2018-05-24 11:33:00

संघर्षों के दौरान नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान


वाटिकन सिटी, गुरुवार, 24 मई 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन ने सशस्त्र संघर्षों के दौरान पीड़ितों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करनेवाले अस्पतालों, स्कूलों तथा चिकित्सा और लोकोपकारी कार्यकर्त्ताओं के खिलाफ हमलों एवं अत्याचारों की कड़ी निन्दा कर कहा कि "ऐसे अपराधों के लिए दंड न देने की प्रवृत्ति को समाप्त किया जाना चाहिये।"

न्यू यॉर्क में मंगलवार 22 मई को संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक तथा वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष बेरनादीतो आऊज़ा ने सशस्त्र संघर्षों के दौरान नागरिकों की रक्षा पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा समिति की बैठक में उक्त बात कही।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव अन्तोनियो गूतेरेस की रिपोर्ट का हवाला देकर महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि विश्व के दो करोड़ से अधिक लोग युद्धग्रस्त स्थितियों में फँसें हैं तथा कम से कम 14 लाख से अधिक बच्चे अकाल एवं भुखमरी की मार सह रहे हैं।

उन्होंने सीरिया में जारी अत्याचारों की भर्त्सना की तथा नाइजीरिया के बोर्नो राज्य के गांवों, दक्षिण सूडान और यमन में व्याप्त अकाल एवं खाद्य असुरक्षा की ओर इशारा करते हुए कहा, "पीड़ा निवारण का वर्तमान स्तर वास्तव में भयावह है।"

उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस के अनुसार, यह पूर्णतः अस्वीकार्य है कि कई बच्चों सहित इतने अधिक निरस्त्र एवं निर्बाध व्यक्तियों को संघर्ष की कीमत चुकानी पड़ती है।

महाधर्माध्यक्ष ने सचेत किया कि अस्पतालों, स्कूलों एवं लोकोपकारी कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध किसी भी प्रकार का आक्रमण समस्त पीढ़ियों से उनके जीने तथा चिकित्सा एवं शिक्षा पाने के अधिकार छीन लेता है। महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने युद्ध की स्थिति में अथवा संघर्ष के दौरान हाल में चिकित्सा केन्द्रों पर सरकारी सुरक्षा बलों एवं विद्रोही दलों द्वारा किये गये हमलों की कड़ी निन्दा की।   

इस बात पर बल देते हुए कि सशस्त्र युद्धों को समाप्त करना नागरिकों की रक्षा का सर्वेत्त्म उपाय है महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि वह संघर्षों के मूल कारणों को सम्बोधित करे। 








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