2018-04-16 14:27:00

मानव शरीर के प्रति सकारात्मक विचार रखें, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 अप्रैल 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 अप्रैल को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"

पास्का के इस तीसरे रविवार के केंद्र में पुनर्जीवित ख्रीस्त का अनुभव है जिसको शिष्यों ने एक साथ पाया था। इस सुसमाचार पाठ को विशेष रूप से प्रकाशित किया गया है जो हमें पुनः एक बार ऊपरी कमरे को प्रस्तुत करता है जहाँ येसु ने अपने आपको को शिष्यों के लिए प्रकट किया था तथा इन शब्दों से उनका अभिवादन किया, "तुम्हें शांति मिले।" (लूक.24:36) संत पापा ने कहा कि यह पुनर्जीवित ख्रीस्त का अभिवादन है जो हमें शांति प्रदान करते हैं। "तुम्हें शांति मिले।" यह आंतरिक शांति प्रदान करने वाली और लोगों के बीच संबंध स्थापित करने वाली शांति है। सुसमाचार लेखक संत लूकस द्वारा प्रस्तुत की गयी घटना में पुनरूत्थान की यथार्थता पर बहुत अधिक बल दिया गया है। येसु अपदूत नहीं हैं। वास्तव में, यह येसु की आत्मा का दिव्यदर्शन नहीं है किन्तु पुनर्जीवित शरीर के साथ उनकी सच्ची उपस्थिति है। 

संत पापा ने घटना की व्याख्या करते हुए कहा, "येसु ने यह अनुभव किया कि शिष्य उन्हें देखकर विस्मित एवं भयभीत थे क्योंकि पुनर्जीवित होने की वास्तविकता उनके समझ से परे थी। उन्हें लगा कि वे कोई प्रेत देख रहे हैं किन्तु जी उठे ख्रीस्त प्रेत नहीं हैं, वे शरीर एवं आत्मा के साथ एक व्यक्ति हैं। यही कारण है कि उन्हें विश्वास दिलाने के लिए उन्होंने उन से कहा, "मेरे हाथ और पैर देखो – मैं ही हूँ। मुझे स्पर्श कर देख लो- प्रेत के मेरे जैसा हाड़-मांस नहीं होता"(पद. 39) और जब यह शिष्य को विश्वास दिलाने के लिए काफी नहीं लगा तो सुसमाचार एक दिलचस्प बात कहता है कि शिष्यों को आनन्द के मारे विश्वास नहीं हो रहा था। येसु ने उन्हें पूरी तरह विश्वास दिलाने के लिए उनसे खाने की चीज मांगा, क्या तुम्हारे पास खाने को कुछ हैं?" उन्होंने ईसा को भूनी हुई मछली का एक टुकड़ा दिया। उन्होंने उसे लिया और उनके सामने खाया।    

येसु अपने पुनरूत्थान की वास्तविता पर जोर देते हैं जो ख्रीस्तीय दृष्टिकोण को आलोकित करता है कि शरीर आत्मा के लिए कोई बाधा अथवा कैदखाना नहीं है। शरीर ईश्वर के द्वारा सृष्ट है और व्यक्ति तब तक पूर्ण नहीं है जब तक कि शरीर एवं आत्मा एक-दूसरे से संयुक्त न हों। येसु जिन्होंने मृत्यु पर विजय पायी है तथा शरीर एवं आत्मा के साथ जी उठे हैं हमें समझने में मदद देता कि अपने शरीर के प्रति हम सकारात्मक विचार रखें। यह पाप का अवसर या साधन बन सकता है किन्तु शरीर नहीं होता बल्कि हमारी नैतिक कमजोरी के कारण पाप होता है। शरीर ईश्वर का दिया हुआ एक सुन्दर वरदान है जो आत्मा के साथ संयुक्त है ताकि उनके प्रतिरूप को पूरी तरह व्यक्त कर सके। अतः हमें अपने एवं दूसरों के शरीर को सम्मान एवं सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। हमारे पड़ोसियों के शरीर पर किसी तरह का अपराध, घाव अथवा हिंसा सृष्टिकर्ता ईश्वर का उल्लंघन है। संत पापा ने खासकर, उन बच्चों, महिलाओं और वयोवृद्धों की याद की जिनके साथ बुरा-वर्ताव किया जाता है। इन लोगों के शरीर में हम ख्रीस्त के शरीर को पाते हैं। ख्रीस्त घायल हुए, अपमान एवं उपहास के शिकार हुए, कोड़े लगाये गये एवं क्रूसित कर दिये गये, किन्तु प्रेम की शिक्षा दी। प्रेम जो उनके पुनरूत्थान द्वारा पाप एवं मृत्यु से अधिक शक्तिशाली प्रमाणित हुआ है तथा उन सभी लोगों को स्वतंत्र करना चाहता है जो इस समय अपने शरीर में कैद महसूस करते हैं।

