2018-05-25 16:07:00

धिक्कार उन लोगों को जो मजदूरों का शोषण करते हैं, संत पापा


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 मई 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ "धिक्कार तुम्हें यदि तुम कर चुकाने से बचकर लोगों का एवं उनके कामों का शोषण करते हो, उनका पेंशन फंड नहीं भरते तथा छुट्टियों के वेतन काट लेते हो। दूसरों का शोषण करना आत्मामारू पाप है।" उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

प्रवचन में संत पापा ने प्रेरित संत याकूब के पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ कहा गया है कि श्रमिकों की अवैतनिक मजदूरी पुकारती है तथा यह आवाज प्रभु के कानों तक पहुँचती है।

चीन स्थित शेशान की माता मरियम के पर्व दिवस पर ख्रीस्तयाग में, संत पापा ने चीन के लोगों के लिए विशेष प्रार्थना अर्पित की तथा निमंत्रण दिया कि वे धनी लोगों के लिए प्रार्थना औरहुँचतीहम गुलाम बन जाते हैं। चेतावनी दी क्योंकिगुलाम बन जाते हैं. प्राथअपने सारे हृदय से प्यार करो। धनी ईश्वर की दूसरी आज्ञा के  तपस्या करें क्योंकि धन गुलाम बनाता है। येसु चेतावनी देते हैं कि हम दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकते क्योंकि हम या तो ईश्वर की सेवा कर सकते हैं अथवा धन की।

संत पापा ने कहा कि धर्मग्रंथ धनियों से कठोरता से पेश आता है और यह याद दिलाता है कि येसु ने स्वयं उन्हें धिक्कारा है। धिक्कार तुम्हें जो धनी हो। संत पापा ने कहा कि यदि आज कोई इस तरह उपदेश दे, तो उसे दूसरे ही दिन समाचार पत्रों में छापा जाता कि वह एक पुरोहित साम्यवादी है किन्तु उन्होंने कहा कि निर्धनता सुसमाचार के केंद्र में है। निर्धनता की शिक्षा देना उनके संदेश का केंद्रविन्दु है। "धन्य हैं वे जो गरीब है।" आठ धन्यताओं में यह पहली है। अतः यह उनकी पहचान पत्र है जिसके द्वारा येसु अपने को सभागृह में प्रस्तुत करते हैं। "प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है, जिससे मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टिदान का सन्देश दूँ, दलितों को स्वतन्त्र करूँ।"

संत पापा ने निर्धनता पर येसु की कड़ी शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धन दौलत एक प्रकार से मूर्ति पूजा के समान है और हमें लालच देता है।

येसु ने स्वयं कहा है कि कोई भी दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि धन व्यक्ति को गुलाम बनाता तथा ईश्वर की पहली आज्ञा का पालन करने नहीं देता है। जो कहता है, अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय से प्यार करो। धन ईश्वर की दूसरी आज्ञा के विरूद्ध भी जाता है क्योंकि यह लोगों के बीच के आपसी संबंध को तोड़ देता है।

संत पापा ने विश्वासियों से कहा कि धन लोगों को गुलाम बनाता है अतः हमें धनियों के लिए अधिक प्रार्थना एवं त्याग-तपस्या करना चाहिए। धन की गुलामी से मुक्त रहने के लिए हमें उससे दूर रहना एवं प्रभु से प्रार्थना करना है ताकि हम प्रभु के नाम से दूसरों के लिए अच्छा कर सकेंगे।

संत पापा ने धन से सावधान रहने की चेतावनी दी क्योंकि धन हमें प्रलोभन देता और उस प्रलोभन में पड़कर हम गुलाम बन जाते हैं। 








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