2018-06-06 17:24:00

पवित्र आत्मा में कलीसिया का विकास


वाटिकन सिटी, बुधवार, 02 मई 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को दृढ़ीकरण संस्कार पर अपनी धर्मशिक्षा देते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

दृढ़ीकरण संस्कार पर अपना चिंतन जारी रखते हुए आज हम पवित्र आत्मा के कृपादानों की चर्चा करेंगे जो हमें जीवन में सुदृढ़ होने हेतु मदद करता है जिसके फलस्वरूप हम दूसरों के लिए एक उपहार बनते हैं। पवित्र आत्मा की कृपा द्वारा “मैं” की सोच “हम” में परिणत होता है जो हमारी सामुदायिकता के साथ-साथ समाज की भलाई को दिखलाती है जहाँ हम एक साथ रहते हैं।

संत पापा ने कहा कि दृढ़ीकरण संस्कार के द्वारा हम कलीसिया के रहस्यात्मक शरीर में और अधिक गहराई से संयुक्त होते हैं। संसार में कलीसिया का प्रेरितिक कार्य इस भांति हमारे जीवन के द्वारा पूरा होता है। हमें कलीसिया को एक सजीव शरीर के रुप में देखना चाहिए न कि एक अमूर्त और दूर की सच्चाई स्वरुप, जो विश्वासियों के द्वारा बनती है जिन्हें हम अपने जीवन में जानते और जिनके साथ हम चलते हैं। दृढ़ीकरण संस्कार हमें विश्वव्यापी कलीसिया के साथ संयुक्त करता है जो सारी दुनिया में फैली हुई है लेकिन यह एक स्थानीय विशेष कलीसिया में क्रियाशील है जिसके मुख्य अधिकारी धर्माध्यक्ष हैं जो प्रेरितों के उत्तराधिकारी हैं।

संत पापा ने कहा यही कारण है दृढ़ीकरण संस्कार के मुख्य अनुष्ठाता धर्माध्यक्ष होते हैं। वास्तव में लातीनी कलीसिया में इस संस्कार का अनुष्ठान साधरणतः धर्माध्यक्ष के द्वारा होता है जहाँ वे दीक्षार्थियों को इस बात की याद दिलाते हैं कि “वे कलीसिया के साथ और अधिक निकटता से जुड़ते तथा उसके प्रेरितिक उत्पत्ति और येसु मसीह के प्रेरितिक कार्यों का साक्ष्य देने हेतु प्रेषित किये जाते हैं।”

यह कलीसियाई दीक्षांत धर्मविधि के अंतिम भाग में मिलने वाली शांति के चिन्ह से भांलि-भांति निरुपित होती है। वास्तव में, धर्माध्यक्ष हर एक दीक्षार्थी को कहते हैं, “ख्रीस्त की शांति आप के साथ हो।” संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि यह हमें पास्का की संध्या, मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त के द्वारा चेलों को किये गये संबोधन की याद दिलाती है जो उन्हें पवित्र आत्मा से परिपूर्ण कर देता है।(यो.20.19-23) यह वाक्य हमारे लिए उस चिन्ह को उदीप्त करता है जहाँ कलीसिया धर्माध्यक्ष और विश्वासियों को एकता के सूत्र में पिरोती है। धर्माध्यक्ष से शांति को प्राप्त करना दीक्षार्थियों को कलीसिया के अन्दर और बाहर बाधाओं की उपस्थिति में भी बिना थके शांति स्थापना हेतु कार्य करने को प्रेरित करता है। शांति को प्राप्त करना हमें पल्लियों में शांति को बढ़ावा देने, दूसरों के साथ एकता में बने रहने और सबों के साथ भ्रातृत्व पूर्ण व्यवहार करने को समर्पित करता है। ईश्वर की शांति को ग्रहण करना हमें उनके साथ सहयोग करने हेतु समर्पित करता है जो हमसे अलग हैं इस भांति हम अपने में इस बात को अनुभव करते हैं कि ख्रीस्तीय समुदाय अलग-अलग होते हुए भी अपने में पूरक और धनी है। पवित्र आत्मा अपने में सृजनहार हैं। उनकी कृपा हमारे जीवन को स्वरसंगति प्रदान करती है न कि एकस्वरता। हम सभी जो उनकी मुहर से अंकित किये गये हैं वे हमें अपने कार्यों को आगे बढ़ाने हेतु प्रेरित करते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम सभी दृढ़ीकरण संस्कार एक मर्तबा ग्रहण करते हैं लेकिन आध्यात्मिकता का आयाम पवित्रता में सुदृढ़ होता रहता है। हम सुसमाचार के मनमोहक संदेश से प्रेरित हो कर अपने पवित्र जीवन द्वारा इसकी  खुशबू को सर्वत्र फैलाने में नहीं थकते हैं। “हम पवित्र आत्मा की शक्ति से जो हममें निवास क्रियाशील रहती है अपने घमंड, सुस्तीपन और स्वार्थ जैसी कमजोरियों से मुक्ति दिलाती है।”  

