2018-03-22 16:17:00

भारतीय धर्माध्यक्षों द्वारा अप्रैल को 'दलित इतिहास माह' के रूप में मनाने हेतु आमंत्रण


  नई दिल्ली, बृहस्तपतिवार 22 मार्च 2018 (एशियान्यूज) : भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों ने विश्वासियों से अप्रैल को 'दलित इतिहास माह' के रूप में मनाने हेतु अपील की है।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जातियों के कार्यालय द्वारा प्रेषित पत्र में कहा गया है कि "मुक्ति के लिए कट्टरपंथी संघर्ष और दलित सशक्तिकरण के लिए अपनी ज़िंदगी का बलिदान करने वाले सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं को मनाने के लिए अप्रैल सबसे महत्वपूर्ण अवधि" है।

अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जातियों के कार्यालय के सचिव फादर देवसहायराज "प्रेरणा के इस अनमोल समय पर दलित नेताओं की स्पष्ट और रोजमर्रा के योगदान की याद करने हेतु हर किसी से आग्रह करते हैं।"

इसके लिए, कार्यालय ने उन जीवित या मृत दलितों की छोटी आत्मकथाएं भेजने का सुझाव दिया, जिन्होंने ‘अछूतों’ की स्थिति में सुधार करने के लिए काम किया है।

कार्यालय को उस व्यक्तियों के परिचय और उनके पुरस्कार के बारे में परिचय, उसके द्वारा किए गए संघर्षों और अभियानों के बारे में जानकारी और एक पासपोर्ट आकार के फोटो की आवश्यकता है। समय सीमा 25 मार्च है।

यह व्यक्तिगत रुप से किया जा सकता है या इ-मेल के जरिये भी किया जा सकता है : cbciscst@gamil.com, dalitsinlimbo@gamil.com. भारत में दलित या अछूत, सदियों से हाशिए पर रखे गए हैं और देश की जातिय श्रेणी के तहत चार सामाजिक वर्गों के बाहर उन्हें रखा गया है।

इस कठोर व्यवस्था के कारण, दलित केवल मानव कचरे को इकट्ठा करने जैसे सबसे अधिक गंदा और अपमानजनक काम को सोच सकता था। भारत के संविधान ने जाति विभाजन को खत्म करने के बाद भी, दलित विरोधी भेदभाव समाज में निहित है।








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