2018-04-11 16:03:00

बपतिस्मा संस्कार पर संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 04 अप्रैल 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को बपतिस्मा संस्कार पर अपनी धर्मशिक्षा देते हुए कहा, प्रिय भाई एवं बहनों, सुप्रभात।

पास्का अवधि के पचास दिन हमें अपने ख्रीस्तीय जीवन पर चिंतन करने हेतु एक अवसर प्रदान करता है क्योंकि इस अवधि में हम जीवन के स्वभाविक प्रवाह को देखते हैं जो येसु ख्रीस्त द्वारा हमारे लिए आता है। संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम वास्तव में ख्रीस्तियों के रुप में अपने जीवन में येसु ख्रीस्त को एक निवास स्थान देते हैं। अतः हम अपने इस आत्मज्ञान की शुरूआत कहाँ से करें, क्या हम इसकी शुरूआत संस्कारों से कर सकते हैं जिसके द्वारा ख्रीस्तीय जीवन की ज्योति हममें प्रज्जवलित हुई हैॽ उन्होंने कहा, “यह बपतिस्मा संस्कार है। यह ख्रीस्त का पास्का है जो हमें नवीन बनाता जहाँ हम बपतिस्मा संस्कार के द्वारा उनके प्रतिरुप बन जाते हैं। बपतिस्मा प्राप्त, येसु ख्रीस्त के वे लोग हैं जिनके जीवन का मालिक स्वयं येसु ख्रीस्त हैं। बपतिस्मा संस्कार ख्रीस्तीय जीवन का मूलभूत आधार है। यह संस्कारों में प्रथम है जो हमारे लिए प्रवेश द्वार बनता है जिसके द्वारा येसु ख्रीस्त हमारे व्यक्तिगत जीवन में प्रवेश करते और हम उनके जीवन रहस्यों में तल्लीन हो जाते हैं।  

संत पापा ने कहा कि इब्रानी भाषा में “बपतिस्मा” का अर्थ “डूबोना” है। इस विधि के अनुरूप जल से विश्वासियों का स्नान देना, जो अलग-अलग विश्वास के आधार पर शुद्धिकरण को व्यक्त करता है जिसके द्वारा हम एक पुराने जीवन का परित्याग कर नये जीवन की शुरूआत करते हैं। लेकिन हम ख्रीस्तियों के लिए पानी में शरीर का डूबोना येसु ख्रीस्त में हमारी आत्मा को डूबोना है जिसके फलस्वरूप हम अपने पापों से मुक्त किये जाते और दिव्य ज्योति से जगमगाने लगते हैं। पवित्र आत्मा की कृपा द्वारा बपतिस्मा संस्कार के द्वारा हम येसु ख्रीस्त की मृत्यु और पुनरुत्थान में सम्मिलित होते हुए अपने पापों के कारण मर जाते जो हमें ईश्वर से अलग करता तथा येसु ख्रीस्त में एक नया जीवन प्राप्त करते हैं। मक्तिदाता येसु ख्रीस्त में आदम की संतान स्वरुप हम सभी नये जीवन की शुरुआत करने हेतु बुलाये जाते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त द्वारा अपने चेलों को कही गई अंतिम वाक्य की याद करें, “तुम लोग जा कर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।” (मत्ती. 28.19) इस तरह येसु ख्रीस्त में विश्वास के साथ बपतिस्मा ग्रहण करने वाले पवित्र आत्मा के कृपादानों से विभूषित किये जाते हैं।

वास्तव में, यह कोई भी बपतिस्मा का जल नहीं वरन पवित्र आत्मा के वारदानों से परिपूर्ण जल “जीवन का स्रोत” बनता है। संत पापा ने कहा कि हम येसु के द्वारा निकोदेमुस को कही गई बातों की याद करें जहाँ वे उसे दिव्य जीवन में जन्म लेने की बात कहते हैं, “जब तक कोई जल और पवित्र आत्मा से जन्म न ले, तब तक वह ईश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता है। जो देह से उत्पन्न होता है, वह देह है और जो आत्मा से उत्पन्न होता है वह आत्मा है।”(यो.3.5-6) यही कारण है कि बपतिस्मा संस्कार को हम “पुनर्जन्म” की संज्ञा देते हैं। इस भांति हम यह विश्वास करते हैं कि ईश्वर ने हमें “अपनी करूणा में, जल के द्वारा जो पवित्र आत्मा में नवजीवन प्रदान करता है” हम सबों को बचा लिया है। (तीतु.3.5)

