2018-06-02 14:28:00

मांसपेशीय दुर्विकास की बीमारी से संघर्ष करनेवाले संघ से संत पापा की मुलाकात


वाटिकन सिटी, शनिवार, 2 जून 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस शनिवार 2 जून को वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में मांसपेशीय दुर्विकास संबंधी बीमारी के विरूद्ध संघर्ष करने वाले इताली संघ के प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे न्यूरोमस्कुलर की बीमारी से पीड़ित लोगों के प्रति एकात्मता एवं सुसमाचारी उदारता का साक्ष्य अधिक से अधिक देने का प्रयास करें।

उन्हें सम्बोधित कर संत पापा ने कहा कि वे अस्पतालों और सामाजिक क्षेत्र में रोगियों को सहायता तथा बहुमूल्य सेवा प्रदान करते हैं इस तरह वे न केवल शारीरिक पीड़ा से संघर्ष करने में उन्हें मदद देते बल्कि परित्यक्त अथवा अकेलापन जैसी मानसिक पीड़ा से भी राहत प्रदान करते हैं।

संत पापा ने उनकी सेवाओं की विशेषता पर गौर करते हुए कहा कि इसकी सेवा स्वेच्छिक है जो अभिरूचि की स्वतंत्रता या विचारधाराओं के साथ संयुक्त है। स्वेच्छा दान में व्यावसायिकता और निरंतरता जुड़ा है जो उनके सदस्यों से, आत्म-जाँच, निष्ठा, ध्यान, तत्परता, रोगी के अव्यक्त परेशानी को भी समझने की क्षमता, विनम्रता, गंभीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति, समयपबंद, धीरज तथा हर आवश्यकता में रोगी के प्रति सम्मान जैसे गुणों की मांग करता है। संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहन देते हुए कहा कि वे इस रास्ते पर आगे बढ़ते रहें तथा एकात्मता एवं सुसमाचारी उदारता का अधिक से अधिक साक्ष्य दें। उन्होंने संगठन के उन सभी कार्यों की सराहना की जिसके द्वारा वे व्यक्ति की मानव प्रतिष्ठा एवं उनकी आशाओं की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट करते हैं।

संत पापा ने कहा, "जो कार्य वे करते हैं उसके द्वारा वे यह अनुभव कर सकें कि केवल प्रेम एवं देने के द्वारा ही व्यक्ति अपने आप को पूरी तरह पहचान सकता है। येसु ईश्वर के पुत्र हैं जो मानव बने और उन्होंने मानव अनुभूति के इस गहरे अर्थ को बतलाया। उन्होंने ईश्वर के चेहरे को प्रकट किया जो प्रेम है। वे प्रकट करते हैं कि उनके अस्तित्व का सबसे बड़ा नियम है, प्रेम। उन्होंने इस धरा पर अपने जीवन के द्वारा ईश्वर की कोमलता प्रकट की तथा मानव के समान शरीर धारण कर एक सेवक की तरह अपने को पूरा खाली कर दिया। मृत्यु से पार होकर उन्होंने प्रेम से जीना सिखाया।    

उदारता, सुसमाचारी साक्ष्य का सबसे अर्थपूर्ण तरीका प्रस्तुत करता है क्योंकि उनकी ठोस आवश्यकताओं का प्रत्युत्तर देते हुए वह मनुष्यों के लिए ईश्वर का प्रेम प्रकट करता है। संत पापा ने इटली के उदार पुरोहितों, फादर जुसेप्पे कोत्तोलेंगो, लुईजी क्वानेल्ला और लुईजी ओरियोने की याद करते हुए कहा कि उनकी उदारता ने इताली समाज में गहरी छाप छोड़ी है। हमारे समय में भी कई लोग अपने पड़ोसियों के लिए कार्य कर रहे हैं और उसके द्वारा अपने विश्वास की खोज करते हैं क्योंकि वे रोगियों में ईश्वर के पुत्र ख्रीस्त से मुलाकात करते हैं। वे कमजोर भाई बहनों में सेवा किये जाने की मांग करते हैं।

संत पापा ने कहा कि मदद करना महत्वपूर्ण है किन्तु उससे भी बढ़कर है हृदय समर्पित करना। उन्होंने उनकी प्रेरिताई की याद दिलाते हुए कहा कि वे जीवन के लिए उत्साह बनने हेतु बुलाये गये हैं, खासकर, युवाओं को एकात्मता एवं स्वागत की संस्कृति की शिक्षा देने के द्वारा, वे सबसे कमजोर लोगों की आवश्यकताओं के प्रति उदार बनने के लिए बुलाये गये हैं। उन्होंने कहा कि यह सीख पीड़ा से आती है जिसको हम बीमार एवं पीड़ित लोगों से सीखते हैं क्योंकि जो जितना अधिक कष्ट सहते हैं उतना ही अधिक जीवन के दिव्य उपहार के मूल्य को समझते हैं और उसे गर्भ से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक प्रोत्साहन एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं।  

संत पापा ने सभी प्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवकों को प्रोत्साहन दिया कि वे उदारता की अपनी इस यात्रा में अपने परिवारों, मित्रों एवं अपने पड़ोसियों के साथ आगे बढ़ें। वे माता मरियम के समान आनन्द एवं मुक्ति के संदेश वाहक बनें जो इलिजाबेथ की सेवा में शीघ्रता से चल पड़ी थी। संत पापा ने उपस्थित बीमार लोगों का अभिवादन किया एवं उनसे प्रार्थना का आग्रह किया।








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