2018-05-23 14:18:00

दृढ़ीकरण संस्कार पर चिंतन


वाटिकन सिटी, बुधवार, 23 मई 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को दृढ़ीकरण संस्कार पर अपनी धर्मशिक्षा देते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

बपतिस्मा संस्कार पर धर्मशिक्षा के बाद, इन दिनों पेंतेकोस्त महापर्व के उपरांत हमें निमंत्रण दिया जाता है कि हम ख्रीस्तीय साक्ष्यों पर चिंतन करें जिनको पवित्र आत्मा बपतिस्मा में उत्पन्न करते हैं, उनके जीवन को सक्रिय बनाकर, दूसरों की भलाई के लिए उदार बनाते हैं। अपने शिष्यों को येसु ने एक महान मिशन सौंपा था, "तुम पृथ्वी के नमक हो। तुम संसार की ज्योति हो।"(मती. 5,13-16) ये प्रतीक हैं जो हमारे व्यवहार पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हैं क्योंकि नमक की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाने से भोजन का स्वाद सही नहीं रह जाता, उसी तरह ज्योति की कमी अथवा आधिक्य देखने में बाधा डालती है। 

कौन हमें सचमुच नमक बना सकता है जो स्वाद दे तथा नष्ट होने से बचा सके और प्रकाश जो दुनिया को ज्योति प्रदान करे? यह केवल ख्रीस्त का आत्मा कर सकता है। यही वह वरदान है जिसको हम दृढ़ीकरण संस्कार में ग्रहण करते हैं। संत पापा ने दृढ़ीकरण संस्कार पर प्रकाश डालते हुए कहा, "यह दृढ़ीकरण कहलाता है क्योंकि यह बपतिस्मा को पुष्ट करता तथा इसकी कृपा को सुदृढ़ बनाता है, क्रिस्मा की तरह जिसमें हम पवित्र आत्मा को पवित्र तेल के मलन द्वारा प्राप्त करते हैं जो तेल एवं सुगंधि का मिश्रण है और धर्माध्यक्ष द्वारा आशीष प्रदान किया गया है। यह ख्रीस्त का प्रतीक एवं इसमें पवित्र आत्मा का अभिषेक है? 

बपतिस्मा में दिव्य जीवन में पुनः जन्म लेना पहला कदम है अतः यह आवश्यक है कि हम ईश्वर के पुत्र-पुत्रियों के समान व्यवहार करें अर्थात् ख्रीस्त में सुदृढ़ हों जो पवित्र कलीसिया में क्रियाशील हैं, हम अपने को दुनिया में उनके मिशन में सहभागी बनायें। इसके लिए पवित्र आत्मा के अभिषेक की आवश्यकता है उनकी शक्ति के बिना, मनुष्य कुछ भी नहीं है। जिस तरह येसु का सारा जीवन पवित्र आत्मा से सराबोर था उसी तरह कलीसिया एवं उसके प्रत्येक सदस्य का जीवन उसी आत्मा द्वारा प्रेरित होना चाहिए। 
कुँवारी मरियम के गर्व में पवित्र आत्मा की शक्ति से आने के बाद, येसु यर्दन नदी में पवित्र आत्मा से अभिषेक किये जाने उपरांत अपने मिशन की शुरूआत करते हैं। वे इसकी घोषणा नाजरेथ से सभागृह में स्पष्ट रूप से करते हैं। नबी इसायस की भविष्यवाणी को अपने आप पर लागू करते हुए कहते हैं, "प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है, जिससे मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टिदान का सन्देश दूँ, दलितों को स्वतन्त्र करूँ।" (लूक.4,18)

येसु पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हैं तथा वे पवित्र आत्मा के स्रोत हैं जिसकी प्रतिज्ञा पिता ने की थी।(यो.15,26; लूक. 24,49; प्रे.च.1,8; 2,33) वास्तव में, पास्का की शाम, पुनर्जीवित ख्रीस्त ने शिष्यों पर फूँक कर कहा, "'पवित्र आत्मा को ग्रहण करो!" (यो.20,22); और पेंतेकोस्त के दिन पवित्र आत्मा की शक्ति असाधारण रूप से चेलों पर उतरी। (प्रे.च. 2,1-4)
पुनर्जीवित ख्रीस्त की सांस कलिीसिया के फेफड़े को जीवन से भर देती है, जिसके प्रभाव में पवित्र आत्मा से भर कर शिष्यों ने अपना मुँह ईश्वर के महान कार्यों की घोषणा सबों के बीच करने के लिए खोला। 
जिस पवित्र आत्मा को येसु ने यर्दन नदी में प्राप्त किया था उसी को कलीसिया पेंतेकोस्त के दिन प्राप्त करती है और उसके द्वारा वह मिशनरी बन जाती है ताकि ईश्वर की महिमा एवं लोगों की पवित्रता के लिए अपना जीवन अर्पित कर सके। हर संस्कार में पवित्र आत्मा क्रियाशील होते हैं किन्तु दृढ़ीकरण संस्कार में विश्वासी उन्हें विशेष रूप से ग्रहण करते हैं। 
यदि बपतिस्मा संस्कार में पवित्र आत्मा हमें ख्रीस्त में शामिल कराते हैं दृढ़ीकरण संस्कार में ख्रीस्त हमें अपनी आत्मा से भर देते हैं। पिता की इच्छा अनुसार, हमें उनके साक्ष्य में अपने को समर्पित करने तथा उन्हीं के जीवन एवं मिशन के सिद्धांत में सहभागी होते हुए, पवित्र आत्मा को ग्रहण करने का दृढ़ साक्ष्य, हम विनम्रता पूर्वक दे सकते हैं। 

किस तरह मालूम पड़ता है कि हमने पवित्र आत्मा को ग्रहण किया है? संत पापा ने कहा कि यदि हम पवित्र आत्मा के कार्यों को पूरा करते हैं, पवित्र आत्मा द्वारा सिखाये गये वचनों की घोषणा करते हैं तो मालूम होता है कि हमने पवित्र आत्मा को ग्रहण किया है। ख्रीस्तीय साक्ष्य का अर्थ है उन सभी कार्यों को करना जिसको करने हेतु ख्रीस्त का आत्मा हमें प्रेरित करता है और हमें उन्हें करने के लिए शक्ति प्रदान करता है। 

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासी समुदाय का अभिवादन किया, खासकर, अंग्रेजी भाषियों को जो इंगलैंड, वेल्स, आयरलैंड, भारत, फिलीपींस, रूस, वियेतनाम, कनाडा और अमरीका से आये थे। उन्होंने फेलिसियन धर्मबहनों की महाधर्मसभा के लिए शुभकामनाएँ दी तथा उन्हें प्रार्थना का आश्वासन दिया।
अंत में संत पापा ने सभी विश्वासियों और उनके परिवारों पर पवित्र आत्मा का आह्वान करते हुए उनके साथ हे हमारे पिता प्रार्थना का पाठ किया और सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

 








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