संत पापा ने कहा “हममें से कोई भी सिर्फ अपने लिए दृढ़ीकारण संस्कार ग्रहण नहीं करता लेकिन हम इसके द्वारा दूसरों के साथ आध्यात्मिक जीवन में विकास करते हैं। केवल इस भांति हम अपने को खोलते और अपने से बाहर निकलते हुए दूसरों के संग मिलते हैं। यह सच्चे रुप में हमारा विकास करता है। ईश्वर से मिले उपहारों को हम अपने जीवन में दूसरों के साथ बांटने के लिए बुलाये जाते हैं न कि डर कर अपने में छुपाये रखते जैसा की अशर्फियों के दृटांत में हम सुनते हैं। (मत्ती. 25. 14-30) “हमें पवित्र आत्मा की शक्ति की जरुरत है जिससे हम अपने में भयभीत और हिसाब-किताब करने वाले न रहें जो कि केवल सुरक्षित सीमाओं के अन्दर चलने को अभ्यस्त होते हैं। उन्होंने कहा, “हम इस तथ्य को याद करें कि जो अपने में बंद रहता वह अंत में खराब हो जाता और बदबू देता है मैं आप से निवेदन करता हूँ कि आप पवित्र आत्मा को अपने में कैद न रखें, उनके द्वारा आने वाली शक्ति आप को स्वतंत्रता से विचरन करने में मदद करे जिससे आप ईश्वरीय प्रेममय जीवन को अपने भाई-बहनों के साथ बांट सकें।” पवित्र आत्मा हमें अपने प्रेरितिक कार्यों को करने हेतु साहस प्रदान करें जिससे हम अपने कर्मों और वचनों के द्वारा सुसमाचार का प्रचार अपने जीवन में आने वाले के बीच कर सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासी समुदाय का अभिवादन किया।

उन्होंने कहा कि हम इस शुक्रवार को येसु ख्रीस्त के अति पवित्र हृदय का महोत्सव मनायेंगे। मैं आप से आग्रह करता हूँ कि आप जून के इस पूरे महीने में येसु के पवित्र हृदय से विनय करें और अपने पुरोहितों को अपनी प्रेमपूर्ण निकटता द्वारा सहायता करें जिससे वे येसु ख्रीस्त के हृदय, करूणामय प्रेम की निशानी बन सकें।

उन्होंने विशेष रुप से युवाओं, बुजुर्गों, बीमारों और नव विवाहितों की याद करते हुए कहा कि आप येसु ख्रीस्त के पवित्र हृदय से अपने लिए आध्यात्मिक भोजन और पेय प्राप्त करें जिससे आप उनके दिव्य प्रेम से पोषित ईश्वरीय प्रजा बने रहें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ हे हमारे पिता प्रार्थना का पाठ किया और सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

 








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