वाटिकन सिटी, सोमवार 21 मई 2018 (रेई) : 19 मई को जारी किए गए अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने युवाओं को सुसमाचार प्रचार के लिए कलीसिया का साथ देने का आग्रह किया।
शनिवार को वाटिकन ने इस साल के विश्व मिशन रविवार के लिए संत पापा फ्राँसिस का संदेश जारी किया, जिसमें संत पापा ने युवा पुरुषों और महिलाओं को आमंत्रित किया है जो मसीह की खोज करते हुए अपने बुलाहट में दृढ़ रहना चाहते हैं और उनका अनुसरण करना चाहते हैं।
काथलिक कलीसिया द्वारा हर साल अक्टूबर के अंतिम रविवार के पहले आने वाले रविवार को मनाया जाता है, 2018 में विश्व मिशन रविवार 21 अक्टूबर को पड़ता है। 1926 में संत पापा पियुस ग्यारहवें ने इसे स्थापित किया था। इस दिन कलीसिया के मिशनरी कार्यों को याद करते हुए इस मिशन में कार्यरत ख्रीस्तीयों के लिए प्रार्थनायें और मिशन के लिए मदद रकम जमा की जाती है।
इस साल के विश्व मिशन रविवार का विषय है, "युवा लोगों के साथ, आइये, हम सभी के पास सुसमाचार पहुँचायें," यह विषय वाटिकन में 3 से 28 अक्टूबर तक आयोजित धर्माध्यक्षों के धर्मसभा के विषय से मेल खाता है। आगामी धर्मसभा का विषय है,"युवा लोग, विश्वास और बुलाहटीय आत्म-परख"
संत पापा ने सभी ख्रीस्तीयों को विशेष कर युवाओं को संबोधित कर याद दिलाया कि “हम सब इस दुनिया में अपनी इच्छा से नहीं आये हैं। इस दुनिया में आने के लिए एक विशेष योजना है और उस योजना या मिशन को पूरा करने के लिए हमारा अस्तित्व बना है। हम में से प्रत्येक को कहना है कि "मैं इस धरती पर एक मिशन हूँ और इसी कारण से मैं हम इस दुनिया में हूँ।” संत पापा कहते हैं कि वास्तव में, "हर पुरुष और महिला एक मिशन है।"
अपने संदेश में, संत पापा ने युवाओं से आग्रह किया कि वे मसीह और उसकी कलीसिया से डरें न, क्योंकि कलीसिया ही वह जगह है जहां हमें अपने जीवन को खुशी से भरने का खजाना मिलता है।"
अपने अनुभव को साझा करते हुए संत पापा ने कहा कि विश्वास के माध्यम से उन्हें अपने सपने को मूर्त रुप से महसूस करने और साकार करने की ताकत मिली। संदेश को जारी रखते हुए संत पापा ने कहा, "जो लोग येसु के साथ हैं, उनके लिए "बुराई और भी अधिक प्यार करने हेतु एक प्रोत्साहन है, "क्योंकि येसु के क्रूस द्वारा हम आत्म-बलिदान के दिव्य तर्क को दुनिया में सुसमाचार की घोषणा के रूप में सीखते हैं। संत पापा युवाओं को आत्म परख के लिए अपने आप से एक प्रश्न करने को कहते हैं। “मेरे स्थान में येसु होता तो वह क्या करता?”
विश्वास को हस्तांतरित करना
संत पापा ने कहा कि बपतिस्मा द्वारा सभी ख्रीस्तीयों को सुसमाचार प्रचार करने का मिशन प्राप्त हुआ है। युवा लोग भी गवाहों की उस महान धारा के हिस्सा हैं, जिसमें बुजुर्ग लोग अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा युवाओं के लिए गवाह और प्रोत्साहन बनते हैं। इस तरह, कलीसिया का मिशन पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
संक्रामक प्यार
उन्होने कहा कि कलीसिया के मिशन के केंद्र में, प्यार की संक्रामकता है, जहां खुशी और उत्साह जीवन को एक नया अर्थ और पूर्ति की अभिव्यक्ति देता है। संत पापा कहते हैं, विश्वास के प्रसार में, "आकर्षण" प्यार के प्रति खुले दिल की मांग करता है। यह "उपनगरीय बाहरी इलाकों" में भी वार्तालाप, गवाह और घोषणा उत्पन्न करता है।
अंत में संत पापा अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हैं कि पल्लियों के संगठनों, आंदोलनों और धर्मसमाजों द्वारा संचालित कई समूहों के माध्यम से स्वयंसेवक के रुप में युवा लोग अपने भाइयों और बहनों की सेवा करने, मानव गरिमा को बढ़ावा देने और साक्ष्य देने का काम करते हैं। इस तरह वे प्यार की खुशी और ख्रीस्तीय होने का आनंद लेते हैं।
मानवीय और सांस्कृतिक विकास के लिए गठित परमधर्मपीठीय मिशन सोसायटी के योगदान की याद करते हुए संत पापा कहते हैं कि व्यक्तिगत जरूरतों में जिनकी मदद की जाती है, वे अपने दैनिक जीवन की परिस्थितियों में सुसमाचार की गवाही देते हैं।
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