2018-03-20 16:26:00

सिनॉड के पूर्व आयोजित सभा में संत पापा द्वारा युवाओं के सवालों का उत्तर


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 20 मार्च 2018 (वाटिकन न्यूज)˸ संत पापा फ्राँसिस ने युवाओं के लिए होने वाले सिनॉड की तैयारी में आयोजित सभा में उपस्थित युवाओं के पाँच महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर दिया।

सोमवार को संत पापा ने विश्व के युवाओं की विभिन्न समस्याओं पर पूछे गये सवालों के उत्तर दिये। 

मानव तस्करी के शिकार लोगों की मदद युवा कैसे कर सकते हैं?

संत पापा इस सवाल से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने सवाल का उत्तर देते हुए मानव तस्करी की शिकार एक महिला की याद की जिसने अपने तस्करों के चंगुल से मुक्त होने के लिए खतरनाक जोखिम उठाया था। संत पापा ने इस शोषण एवं अत्याचार को ̎आधुनिक दासता ̎ की संज्ञा दी। संत पापा ने महिलाओं के शोषण की कड़ी निंदा की खासकर, उन्होंने उन ख्रीस्तीयों की आलोचना की जो वेश्याओं के लिए भुगतान करते हैं। उन्होंने उसे मानवता के विरूद्ध अपराध कहा। उन्होंने युवाओं को निमंत्रण दिया कि वे महिलाओं की प्रतिष्ठा के लिए संघर्ष करें। संत पापा ने उन सभी काथलिकों की ओर से क्षमा की याचना की जो इस तरह के अपराध से जुड़े हैं। 

जीवन में चुनाव करने के लिए, एक युवा, मार्गदर्शन हेतु किनके पास जाएँ?  

संत पापा ने एक फ्राँसीसी युवा के सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि वे प्रज्ञापूर्ण व्यक्तियों से सलाह लें, चाहे वे युवा हों अथवा बुजूर्ग। एक बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो किसी चीज से भय नहीं रखता किन्तु सुनना जानता है तथा जिन्हें ईश्वर द्वारा सही समय पर सही चीज बोलने का वरदान मिला है। संत पापा ने चेतावनी दी कि जब युवा आत्मजाँच के रास्ते को खो देते हैं वे अपने आपको बंद कर देने के खतरे में पड़ जाते हैं। यह अपने अंदर कैंसर को ढोने के समान है जो उन्हें दबा सकता एवं उनकी स्वतंत्रता नष्ट कर सकता है।   

युवाओं को किस तरह अपने पड़ोसियों के प्रति खुला एवं पारदर्शी होने के लिए सिखाया जा सकता है?

इस सवाल के उत्तर में संत पापा ने कहा कि शिक्षा तीन आधारभूत भाषाओं को सिखला सकती है- सिर, हृदय एवं हाथ की भाषा। सिर की भाषा का अर्थ है अच्छी तरह विचार करना एवं ठोस चीजों को सीखना। हृदय की भाषा का अर्थ है भावनाओं एवं एहसासों को समझना। हाथ की भाषा का अर्थ है ईश्वर प्रदत्त वरदानों का प्रयोग नये चीजों के निर्माण में करना। संत पापा ने तीनों चीजों को एक साथ प्रयोग करने की सलाह दी। उन्होंने आज की डीजिटल दुनिया में ̎एकाकी स्वाभाव ̎ की आलोचना की जबकि तकनीकी को दोष देने के बजाय उसके सही प्रयोग पर जोर दिया ताकि स्वतंत्रता लायी जा सके।

वर्तमान संस्कृति की जटिलताओं के उत्तर में एक युवा किस तरह पुरोहिताई की तैयारी कर सकता है, उदाहरण के लिए टैटू?

संत पापा ने इस सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि वे पुरोहित को ख्रीस्त के एक साक्षी के रूप में देखें। उन्होंने कहा कि याजकवाद कलीसिया की एक बीमारी है क्योंकि यह पुरोहित की मूल भूमिका को शासक के प्रबंधकीय भूमिका के साथ मिला देता है। संत पापा ने पुरोहित एवं समुदाय के बीच संबंध पर भी प्रकाश डालते हुए कहा यह गपशप के द्वारा नष्ट हो जाता है। टैटू के सवाल पर उन्होंने याद किया कि कई संस्कृतियों ने इसका प्रयोग अपनी पहचान अलग बनाने के लिए किया था। अतः उन्होंने टैटू से नहीं डरने की सलाह दी किन्तु साथ ही उसके अतिशयोक्ति से भी बचने का परामर्श दिया।

समाज में प्रधानता की संस्कृति एवं अपने मिशन को पूरा करने में आध्यात्मिक जीवन को एक युवा महिला धर्मसमाजी किस तरह संतुलित रख सकती है? 

संत पापा ने इस आखरी सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि धर्मसमाजी जीवन में पूर्ण प्रशिक्षण चार स्तम्भों पर निर्मित किया जाना चाहिए, ̎बौद्धिक, सामुदायिक, प्रेरितिक एवं आध्यात्मिक प्रशिक्षण।̎ केवल आध्यात्मिक प्रशिक्षण प्राप्त करना, व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर बना देगा।̎ उन्होंने कहा कि कई बार युवा धर्मसमाजियों को दुनिया से बचाने का प्रयास किया जाता है जबकि यह सही सुरक्षा नहीं है। यह एक विकृत प्रशिक्षण है। जिन्होंने पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है वे ही हैं जिनका अंत बुराई से होता है। संत पापा ने कहा कि भावनात्मक परिपक्वता में बढ़ने देना ही उनकी रक्षा का एकमात्र रास्ता है।








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