2018-04-07 14:41:00

‘कम्युनिते दे इम्मानुएल’ के सदस्यों को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार 7 अप्रैल 2018 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार पूर्वाहन को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में ‘कम्युनिते दे इम्मानुएल’ संगठन के 300 सदस्यों से मुलाकात की, जो रोम की तीर्थयात्रा पर आये हुए हैं।

संत पापा ने उनका सहर्ष स्वागत किया तथा पूरी काथलिक कलीसिया के प्रति उनकी सहानुभूति और सहयोग तथा उनकी मिशनरी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया और भविष्य में भी इसे जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

संत पापा ने कहा कि ‘इम्मानुएल समुदाय’ को गत वर्ष 15 अगस्त को पुरोहितों के संगठन के रुप में मान्यता मिली, क्योंकि इस समुदाय में पुरोहितों की संख्या बहुत बढ़ गई और अपने प्रेरितिक कार्यों द्वारा ख्रीस्तीय धर्मप्रचार को बढ़ावा मिला है। संत पापा उमीद करते हैं कि 40 वर्षों से अधिक पुरोहितों के संगठन  ‘इम्मानुएल समुदाय’ के अनुभव को देखते हुए उनको दी गई मान्यता उन्हें पवित्र जीवन और लोक धर्मियों के करीब रहते हुए तथा अन्य धर्मप्रांतीय पुरोहितों को सहारा देते हुए जीवन में तालमेल बैठाने में सहायक सिद्ध होगा। संत पापा उन्हें पल्ली पुरोहित के साथ, पल्ली के प्रेरितिक कार्यों में तथा पल्ली की कलीसिया के साथ एकजुट होकर सुसमाचार प्रचार में लगे रहने हेतु आमंत्रित किया। (एवांजेली गौदियुम, 29)

संत पापा ने इस संगठन ‘इम्मानुएल अर्थात ‘ईश्वर हमारे साथ’ समुदाय’ के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस समुदाय की शुरुआत सुसमाचार को खुशी पूर्वक जीने और प्रचार करने के लिए की गई थी। संत पापा उनसे अपील करते हुए कहते हैं, “आप हर परिस्थिति में और हर व्यक्ति में ईश्वर की उपस्थिति को पहचानें। आप पवित्र आत्मा की आवाज को सुनते हुए प्रभु येसु में अपने आध्यात्मिक जीवन को मजबूत बनायें वे ही हमारे कमजोर क्षणों में हमें मदद करते और हर प्रकार की परीक्षाओं से बाहर निकलने की शक्ति प्रदान करते हैं। कठिनाईसों के बावजूद आप सुसमाचार प्रचार और मिशनरी कार्यों को करते हुए आनंद का अनुभव करें। कलीसिया को आप पर भरोसा है पवित्र आत्मा की प्रेरणा से आप अपने वचनों, कर्मों और जीवन साक्ष्य द्वारा सुसमाचार का प्रचार करें।”

संत पापा ने उन्हें पवित्र आत्मा द्वारा संचालित जीवन जीने के लिए प्रेरित किया क्योंकि  पवित्र आत्मा के द्वारा निर्देशित होने की इजाजत देने के अलावा कोई बड़ी स्वतंत्रता नहीं है। वह हमें उजागर करता और अपनी इच्छानुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

संत पापा ने अंत में माता मरिया के सिपुर्द करते हुए पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में अपने कार्यों की जारी रखने हेतु शुभ कामनायें दी और अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। संत पापा ने अपने लिए प्रार्थना की मांग करते हुए उनसे विदा ली।








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