2018-03-21 17:12:00

परमप्रसाद पर संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 21 मार्च 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को पवित्र यूखारिस्तीय बलिदान के दौरान परमप्रसाद पर अपनी धर्मशिक्षा को आगे बढ़ाने से पहले कहा, प्रिय भाई एवं बहनों, सुप्रभात

आज वसंत ऋतु का प्रथम दिन है। आप सभों को वसंत ऋतु मुबारक हो। संत पापा ने कहा कि  वसंत ऋतु में क्या होता हैॽ पेड़-पौधे खिलते हैं। संत पापा फ्रांसिस ने कहा, “मैं आप लोगों से कुछ सावल का जबाव सुनना चाहूँगा।” यदि कोई पेड़ बीमार है तो क्या उसमें फूल या फल लगते हैंॽ विश्वासी समुदाय ने उत्तर दिया,“नहीं”। यदि कोई वृक्ष जिसे पानी नहीं मिलता हो या जो कृत्रिम हो अपने में खिल सकता हैॽ “नहीं”। वह वृक्ष जिसे हम जड़ से उखाड़ दिये हैं अपने में विकसित हो सकता हैॽ यदि उसमें जड़ न हो तो क्या वह प्रस्फुटित हो सकता है, “नहीं”। संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए एक संदेश है। हमारे ख्रीस्त जीवन क्या यह अपने में विकसित हो सकता हैॽ हमारा जीवन हमारे करुणा के कार्यों, दूसरों की भलाई में फलते-फूलते हैं लेकिन इसमें यदि जड़ का अभाव हो, तो यह अपने में विकसित नहीं होता है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए जड़ कौन हैंॽ” “येसु ख्रीस्त हमारी जड़ हैं।” यदि हम येसु से संयुक्त नहीं हैं तो हम अपने में फल-फूल नहीं सकते हैं। यदि हम अपने जीवन को प्रार्थना और संस्कारों से पोषित नहीं करते तो हमारे जीवन में ख्रीस्तीयता के फूल नहीं खिलते हैं। उन्होंने कहा कि प्रार्थना और संस्कार ख्रीस्तीय जीवन को सींचते हैं जिससे हमारा जीवन विकसित होता है। संत पापा ने सभों को अपनी शुभकामनाएं प्रदान करते हुए कहा,“इस वसंत ऋतु में आप का जीवन फूले-फूलें, आप के जीवन में पास्का के फूल खिले। आप अपने गुणों में, अच्छे कार्यों में विकसित हों और दूसरों की भलाई करें। उन्होंने तीर्थयात्रियों और विश्वासी समुदाय से पूछा, “क्या आप इस बात को समझते हैं।” उन्होंने कहा कि आप इस बात तो याद रखें जो मेरे देश की बहुत ही सुन्दर कहावत है, “पेड़ में फूलों का आना जड़ों पर निर्भर करता है।”  आप येसु ख्रीस्त रुपी जड़ से अलग न हो।  

इसके बाद संत पापा ने पवित्र यूखारिस्त पर अपनी धर्मशिक्षा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मिस्सा बलिदान की धर्मविधि जहाँ हम एक साथ सहभागी होते हैं हमें येसु ख्रीस्त से संयुक्त करता है। हम येसु के संग अपने को यह कहते हुए संयुक्त नहीं कर सकते हैं, “येसु मैं आप के साथ आध्यात्मिक रुप से संयुक्त होना चाहता हूँ।” हम येसु के साथ उनके शरीर और रक्त के रुप में अपने को संयुक्त करते हैं। यूखारिस्त समारोह में सहभागी होते हुए हम अपने को येसु ख्रीस्त से पोषित होने देते हैं जो वेदी से हमें शब्द और संस्कार दोनों रुपों में हमें अपने को देते हैं। येसु स्वयं हमें कहते हैं, “जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है वह मुझमें रहता है और मैं उसमें।” (यो. 6.56) वास्तव में येसु ख्रीस्त जिन्होंने अपने को अंतिम व्यारी के समय अपने शरीर और रक्त के रुप में  अपने को, चेलों को दिया आज भी हमें पुरोहितों और उपयाजकों के प्रेरितिक कार्यों द्वारा अपने आप को देते हैं।

मिस्सा बलिदान में पवित्र रोटी तोड़ने के बाद पुरोहित विश्वासियों को येसु ख्रीस्त के शरीर को दिखलाते हुए निमंत्रण देते हैं कि वे यूखारिस्तीय भोज में सहभागी हों। हम उन वाक्यों को अपने कानों में झंकृत होते सुनते हैं, “देखिए ईश्वर का मेमना जो संसार के पाप हर लेता है, धन्य हैं वे जो प्रभु के इस भोज में बुलाये जाते हैं।” प्रकाशाना ग्रंथ का एक पद हमें कहता है, “धन्य हैं वे जो मेमने के विवाह भोज में सम्मिलित होते हैं।” (प्रका.19.9) यह इसलिए क्योंकि येसु ख्रीस्त विवाह भोज के दुल्हे हैं जो हमें निमंत्रण देते हैं जिससे हम उनकी अंतरिक खुशी, पवित्रता और एकता में सहभागी हो सकें। यह निमंत्रण हमें आनंदित करता और हमें जीवन में विश्वास से प्रकाशित कर अपने अतांरात्मा की जाँच हेतु मदद करता है। यहां हम एक तरफ अपने को येसु ख्रीस्त में उनकी पवित्रता के भागीदार पाते तो दूसरी ओर हम यह विश्वास करते हैं कि “उन्होंने हमारे पापों के खातिर अपना लोहू बहाया।” संत पापा ने कहा, “हमें बपतिस्मा में अपने पापों से मुक्ति मिली है और जब हम पापस्वीकार संस्कार में सहभागी होते तो हमें अपने पापों से मुक्ति मिलती है।” उन्होंने कहा कि हम यह न भूलें कि येसु ख्रीस्त हमें सदैव क्षमा करते हैं। वे हमारे पापों से क्षमा देते हुए नहीं थकते हैं। हम अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हुए थक जाते हैं। पवित्र लोहू के मुक्तिदायी मूल्य बारे में संत आम्बोस कहते हैं, “मैं जो हमेशा पाप करता हूँ, मुझे दवाई से छुटकारना प्राप्त करना चाहिए।” इस तरह विश्वास में हम अपनी नजरें मेनने की ओर उठाते हुए कहते हैं,“हे प्रभु मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आयें किन्तु एक शब्द कह दीजिए और मेरी आत्मा चंगी हो जायेगी।” हम अपने रोज दिन के मिस्सा बलिदान में इन वचनों को दुहराते हैं।

