2018-06-12 17:05:00

अत्याचार की शिकार महिलाओं की आवाज


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 12 जून 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ परमधर्मपीठीय फाऊँडेशन "एड टू दा चर्च इन नीड" ने महिलाओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ दुनिया का ध्यान खींचने हेतु एक अपील जारी की है।

इटली तथा विश्व के अधिकतर हिस्सों में पढ़ी जाने वाली पत्रिका "वानिटी फेर" पर उन्होंने कहा है कि असिया, मेरिल, शरोन, उमा एवं कई महिलाओं ने विश्व का ध्यान महिलाओं पर हो रही हिंसा के कलंक की ओर खींचा है।

परमधर्मपीठीय फाऊँडेशन "एड टू दा चर्च इन नीड" द्वारा लिखा खुला पत्र, एक पृष्ठ का है। जिसमें #MeToo पहल के प्रति आभार प्रकट किया गया है जिसके माध्यम से बलात्कार, हिंसा एवं यौन शोषण से पीड़ित महिलाओं की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि वे अत्याचार से पीड़ित ख्रीस्तीयों की मदद विश्व के विभिन्न हिस्सों में 70 सालों से करते आ रहे हैं।

रेबेक्का, दलाल एवं सि. मीना ये महिलाओं के तीन चेहरे हैं जिन्हें अपनी धार्मिक आस्था के कारण अत्याचार का शिकार होना पड़ा। उन चेहरों के पीछे हज़ारों लोग छिपे हैं जिन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से अथवा अन्य समाचार पत्रों के माध्यम से प्रकट किये बिना सताया जाता और उनपर हमला किया जाता है।

रेबेक्का 28 वर्षीय एक लड़की है जो नाईजीरिया में रहती है। उसे बोको हराम द्वारा अपहरण किया गया था जिन्होंने उसका बलत्कार किया, उसे दो वर्षों तक कैद में रखा, उसके एक बच्चे को मार डाला तथा बाद में उसे बेच दिया था।  

दलाल 21 वर्ष की है जो ईराक में रहती है। उसे आई एस आई एस की हिंसा का सामना करना पड़ा। जब वह 17 साल की थी तभी वह अपहरण कर ली गयी थी तथा एक देह व्यापारी के रूप में नौ माह के अंदर, नौ लोगों को बेच दी गयी थी। उसकी माता एवं बहन अब भी आईएसआईएस के चंगुल में हैं।

सि. मीना भारत में रहती हैं जिनपर हिन्दू चरमपंथियों ने आक्रमण किया था। उन्होंने कहा कि उनके साथ बलत्कार किया गया और उनपर प्रहार किया गया। उन्होंने उसे 5 किलो मीटर तक नग्न शरीर चलने के लिए मजबूर किया और इस बीच लोग उन्हें पीटते रहे। उस दिन खेद की सबसे बड़ी बात ये थी कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जो वहाँ उपस्थित होकर भी, उसकी कोई मदद नहीं की।

अपील में कहा गया है कि यह प्रयास अधिक से अधिक दूर तक फैले ताकि उन सभी महिलाओं को प्रकाश में लाया जा सके जिनके लिए बोलने वाला कोई नहीं है। कहा गया है कि एकात्मता द्वारा ही उदासीनता को तोड़ा जा सकता है।








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