वाटिकन सिटी, गुरुवार 17 मई 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के प्रार्थनालय
संत मार्था में प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान अपने प्रवचन में दो मार्गों का जिक्र
किया, एक हमें सच्ची एकता की ओर ले चलती तो दूसरी हमें विभाजित करती है।
उन्होंने संत योहन रचित सुसामाचार के आध्याय 17 पद संख्या 20 से 26 पर चिंतन प्रस्तुत
करते हुए कहा कि येसु हमें सत्य के मार्ग पर ले चले हैं जो हमें पिता के पास ले चलता
है। यह हमारे लिए “मुक्ति का मार्ग” जो कलीसिया का निर्माण करती है। संत पापा ने कहा
कि जब हम अपने जीवन में, समाज या कलीसिया में एकता के लिए कार्य करते हैं तो हम येसु
के मार्ग में चलते हैं।
झूठी एकता हमें विभाजित करती है
संत पापा ने कहा कि हम अपने जीवन में झूठी एकता को भी पाते हैं जिसकी चर्चा आज का पहला पाठ करता है (प्रेरित. 22.30.23.6-11) जहाँ हम पौलुस के ऊपर दोष लगाने की चर्चा सुनते हैं। शुरू में शास्त्री और फरीसी एक समुदाय के रुप में पौलुस पर दोषारोपण हेतु जमा होते हैं। लेकिन पौलुस पवित्र आत्म से प्रेरित विवेक में उनकी मनसा से वाकिफ हो जाता है और उनके मध्य यह कहते हुए “विभाजन का पत्थर” फेंकता है कि मृतकों के पुनरूत्थान पर विश्वास के कारण मैं इस आदालत में लाया गया है। संत पापा ने कहा कि सदूकी न तो पुनरूत्थान और न ही दूतों या आत्माओं पर विश्वास करते थे, जबकि फरीसी इन बातों पर विश्वास करते थे, अतः उनके बीच विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो गयी। पौलुस उनके बीच की झूठी एकता को भंग करने में सफल होता है।
एक अपरिचित भीड़
पौलुस को सजा देने के क्रम में हम एक भीड़ को देखते हैं जो अपनी अज्ञानता में शोर मचाती है। उन्होंने यह भी पता नहीं होता है कि वे क्या कह रहे हैं। संत पापा ने कहा, “कुछ अगुवे” होते हैं जो हमें शोर मचाने हेतु उसकाते हैं। इस तरह लोगों का दुरुपयोग करना उनका अपमान करना है। यह प्राचीन समय से चली आ रही है। संत पापा ने कहा, “इसे हम खजूर रविवार में देखते हैं। सभी लोग येसु का जयजकार करते हुए कहते हैं, “धन्य है वह जो ईश्वर के नाम में आता है।” लेकिन दूसरे ही दिन शुक्रवार को वही लोग येसु के विरूद्ध चिल्लाने लगते हैं, “उनसे क्रूस दिया जाये।” क्या होता हैॽ कुछ लोग दूसरों के दिग्भ्रमित कर देते हैं।
लोगों में झूठा दोष
संत पापा ने कहा कि संत पौलुस पर झूठे दोष लगाये जाते हैं जिससे उन्हें सजा दिलाई जा सके। इसे हम येसु, पौलुस, स्तीफन और अन्य कई शहीदों के संदर्भ में पाते हैं जो आज भी जारी है। उन्होंने कहा, “समाजिक जीवन में, राजनौतिक जीवन में जब हम कोई अच्छी चीजों को करते तो संचार माध्यमों में ये बुरे रूपों में उभर कर आते हैं। लोगों की बदनामी और उनके बारे में बुरी चीजें लिखी जाती हैं। इसके बाद न्याय की प्रकिया शुरू होती है और लोगों को सजा दिलाया जाता है।
पल्ली समुदायों की भी टीका-टिप्पणी
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हमारी पल्लियाँ भी इससे अछूते नहीं हैं। जब दो या तीन मिल जाते तो वे किसी दूसरे की आलोचना करने लग जाते हैं। इस प्रकार चुगली और दोषारोपण का दौर शुरू होता है। वे दोषारोपण करने में अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं। इस भांति वे मानसिक रुप से, अपने मनोभावों में व्यक्ति को दोषी करार देते हैं। यह हमारे मध्य विभाजन की स्थिति को दिखलाती है। यही कारण है कि मैं चुगली को हत्या करने की संज्ञा देता हूँ क्योंकि इसके द्वारा हम किसी को अपने से अलग कर देते हैं।
एकता के मार्ग में चलें
संत पापा ने कहा कि हम उस बुलाहट की याद करें जहाँ हम येसु ख्रीस्त के साथ चलने हेतु निमंतित्र किये जाते हैं। हमें उनकी राह में चलने की जरुरत है। जब हम एकता में रहते तो हम सभी येसु के उस मार्ग में चलते हैं। हम उन बातों पर ध्यान नहीं देते जो हमारे लिए उचित नहीं हैं इस भांति हम बुराई करने से बचे रहते हैं। प्रभु येसु हमें कृपा दें कि हम उनके मार्ग में सदा अग्रसर हो सकें। उनका मार्ग ही हमारे लिए एक सच्चा मार्ग है।
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