2018-05-30 17:29:00

अंतरधार्मिक नेताओं ने म्यांमार में शांति हेतु पुनः प्रयास करने का वचन दिया


बैंकॉक, बुधवार 30 मई 2018 (वीआर न्यूज) : यांगून के कार्डिनल चार्ल्स बो ने, संघर्षग्रस्त म्यांमार में शांति पहलों के प्रति अपनी वचनबद्धता की घोषणा करने के लिए अन्य धार्मिक नेताओं से जुड़ गये है। इस पहल का राज्य के काउंसिलर आंग सान सू की ने स्वागत किया है

म्यांमार के लोगों को एक खुले पत्र में, अंतर्राष्ट्रीय शांति और म्यांमार के धर्मों से उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के कार्डिनल बो और 17 अन्य सदस्यों ने वर्तमान में कई आंतरिक संघर्षों का सामना करने वाले देश में शांति और सुलह के प्रयासों के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त की।

25 मई को राजधानी नाइपाईदाव में आंग सान सू की को प्रस्तुत पत्र की शुरुआत इस प्रकार से की गई थी, "हमारे देश के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण पल है कि हम, म्यांमार और पूरे क्षेत्र के बौद्ध, ख्रीस्तीय, हिंदू और मुस्लिम नेतागण, शांति के लिए आशा के साथ आपके पास एकसाथ मिलकर आते हैं,"

पत्र म्यांमार के लोगों को विभाजित करने के लिए धर्म और जाति के दुरुपयोग को खारिज करता है, जो दुनिया की धार्मिक परंपराओं के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ जाता है और घृणा, भेदभाव और हिंसा लाता है।

देश के आंतरिक संघर्षों को समाप्त करने के उद्देश्य से एवं स्थानीय शांति के संबंध में पत्र में कहा गया है, "अंतर-सांप्रदायिक संघर्षों को हल करने और राष्ट्रीय सुलह को आगे बढ़ाने के लिए हमारे सामूहिक प्रयासों में, म्यांमार के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक नेताओं के रूप में, हम आपकी प्रार्थनाओं को पांगलांग 21 वीं शताब्दी शांति सम्मेलन में शांति के लिए लाने की इच्छा रखते हैं।"

पत्र में कहा गया है, "हम म्यांमार में लोकतांत्रिक संघीय प्रणाली के दृष्टिकोण के साथ राष्ट्रव्यापी युद्धविराम समझौते और टिकाऊ शांति को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और अन्य प्रासंगिक कलाकारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" म्यांमार की सेना और कचिन विद्रोहियों के बीच लड़ाई में वृद्धि के संदर्भ में पत्र में कहा गया है, "हम बड़े दुख के साथ बढ़ते हुए संघर्ष एवं कचिन और शान राज्यों से बड़ी संख्या में लोगों के विस्थापन को देख रहे हैं। हजारों नागरिकों का विस्थापन शांति और सुलह प्रक्रिया को कमजोर कर देता है।"

"हम म्यांमार में लोकतांत्रिक संघीय प्रणाली के दृष्टिकोण के साथ राष्ट्रव्यापी युद्धविराम समझौते और टिकाऊ शांति को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और अन्य प्रासंगिक नेताओं के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

इस पत्र में राखीन राज्य में संकट और जातीय सफाई के रूप में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इंगित किए गए संकट को हल करने के प्रयासों को भी उजागर किया गया। म्यांमार की सेना द्वारा विद्रोह विरोधी अभियान से बचने के लिए सितंबर से 670,000 से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश के लिए राखीन से भाग गए हैं।

पत्र में कहा गया है कि "अच्छे और प्रशंसनीय प्रयासों को उन्नत किया जा रहा है, जिसमें शरणार्थियों की वापसी और संयुक्त राष्ट्र के लिए इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार के बीच समझौते सहित, राखीन राज्य के सभी समुदायों के लिए शांति, विकास, शिक्षा और मानवाधिकारों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है।"

 इस पत्र में म्यांमार के सीमित संसाधनों के लिए जातीय समूहों की लड़ाई के रूप में "वैश्विक साझाकरण योजनाओं की खोज" का भी मांग की गई है साथ ही संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के साथ वार्ता जारी रखने का सुझाव दिया। अंतरधार्मिक प्रतिनिधिमंडल की ओर से ओस्लो के धर्माध्यक्ष गुन्नार स्टालसेट्ट और मंडले में मायावती मिंगी मठ के महंत, आदरणीय आर्या वुन था भिवुन सा ने पत्र में हस्ताक्षर किया था।

आंग सान सु की ने बैठक के दौरान अंतरधार्मिक प्रतिनिधिमंडल के सहयोग और सुझावों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि धार्मिक नेता अपने समुदायों को एक साथ काम करने और समावेशी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करके "सभी के लिए प्रगति" का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं और जो "पीछे रह गये हैं" उन्हें भी शामिल कर सकते हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने 22-25 मई से रंगून और नायपायदाव का दौरा किया।

कार्डिनल बो और कई अन्य अंतरधार्मिक नेताओं ने भी 27 मई को संघर्ष आक्रांत राखीन राज्य का दौरा किया, जहां उन्होंने रोहिंग्या, हिंदू और म्रो समुदायों से मुलाकात की साथ ही पारगमन और स्वागत केंद्रों का भी दौरा किया।

प्रतिनिधिमंडल ने विमान से रोहिंग्यों के सैकड़ों गांवों को देखा जिसे रोहिंग्या आतंकवादियों के खिलाफ म्यांमार सेना के दमन अभियान के दौरान नष्ट कर दिया गया था।








All the contents on this site are copyrighted ©.