यदि हम येसु के साथ मिलने की चाह रखते हैं तो हमें येसु की बलिवेदी की ओर आने की आवश्यकता है और वास्तव में देखा जाये तो येसु ख्रीस्त हमसे मिलने हेतु अपनी ओर से पहल करते हैं। यह येसु ख्रीस्त से हमारी मुलाकात है। येसु ख्रीस्त को यूखारिस्तीय बलिदान में ग्रहण करने का अर्थ हमारे लिए अपने को परिवर्तित करना है। येसु को अपने जीवन में ग्रहण करने की बात को समझते हुए संत आगुस्टीन उनके द्वारा प्राप्त प्रकाशना को व्यक्त करते हैं, “मैं वह महान भोजन हूँ। तुम मुझे ग्रहण करो। तुम मुझे अपने में परिणत नहीं करते जैसा कि तुम्हारे शरीर के लिए भोजन है वरन तुम मुझमें परिवर्तित किये जाते हो।” संत पापा ने कहा, “जब कभी हम येसु ख्रीस्त को अपने जीवन में ग्रहण करते हैं तब हम उनकी तरह बनते, हम अपने को येसु ख्रीस्त में और अधिक परिवर्तित पाते हैं।” जिस तरह रोटी और दाखरस येसु के शरीर और रक्त में बदल जाता है उसी भाँति जो उन्हें ग्रहण करते वे अपने विश्वास के कारण यूखारिस्त में सजीव बन जाते हैं। पुरोहित येसु के शरीर को हमें देते हुए कहते हैं, “ख्रीस्त का शरीर” और इसके जवाब में हम कहते हैं आमेन। इसका अर्थ हमारे लिए यही है कि हम येसु ख्रीस्त की कृपा को अपने जीवन में पहचानते जो निष्ठा में हमें अपनी तरह बनाने को कहते हैं क्योंकि उन्हें गहृण करने के द्वारा हम उनका शरीर बन जाते हैं। संत पापा ने कहा, “यह कितनी सुन्दर बात है, हमारे लिए अति सुन्दर है।” येसु के साथ जुड़ने के द्वारा हम अपने स्वार्थ का परित्याग करते हुए अपने को दूसरों के साथ संयुक्त करते हैं जो येसु ख्रीस्त मे एक हैं।

माता कलीसिया इस बात पर जोर देती है कि विश्वासी येसु ख्रीस्त के शरीर को पवित्र परमप्रसाद के रुप में ग्रहण करें। कलीसिया की रीति के अनुसार विश्वासी पवित्र मिस्सा में तीर्थयात्रा के रुप में सहभागी होते हुए अपनी सुविधा के अनुसार येसु ख्रीस्त को अपने मुख या हाथों में ग्रहण कर सकते हैं। प्ररमपसाद की धर्म विधि के उपरान्त हम येसु के साथ अपने हृदय में शांतिमय ढ़ग से वार्ता करते हैं। उपयुक्त गीतों का भजन करना हमें येसु संग वार्ता करने में हमारी मदद करता है।

यूखारिस्तीय धर्मविधि की समाप्ति धन्यवाद के द्वारा होती है जहाँ पुरोहित सभों की ओर से ईश्वर को कृतज्ञता अर्पित करते हुए निवदेन करते हैं कि हमें जो उपहार ग्रहण किया है वह हमारे जीवन को परिवर्तित करे। यूखारिस्त हमें जीवन में एक अच्छा ख्रीस्तीय की भांति अच्छा फल उत्पन्न करने हेतु मजूबती प्रदान करता है। संत पापा ने कहा, “हम यूखारिस्त बलिदान में सम्मिलित हों, जिससे हम येसु ख्रीस्त को अपने जीवन में ग्रहण कर सकें जो हमारे जीवन में परिवर्तन लाते और हमें सबल बनाते हैं। ईश्वर महान हैं वे कितने अच्छे हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने विशेष रुप से युवाओं, बीमारों और नव विवाहितों की याद की। उन्होंने कहा कि हम चालीसा काल की समाप्ति करने वाले हैं। हम पापस्वीकार संस्कार में येसु से अपने पापों की क्षमा याचना करने हेतु न थकें। आप अपने दुःख तकलीफ में येसु ख्रीस्त के क्रूस संग सदा संयुक्त रहें।

 इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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