2018-05-05 15:03:00

संत पापा ने न्योकाटेक्यूमेनल वे के सदस्यों को मिशन हेतु भेजा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 5 मई 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 5 मई को, रोम के "तोर वेरगाता" विश्वविद्यालय में न्योकाटेक्यूमेनल वे के सदस्यों से मुलाकात की जो उसकी स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।

संत पापा ने उन्हें सुसमाचार को जीने एवं उसका प्रचार करने हेतु बाहर जाने की सलाह दी।

उन्होंने जयन्ती वर्ष में ईश्वर को कृतज्ञता व्यक्त करने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईश्वर को उनके प्रेम एवं निष्ठा के लिए धन्यवाद देना उचित है। हम बहुधा उनके वरदानों के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं जो अच्छा है किन्तु उससे भी अधिक अच्छा है कि हम, वे जो हैं उसके लिए धन्यवाद दें क्योंकि वे प्रेम में निष्ठावान ईश्वर हैं, उनकी अच्छाई हम पर निर्भर नहीं करती। हम कुछ भी करते हैं किन्तु ईश्वर निष्ठापूर्वक हमें प्रेम करते रहते हैं। यही हमारे लिए भरोसा का स्रोत है, हमारे जीवन के लिए महान दिलासा का स्रोत। अतः हम साहसी बनें। जब समस्याओं के बादल घिरने लगे तब हम याद करें कि ईश्वर का प्रेम निष्ठावान है जो कभी अस्त नहीं होने वाले सूर्य की तरह सदा चमकता रहता है। उनकी अच्छाईयाँ हमारी बुराईयों से अधिक शक्तिशाली हैं तथा ईश्वर के प्रेम की मधुर स्मृति हमें हर परेशानी का सामना करने में मदद देगा। 

संत पापा ने सुसमाचार प्रचार के मिशन की प्रेरिताई हेतु प्रोत्साहन देते हुए कहा कि यह आज कलीसिया की प्राथमिकता है क्योंकि मिशन का अर्थ है ईश्वर के निष्ठावान प्रेम का साक्ष्य देना। इसका अर्थ है यह घोषित करना कि प्रभु हमें प्यार करते हैं और वे हम प्रत्येक को प्रेम करने से कभी नहीं थकते। प्रेरिताई करने का अर्थ हमने जो पाया है उसे बांटना। यह येसु का आदेश है कि हम दुनिया के कोने-कोने में जाकर सभी लोगों को उनके शिष्य बनायें।

संत पापा ने कहा कि मिशन हमें जाने हेतु प्रेरित करता है किन्तु जीवन में रूकने का बड़ा प्रलोभन है, जोखिम नहीं उठाने एवं नियंत्रित परिस्थिति से संतुष्ट रहने का प्रलोभन। घर में अपने प्रिये जनों के पास रहना आसान है किन्तु यह येसु का रास्ता नहीं है। येसु अपने सभी शिष्यों को भेजते हैं, "जाओ" जो बाहर जाने का आदेश है। दुनिया के तीर्थयात्री बनकर अपने भाइयों को खोजने के लिए जो ईश्वर के प्रेम के आनन्द को अभी तक नहीं जानते हैं।   

संत पापा ने बाहर जाने के लिए त्याग करने की आवश्यकता बतलाते हुए कहा कि हम अपने साथ घर के सारे समानों को लेकर नहीं जा सकते। येसु ने गरीब रहना स्वीकार किया उसी तरह सुसमाचार का प्रचार करने वाले को त्याग करने की आवश्यकता पड़ती है। संत पापा ने कहा कि वही कलीसिया प्रभु का प्रचार अच्छी तरह कर सकती है जो त्याग करती है। वही कलीसिया जो धन एवं सत्ता से मुक्त है, विजयवाद एवं याजकवाद से मुक्ति का साक्ष्य दे सकती है कि ख्रीस्त मनुष्यों को मुक्ति प्रदान करते हैं और जो उनके प्रेम से चीजों का त्याग करना सिखती है। 
संत पापा ने मिशन हेतु एक साथ जाने की सलाह देते हुए कहा कि एक साथ चलना एक कला है जिससे हरेक को सावधान रहना चाहिए ताकि हम दूसरों के प्रयास पर दखल न दें बल्कि एक-दूसरे को साथ दें और सबका इंतजार कर सकें।

संत पापा ने कहा, "लोगों की संस्कृति एवं परम्परा से प्रेम करें। सिद्धांतों से नहीं किन्तु ठोस परिस्थिति से शुरू करें। इस प्रकार पवित्र आत्मा अपने समय एवं तरीकों के अनुसार सुसमाचार के प्रचार को सुनिश्चितता प्रदान करेगा। कलीसिया विभिन्न प्रकार के लोगों, उनके वरदानों एवं विशिष्ठताओं द्वारा अपने स्वरूप में विकसित होगी। 
संत पापा ने सभी सदस्यों को सलाह दी कि वे प्रभु के प्रेमी निष्ठा पर विश्वास करते हुए उन पर कभी भरोसा न खोयें। 

 








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