2018-06-01 15:57:00

खेल ‘एकता और मुलाकात’ का स्थान है, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 1 जून 2018 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने 1जून को लोकधर्मी, परिवार और जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल केविन फार्रेल को विभाग के नये दस्तावेज के प्रकाशन के लिए बधाई दी।

संत पापा ने पत्र में अपनी खुशी जाहिर करते हुए लिखा, “मुझे ख्रीस्तीय परिप्रेक्ष्य पर खेल और मानव के "दारे इल मेग्लियो दी से" अर्थात ‘खुद का सर्वश्रेष्ठ देना’ नामक दस्तावेज के प्रकाशन की खबर मिली, जिसे लोकधर्मी, परिवार और जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग ने तैयार है। इसके द्वारा खेल की दुनिया में कलीसिया की भूमिका को उजागर किया गया है और खेल मुलाकात, गठन, मिशन और पवित्रता का साधन हो सकता है।”

खेल वह स्थान है जहां सभी स्तरों और सामाजिक स्थितियों के लोग एक आम उद्देश्य तक पहुंचने के लिए एक साथ आते हैं। व्यक्तिवाद की संस्कृति में एवं युवा पीढ़ी और बुजुर्गों के बीच के अंतर को पाटने के लिए खेल को विशेषाधिकार प्राप्त है खेल का आनंद उठाने के लिए लोग जाति, लिंग या धर्म का भेद भाव किये बिना  आपस में मिलते हैं और खुशी को बांटते हैं एक साथ एक लक्ष्य, एक टीम में भाग लेना, जहां सफलता या हार साझा की जाती है; यह हमें केवल अपने आप पर ध्यान केंद्रित करके एक उद्देश्य पर विजय प्राप्त करने के विचार को अस्वीकार करने में मदद करता है। दूसरों की आवश्यकता में न केवल टीम के साथी बल्कि प्रबंधक, कोच, समर्थक, परिवार सभी शामिल हैं; संक्षेप में, वे सभी लोग, प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ, "खुद का सर्वश्रेष्ठ देने" हेतु संभव बनाते हैं। यह सब लोगों को मानव परिवार के समुदाय के अनुभवों के लिए उत्प्रेरक बनाता है। जब एक पिता अपने बेटे के साथ खेलता है, जब बच्चे पार्क या स्कूल में एक साथ खेलते हैं, जब एक एथलीट अपने समर्थकों के साथ जीत का जश्न मनाता है, तो इन सभी वातावरणों में हम एकता और मुलाकात के रूप में खेल के मूल्य को देख सकते हैं। हम एक टीम के रूप में, जीवन के खेल में, महान परिणामों तक पहुंच सकते हैं!”  

संत पापा ने खेल की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खेल भी एक रचनात्मक वाहन है। पहले से कहीं अधिक आज हमें युवाओं पर नजर डालनी चाहिए, जिनके व्यक्तिगत विकास की प्रक्रिया शुरू होती है, खेल के माध्यम से व्यक्ति का अभिन्न विकास आसानी से होता है। हम जानते हैं कि नई पीढ़ी खिलाड़ियों को किस नजर से देखती है और उनके द्वारा प्रेरित होती है! इसलिए, हर उम्र और स्तर के सभी एथलीटों की भागीदारी आवश्यक है; क्योंकि जो लोग खेल की दुनिया का हिस्सा हैं वे उदारता, नम्रता, बलिदान, दृढ़ता और उत्साह जैसे गुणों का उदाहरण देते हैं। इसी तरह, उन्हें दल भावना में सम्मान, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और दूसरों के साथ एकजुटता में योगदान देना चाहिए।

अंत में, संत पापा ने मिशन और पवित्रता के साधन के रूप में खेल की भूमिका पर जोर देते हुए कहा,“कलीसिया को दुनिया में येसु मसीह का प्रतीक माना जाता है। पल्ली, स्कूल, प्रार्थनालय और संगठनों में किए गए खेलों के माध्यम से अनुकूल या प्रतिकूल अवसर में मसीह के संदेश की घोषणा करनी है (2 तिमथी 4: 2)। खेल से संचरित इस खुशी को साझा करने के लिए महत्वपूर्ण है मानव क्षमता की खोज करना जो हमें सृष्टि और मानव की सुंदरता का खुलासा करने के लिए प्रेरित करता है, जो ईश्वर के प्रतिरुप और समानता में बनाया गया है। खेल उन स्थानों या वातावरण में मसीह के लिए रास्ता खोल सकता है, जहां विभिन्न कारणों से, उसे सीधे घोषित करना संभव नहीं है और लोग, खुशी के गवाह के साथ, एक समुदाय के रूप में खेल का अभ्यास करते हुए सुसमाचार के वाहक बन सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि खेल खुद का सर्वश्रेष्ठ देने की पवित्र इच्छा का भी आह्वान करता है। संत पापा ने हाल सें संपन्न युवाओं के लिए धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में युवाओं को वहाँ उपस्थित होकर या नेटवर्क के माध्यम से सभी युवाओं से खुद का सर्वश्रेष्ठ देने को कहा था। संत पापा ने कहा कि उन्होंने अपने प्रेरितिक उद्बोधन में भी इस अभिव्यक्ति का उपयोग किया था। वे कहते हैं कि ईश्वर हम में से प्रत्येक को पवित्रता के लिए आमंत्रित करने का एक अनोखा और विशिष्ट तरीका अपनाते हैं : "महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक विश्वासी व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ उपहार को बाहर निकालने का मार्ग ढूँढ़ें जिसे ईश्वर ने उसके दिल में रखा है।" (गौदेते एत एक्सुलताते 11)

हमें खेल और जीवन के बीच मौजूद घनिष्ठ संबंध को गहरा करने की जरूरत है, जो एक दूसरे को उजागर कर सकता है। एथलीटों का खेल में अनुशासन का प्रयास जीवन के सभी पहलुओं में उन्हें अनुशासित बनाता है। यह हमें उस मार्ग पर रखता है जहाँ हम ईश्वर की कृपा से, जीवन की पूर्णता तक पहुँच सकते हैं जिसे हम पवित्रता कहते हैं। खेल मूल्यों और गुणों का एक बहुत ही समृद्ध स्रोत है जो हमें बेहतर बनने में मदद करता है। प्रशिक्षण के दौरान खेल का अभ्यास करने वाले एथलीट की तरह अगर हम पूरी कोशिश करें तो बिना डरे अपनी कमजोरियों और सीमाओं को खोज कर उनमें सुधार कर सकते हैं। इस तरह, "प्रत्येक ख्रीस्तीय जितनी मात्रा में पवित्रता में बढ़ता है, वह उतनी ही मात्रा में दुनिया के लिए फल उत्पन्न करता है।" (इबिद।, 33)। एक ख्रीस्तीय एथलीट पवित्र जीवन जीकर अपने आस-पास के लोगों के साथ ख्रीस्तीय होने का आनंद घोषित करता है।

संत पापा ने अंत में शुभकानाएँ देते हुए कहा कि यह दस्तावेज कलीसिया के खेल मंत्रालय और अन्य क्षेत्रों में फलदायी बने।








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