2018-03-20 16:05:00

धर्माध्यक्षों का पहला कर्तव्य है प्रार्थना करना, संत पापा


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 20 मार्च 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 19 मार्च को, तीन धर्माध्यक्षों का धर्माध्यक्षीय अभिषेक सम्पन्न किया।

धर्माध्यक्षीय अभिषेक समारोह के दौरान अपने प्रवचन में उन्होंने कलीसिया के धर्माध्यक्षों के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ̎ प्रभु येसु ख्रीस्त जो पिता द्वारा मानव की मुक्ति के लिए भेजे गये थे, उन्होंने बारह प्रेरितों को दुनिया में भेजा ताकि वे पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर लोगों के बीच सुसमाचार का प्रचार कर सकें तथा उन्हें एक ही चरवाहे के झुण्ड में एकत्रित कर सकें, उन्हें पवित्र करें और मुक्ति के मार्ग पर आगे ले चलें। 

इस प्रेरितिक मिशन को पीढ़ी दर पीढ़ी चिरास्थायी बनाने के लिए, बारहों ने अन्य लोगों को चुना तथा उनपर हाथ रखकर ख्रीस्त द्वारा प्राप्त पवित्र आत्मा को हस्तंतरित करते हुए उन्हें संस्कारों के अनुष्ठान की जिम्मेदारी सौंपी। इस प्रकार कलीसिया की जीवित परम्परा में धर्माध्यक्षों के निरंतर उतराधिकार द्वारा प्रथम मिशन को सुरक्षित रखा गया है और मुक्तिदाता का कार्य जारी है एवं समय के अनुसार बढ़ रहा है। एक धर्माध्यक्ष अपने पुरोहितों के बीच महापुरोहित ख्रीस्त के समान होता है।    

संत पापा ने कहा, ̎ निश्चय ही, धर्माध्यक्ष के मिशन में ख्रीस्त मुक्ति के सुसमाचार की घोषणा करना जारी रखते तथा विश्वास के संस्कारों द्वारा विश्वासियों को पवित्र करते हैं। धर्माध्यक्ष में ख्रीस्त ही भ्रातृत्व को विकसित करते हैं। धर्माध्यक्ष की प्रज्ञा एवं विवेक द्वारा ख्रीस्त ही लोगों को पृथ्वी की तीर्थयात्रा से अनन्त आनन्द प्राप्त करने हेतु पिता की ओर ले चलते हैं।

संत पापा ने विश्वासियों से अनुरोध किया कि वे इन नये धर्माध्यक्षों का स्वागत करें जिनका अभिषेक धर्माध्यक्षों ने उनपर हाथ रखकर पवित्र आत्मा का आह्वान करते हुए किया है।

संत पापा ने नव-अभिषिक्त धर्माध्यक्षों को सम्बोधित कर कहा कि वे जो प्रभु द्वारा चुने गये हैं, वे लोगों के बीच में से, लोगों के लिए चुने गये हैं। वे ईश्वर के संबंधित वस्तुओं के लिए नियुक्त किये गये हैं न कि पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा अथवा राजनीतिक जीवन जैसे अन्य चीजों के लिए। वास्तव में, धर्माध्यक्ष सेवा का नाम है न कि सम्मान का। जूँकि धर्माध्यक्ष प्रशासन से अधिक सेवा के लिए उत्तरदायी हैं, प्रभु के आदेश अनुसार, जो सबसे बड़ा है वह सबका सेवक बने, और जो शासन करता है वह सेवक के समान हो, वे राजकुमार बनने के प्रलोभन से बचकर रहें।

संत पापा ने कहा कि वे हर अवसर में ईशवचन की घोषणा करें, चाहे वह समयानुकूल हो अथवा प्रतिकूल। धर्मशिक्षा एवं उदाता के साथ विश्वासियों को चेतायें, सावधान करें एवं उनका आह्वान करें। अपने लोगों के लिए प्रार्थना तथा बलिदान अर्पित करते हुए ख्रीस्त की कृपा के माध्यम बनें। धर्माध्यक्ष का पहला कर्तव्य है प्रार्थना करना। हेलेनिस्ट की विधवाओं ने जब प्रेरितों से शिकायत की कि उनकी उपेक्षा की जा रही है तो उन्होंने एक साथ प्रार्थना करते हुए पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से उपयाजकों का चुनाव किया।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा कि वे कलीसिया में ख्रीस्त के रहस्यों के विश्वस्त संरक्षक एवं अनुष्ठाता बनें जो अपने परिवार (कलीसिया) के शीर्ष, पिता द्वारा सौंपा गया है। वे भले चरवाहे का अनुसरण करें जो अपनी भेड़ों को जानते हैं और उन्हें अपना जीवन तक निछावर करने से नहीं हिचके।

संत पापा ने उन्हें सभी विश्वासियों को पिता एवं भाई के स्नेह से प्यार करने की सलाह दी जिन्हें ईश्वर ने उन्हें सौंपा है। सबसे पहले उन्हें पुरोहितों, उपयाजकों एवं अपने सहयोगियों को प्यार करने एवं उनके नजदीक रहने का परामर्श दिया। उन्होंने धर्माध्यक्षों को गरीबों, असहाय एवं जरूरतमंद लोगों के भी करीब रहने की सलाह दी।

इतना ही नहीं संत पापा ने अपने आस-पास कलीसिया के बाहर के लोगों का भी ध्यान रखने का आग्रह किया क्योंकि वे भी प्रभु द्वारा उन्हें सौंपे गये हैं। उन्होंने कहा, ̎ याद रखें कि काथलिक कलीसिया उदारता द्वारा एकता के सूत्र में बधी है।̎ संत पापा ने उन्हें धर्माध्यक्षों के साथ सहयोग करने हेतु प्रेरित किया।

अंततः संत पापा ने धर्माध्यक्षों को जागते रहने की सलाह दी, ̎पूरे झुण्ड की देखभाल प्रेम से करने की जिसके लिए पवित्र आत्मा ने कलीसिया का शासन करने हाथों सौंपा है। पिता ईश्वर एवं येसु ख्रीस्त के नाम पर अपने रेवड़ की चिंता करने हेतु वे स्वामी, पुरोहित एवं मेषपाल नियुक्त किये गये हैं। वे पवित्र आत्मा के नाम पर कलीसिया को जीवन दें एवं दुर्बलों को सहायता प्रदान करे।

नव-अभिषिक्त धर्माध्यक्ष हैं- पोलैंड के वादीमार स्तानिसलाउस, माल्टा के अलफ्रेड जुरेब, कनाडा के होसे अविलीन बेट्टेनकॉर्ट।








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