2018-06-11 16:14:00

पवित्र आत्मा सुसमाचार की घोषणा का "नायक" है, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, सोमवार 11 जून 2018 (रेई) : सुसमाचार प्रचार में तीन मौलिक आयाम हैं : घोषणा, सेवा और पुरस्कार। संत पापा फ्राँसिस ने अपने निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पवित्र यूखरिस्त समारोह के दौरान अपने प्रवचन में इसे रेखांकित किया।

व्यवसायी विकल्प दिल को नहीं बदलते हैं

संत पापा ने दैनिक पाठ के आधार पर अपने चिंतन को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “पवित्र आत्मा सुसमाचार की घोषणा का "नायक" है, यह कुछ विचारों के सरल "प्रचार" या "प्रसारण" का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, लेकिन यह एक गतिशील आंदोलन है जो "दिल बदलने" में सक्षम है।" पवित्र आत्मा के इस काम के लिए हम धन्यवाद देते हैं।" उन्होंने कहा," हमने अच्छी तरह से बनाई गई, योजनाएं देखी हैं, " लेकिन वे सुसमाचार प्रचार के साधन नहीं है, क्योंकि वे खुद में हा समाप्त हो जाती हैं, ये "दिल को बदलने में असमर्थ" है। "यह एक व्यवसायी दृष्टिकोण नहीं है। येसु हमें व्यवसायी दृष्टिकोण के साथ नहीं भेजते है परंतु वे हमें पवित्र आत्मा के साहस के साथ भेजते हैं। सुसमाचार प्रचार का असली साहस मानवीय जिद्दीपन नहीं है परंतु वह आत्मा है जो हमें साहस देती है और हमें आगे ले जाती है।"

कलीसिया में हमें अपनी सेवा करानी नहीं, अपितु दूसरों की सेवा करनी चाहिए।

सुसमाचार प्रचार के दूसरे आयाम सेवा पर ध्यान केंद्रित कराते हुए संत पापा ने कहा, सेवा "छोटी चीजों में भी" पेश किया जाता है। उन्होंने कहा, वास्तव में, जो कलीसिया या समाज में करियर बनाने के बाद सेवा कराना चाहते हैं: "कलीसिया में सेवा कराना - यह एक संकेत है कि हम नहीं जानते कि सुसमाचार प्रचार क्या है", "जो आदेश देते हैं उसे यह जानना चाहिए कि सेवा कैसे की जाती है।"

"हम अच्छी चीजों की घोषणा कर सकते हैं लेकिन सेवा के बिना यह घोषणा नहीं है।क्योंकि आत्मा न केवल आपको ईश्वर की सच्चाई और जीवन की घोषणा करने के लिए आगे ले जाती है, बल्कि भाइयों और बहनों की सेवा करने के लिए भी आपको प्रेरित करती है। छोटी चीजों में भी उनकी सेवा दिखती है। जब आप सुसमाचार प्रचारक, दूसरों की सेवा करने के बदले खुद की सेवा करते और दूसरों से सेवा कराते हैं तो यह दुःख की बात है और यह बहुत ही खराब है।

सुसमाचार प्रचार का पुरस्कार

अंत में संत पापा ने सुसमाचार प्रचार का तीसरे आयाम पुरस्कार पर ध्यान केंद्रित कराते हुए कहा कि कोई भी खुद को अपनी योग्यता के लिए धन्यवाद नहीं दे सकता है। ईश्वर हमें याद दिलाता है कि "आपको मुफ्त में प्राप्त हुआ है अतः आप भी मुफ्त में बाटें।"








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