संत पापा ने कहा कि बपतिस्मा इस तरह पुनर्जन्म की एक प्रभावशाली निशानी है जिसके द्वारा हम नये जीवन में चलने हेतु बुलाये जाते हैं। संत पौलुस रोमियों के नाम अपने प्रेरितिक पत्र में कहते हैं, “क्या आप लोग यह नहीं जानते कि ईसा मसीह का जो बपतिस्मा हम सब को मिला है, वह उनकी मृत्यु का बपतिस्मा हैॽ हम उनकी मृत्यु का बपतिस्मा ग्रहण कर उनके साथ इसलिए दफनाये गये हैं कि जिस तरह मसीह पिता के सामर्थ्य से मृतकों में से जीव उठे हैं. उसी तरह हम भी एक नया जीवन जीयें।”(रोमि. 6.3-4)

बपतिस्मा में येसु ख्रीस्त के साथ तल्लीन होना हमें कलीसिया के शरीर का अंग बनाता है जो स्वयं येसु ख्रीस्त का शरीर है और इस भांति हम विश्व में उनके प्रेरितक कार्य के सहभागी होते हैं। जीवन का झरना जो बपतिस्मा संस्कार के द्वारा हमारे जीवन में प्रवाहित होता है येसु के इन शब्दों में हमारे लिए व्यक्त किया गया है, “मैं दाखलता और तुम डालियाँ हो, जो मुझ में रहता और मैं जिस में रहता हूँ वह अधिक फल देता है।” (यो.15.5) यह जीवन पवित्र आत्मा में बपतिस्मा प्राप्त करने वालों के लिए प्रवाहित होता और उन्हें येसु ख्रीस्त में एक शरीर बनता है। (1कुरि.12.13)

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि बपतिस्मा हमें येसु ख्रीस्त को अपने जीवन में और अपने को उनके जीवन सम्मिलित करते हुए जीवनयापन करते हैं, इस तरह हम अपनी परिस्थिति के अनुसार कलीसिया के साथ सहयोग करते हुए विश्व को परिवर्तित करने में हाथ बंटाते हैं। बपतिस्मा संस्कार को एक बार ग्रहण करना हमारे सम्पूर्ण जीवन को प्रकाशित करता है और हम अपने अनंत निवास स्वर्ग राज्य, येरुसलेम की ओर अग्रसर होते हैं। बपतिस्मा संस्कार हमारे विश्वास की यात्रा के बारे में कहता है जिसे हम दीक्षार्थी के रुप में देखते जो व्यस्क बपतिस्मा की मांग करता है, लेकिन हम बच्चों के बपतिस्मा को भी पाते हैं जो प्राचीन समय से प्रचलित है जहाँ माता-पिता के विश्वास के कारण बच्चों को बपतिस्मा दिया जाता है। बपतिस्मा हम सभों के लिए ईश्वर की ओर से मिलने वाला मुफ्त वरदान है लेकिन जैसा एक बीज के साथ होता है, यह उपहार हमारे विश्वास रुपी भूमि में जन्मता और फलता-फूलता है। संत पापा ने कहा कि बपतिस्मा की प्रतिज्ञाएं जिन्हें हम हर साल पास्का जागरण में दुहराते हैं हमारे प्रति दिन के जीवन में नवीकृत हो जिससे हम इसके द्वारा सही अर्थ में एक दूसरा ख्रीस्त बन सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासी समुदाय का अभिवादन किया।

उन्होंने विशेष रुप से युवाओं, बुजुर्गों, बीमारों और नव विवाहितों की याद की। पास्का की घोषणा आप के दिलों में प्रज्जवलित होती रहे जिससे आप येसु ख्रीस्त की कृपा को अपने जीवन में  अनुभव करें और उनकी शिक्षा से जुड़े रहें।   

इतना कहने के बाद संत पापा ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ हे हमारे पिता प्रार्थना का पाठ किया और सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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