2018-06-04 15:37:00

जर्मन लूथरन इवांजेलिकल कलीसिया के प्रतिनिधिमंडल को संत पापा का संबोधन


वाटिकन सिटी, सोमवार 4 जून 2018 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन में विश्व लूथरन फेडरेशन की जर्मन राष्ट्रीय कमेटी और जर्मनी के ईवाजेलिकल लूथरन कलीसिया के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया और धर्माध्यक्ष उलरिक को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया।

संत पापा ने कहा कि वे खुशी के साथ लुथरन सुधार की 500 वीं वर्षगांठ पर साझा किए गए क्षणों की याद करते हैं। उन्होंने कहा, “31 अक्टूबर 2016 को हम लुंड में मिले थे ताकि भाई-बहनों के रुप में अतीत के घावों को पाटने के लिए वार्ता का मार्ग अपना सकें। हमने देखा है कि इतिहास के पांच सौ साल - कभी-कभी बहुत दर्दनाक और संघर्षमय थे। हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि पिछले पचास वर्षों में, आपसी वार्तालाप के कारण हमारे बीच की दूरी कम हुई है। पवित्र आत्मा की सहायता से, मानव रणनीतियों की बजाय सुसमाचार के तर्क के आधार पर और आधिकारिक लूथरन-काथलिक वार्ता के माध्यम से, दोनों पक्षों के पुराने पूर्वाग्रहों को दूर करना संभव हो हुआ। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में अलग-अलग मतभेदों को पूरी तरह दूर करने की कोशिश की जारी रहेगी।”  

संत पापा ने कहा कि लुथरन सुधार की 500 वीं वर्षगांठ का सामुदायिक तौर पर एक साथ समारोह मनाना इस बात की पुष्टि है कि ख्रीस्तीय सार्वभौमिक एकता आज हमारे लिए एक इच्छा और आवश्यकता बन रही है। इसके लिए हमें प्रार्थना करना चाहिए, ताकि यह मानव परियोजनाएं न हो, परन्तु पवित्र आत्मा हमारा मार्गदर्शन करे। प्रेम की आत्मा हमें दया के मार्गों पर प्रशस्त करे। काथलिक और लूथरन के रूप में हम ख्रीस्तीय सच्चे दिल से "एक दूसरे" से प्यार करने के लिए बुलाये गये हैं। क्योंकि "हमारा जन्म नश्वर जीवन-तत्व से नहीं बल्कि ईश्वर के जीवंत एवं शास्वत वचन से हुआ है।” (1 पेत्रुस 1,22-23) हम जरूरतमंदों और सताए जाने वालों के दुखों को कम करने के लिए भी बुलाये गये हैं। येसु में विश्वास के कारण कष्ट सह रहे भाइयों की पीड़ा भी हमें एक साथ आने और संगठित रुप से एकता का प्रदर्शन करने का आह्वान करती है।

संत पापा ने कहा,“आइए, हम धार्मिक वार्तालाप को आगे बढ़ाते हुए जीवन यात्रा में एक-दूसरे का समर्थन करें। सार्वभौमिक वार्ता को आगे बढाना जारी रखना चाहिए : संदिग्ध मुद्दों के स्पस्टीकरण में केवल उत्साह से नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा से धैर्यपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए। ख्रीस्तीय सार्वभौमिक एकता आज किसी को भी सर्वक्षेष्ठ नहीं मानती, लेकिन विश्वास में जितना संभव हो सभी भाइयों और बहनों को शामिल कर, प्रार्थना, प्यार और सुसमाचार की घोषणा करने वाले शिष्यों के समुदाय के रूप में आगे बढ़ें। पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में सार्वभौमिक वार्ता हमें आगे बढ़ने में मदद करेगी,  प्रभु येसु मसीह को जानने और गहराई से प्यार करने में हमें मदद करेगी। क्योंकि "मसीह में ईश्वरीय तत्व की  परिपूर्णता अवतरित होकर निवास करता है"(कलो. 2: 9) और "ईश्वर ने चाहा कि उन में सब प्रकार की पूर्णता हो... उनके माध्यम से [...] सबकुछ का अपने से मेल कराया।" (कलो.1:19-20)।

ईश्वर, हमारे साथ रहें, ताकि हम उनके मिशन को साहस के साथ मिलकर आगे बढ़ा सकें। पवित्र आत्मा की कृपा द्वारा विभिन्न आयामों और मतभेदों पर व्यापक विचार विमर्श कर एकजुट हो सकें। ईश्वर का आशीर्वाद हमपर बना रहे। 








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