओं के रूप में कितना बार बेचना पड़ता है? जी हाँ यहाँ रोम में भी।

उस शोषण को देखने के लिए आसपास में नजर दौड़ायें

संत पापा ने कहा कि जब पुरूष सड़कों पर महिलाओं से मुलाकात करते हैं तो वे उनका अभिवादन नहीं करते बल्कि उन्हें वैश्य समझकर उनकी कीमत पूछते हैं। रोम में भी ये सब हो रहा है। न केवल रोम में किन्तु कई शहरों में महिलाओं के अज्ञात चेहरे हैं। अज्ञात क्योंकि उनके चेहरे को ढंक दिया गया है। वे मुस्कुराना भी नहीं जानतीं और माता बनने का सौभाग्य भी उन्हें नहीं मिला है।  

संत पापा ने कहा कि उन स्थलों पर गये बिना हम अपने दैनिक जीवन में देखें। उनके प्रति हमारी सोच कितनी बुरी है, उनके प्रति तिरस्कार एवं नीच की भावना है। इस तरह सोच करके हम ईश्वर के प्रतिरूप के प्रति घृणा करते हैं जिन्होंने स्त्री एवं पुरूष को एक साथ अपने प्रतिरूप में बनाया है।  

संत पापा ने अपने प्रवचन के अंत में इस बात पर जोर दिया कि येसु ने अपने मिशन के दौरान उन सभी महिलाओं को ऊपर उठाया जो घृणित समझे जाते थे, हाशिये पर जीवन यापन करते थे अथवा दरकिनार कर दिये गये थे। उन्होंने बड़े स्नेह से उनकी प्रतिष्ठा को पुनः वापस किया। येसु की माता एवं कई महिला मित्रों ने उनका अनुसरण किया एवं उन्हें सुसमाचार प्रचार में सहयोग दिया।








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