दुनिया जो कमजोर लोगों के लिए क्रूर लगती एवं भौतिकवाद जो आत्मा के लिए घुटन पैदा करती है, आज हमें सुसमाचार निमंत्रण देता है कि हम गहराई तक झांककर देखें, पुनर्जीवित ख्रीस्त से मुलाकात कर विस्मय एवं आनन्द से भर जाएँ। ईश्वर हमें सच्चा इंसान बनने के लिए बुलाते हैं जो जीवन की नवीनता को मूल्य देना एवं स्वीकार करना जानता है।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि वे हमें इस यात्रा में सहायता दें एवं विश्वासियों का आह्वान किया कि हम उनकी ममतामय मध्यस्थता में भरोसे के साथ अपने आपको सौंप दें।   

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के उपरांत उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, "आज मडागास्कर के वोहिपेनो में शहीद लुचियानो बोतोवासोआ की धन्य घोषणा हुई जो एक परिवार के पिता थे, जिन्होंने ख्रीस्त का साक्ष्य अपने जीवन के बलिदान से दिया। वे गिरफ्तार किये गये तथा प्रभु एवं कलीसिया के प्रति विश्वस्त बने रहने की चाह के कारण मार डाले गये। वे हम सबों के लिए उदारता तथा विश्वास में दृढ़ता के आदर्श हैं।"

संत पापा ने सीरिया एवं युद्ध व्याप्त देशों के प्रति गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उपकरण उपलब्ध होने के बावजूद, सीरिया एवं विश्व के अन्य देशों में शांति के पक्ष में आम कदम लेने में सहमति मुश्किल पड़ रही है। जब मैं शांति के लिए लगातार प्रार्थना कर रहा हूँ, भली इच्छा रखने वाले सभी लोगों का आह्वान करता हूँ कि वे भी प्रार्थना करते रहें।" उन्होंने सभी राजनीतिक नेताओं से अपील की कि वे न्याय एवं शांति की विजय का समर्थन करें।      

संत पापा ने इक्वाडोर एवं कोलोम्बिया में अपहरण की घटना की याद कर कहा, "बड़े दुःख के साथ मैंने तीन व्यक्तियों की हत्या की खबर सुनी जिनका अपहरण मार्च के अंत में इक्वाडोर एवं कोलोम्बिया की सीमा पर की गयी थी। मैं उनके लिए तथा उनके परिवार वालों के लिए प्रार्थना करता हूँ एवं इक्वाडोर के सभी लोगों के करीब हूँ। उन्होंने प्रोत्साहन देता हूँ कि वे एकता एवं शांतिमय तरीके से, प्रभु एवं माता मरियम की सहायता से आगे बढ़ें।"

संत पापा ने कुछ बीमार लोगों की याद की एवं उनके लिए प्रार्थना करते हुए कहा, "मैं फ्राँस के विंसेनट लाम्बर्ट, इंगलैंड के नन्हे अल्फीय एवान्स एवं अन्य लोगों को आपकी प्रार्थना चढ़ाता हूँ जो कभी-कभी गंभीर बीमारी की स्थिति में लम्बे समय तक रहते हैं तथा प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए चिकित्सा पर निर्भर करते हैं। उनकी स्थिति अत्यन्त नाजूक, दर्द भरी एवं जटिल होती है। हम सभी रोगियों के लिए प्रार्थना करते हैं कि उनकी प्रतिष्ठा का सम्मान हो तथा उनकी स्थिति के अनुसार, परिवार वालों की सहमति एवं अन्य चिकित्सा कर्मियों के सहयोग से जीवन के प्रति सम्मान के साथ उनकी देखभाल की जाए।

संत पापा ने स्वर्ग की रानी प्रार्थना के लिए एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन करते हुए कहा, "मैं सस्नेह आप सभी का अभिवादन तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ जो इटली एवं विश्व के अन्य हिस्सों से यहाँ एकत्रित हैं, खासकर, कलीफोरनिया, साथ ही साथ अरलूनो, पोंतेलूनगो, स्कनडीची, जेनोवा-पेलिई तथा विबो वालेनतिया, "येसु की पुत्रियाँ" स्कूल के बच्चे तथा पेस्कारा के पौल षष्ठम "अमीची" दल।"   

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगल- कामनाएं अर्पित की। 








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