वाटिकन सिटी, सोमवार, 19 मार्च 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 18 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ̎ अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज का सुसमाचार पाठ (यो. 12.20-33) एक ऐसी घटना का वर्णन करता है जो येसु के जीवन के अंतिम दिनों में घटी। यह दृश्य येरूसालेम का है जहाँ वे पास्का पर्व मनाने गये थे। इस धार्मिक समारोह में कुछ यूनानी भी आये थे, वे धार्मिक भावनाओं से प्रेरित थे तथा यहूदियों के विश्वास से प्रभावित थे। जिन्होंने उनकी महान भविष्यवाणियों को सुना था, बारहों में से एक फिलिप के पास आकर बोले कि वे येसु को देखना चाहते हैं। (पद. 21)
संत योहन इस वाक्य पर जोर देते तथा ̎देखने ̎ की क्रिया को केंद्र में रखते हैं जिसका अर्थ सुसमाचार लेखक के अनुसार दिखावे के परे जाकर एक व्यक्ति के रहस्यों को समझना। योहन जिस क्रिया ̎ देखना ̎ का प्रयोग करता है, उसका अर्थ है हृदय तक पहुँचना, उसके अंदर में प्रवेश करना, उसे अच्छी तरह समझना। येसु का उत्तर विस्मयजनक है। वे ̎ हाँ ̎ अथवा ̎ नहीं ̎ कहकर उत्तर नहीं देते बल्कि कहते हैं, ̎ वह समय आ गया है जब मानव पुत्र महिमान्वित किया जाएगा। (पद.23) इन शब्दों द्वारा, जिनसे पहले लगा कि यूनानियों के सवालों की अवहेलना की जा रही है, वास्तव में, येसु का सही उत्तर था क्योंकि जो लोग येसु को जानना चाहते हैं उन्हें क्रूस के अंदर देखने की आवश्यकता है जहाँ उनकी महिमा प्रकट होती है।
संत पापा ने कहा, ̎आज का सुसमाचार हमें निमंत्रण देता है कि हम अपनी दृष्टि क्रूस पर लगायें जो एक श्रृंगार प्रसाधन अथवा पहनावे की चीज नहीं है जिसका कभी कभी दुष्टप्रयोग किया जाता है। किन्तु यह धार्मिक चिन्ह है जिसपर चिंतन किया जाना एवं उसे समझने का प्रयास किया जना चाहिए। क्रूसित येसु की तस्वीर ईश पुत्र येसु की मृत्यु के रहस्य को प्रेम के सबसे महान कार्य, जीवन के स्रोत एवं सभी युगों के लोगों के लिए मुक्ति के रूप में प्रकट करता है। उनके घावों द्वारा हम चंगे किये गये हैं।"
संत पापा ने क्रूस पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, ̎ क्रूस को मैं किस दृष्टि से देखता हूँ? क्या मैं इसे एक कलात्मक वस्तु के रूप में उसकी सुन्दरता या कुरूपता को आंकने का प्रयास करता हूँ? अथवा क्या मैं उसके अंदर देखने की कोशिश करता हूँ? क्या मैं ईश्वर को मृत्यु तक, एक दास, एक अपराधी की तरह दीन बनने के रहस्य पर चिंतन करता हूँ? हम इसे न भूलें। क्रूस पर नजर लगायें और उसके अंदर जायें। यहीं उनके प्रत्येक पाँच घावों पर एक हे पिता हमारे पिता प्रार्थना को करने की सुन्दर भक्ति उत्पन्न होती है और इसी के द्वारा हम ख्रीस्त के रहस्य के महान प्रज्ञा को सीखते हैं, क्रूस की महान प्रज्ञा को।
येसु की मृत्यु एवं पुनरूत्थान के अर्थ की व्याख्या करते हुए येसु एक प्रतीक का प्रयोग करते हैं वे कहते हैं, ̎जब तक गेहूँ का दाना गिरकर मर नहीं जाता, तब तक अकेला ही रहता है, परन्तु यदि वह मर जाता है तो बहुत फल लाता है।"(पद.24)
येसु यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि उनके सर्वोच्च कार्य क्रूस, मृत्यु और पुनरूत्थान –एक परिपूर्णता का कार्य है। उनके घावों ने हमें चंगा किया है, उनकी परिपूर्णता बहुतों के लिए फल लायेगा। अतः वे अपने आपकी तुलना गेहूँ के दाने से करते हैं जो मिट्टी में सड़ जाता तथा नया जीवन देता है। शरीरधारण द्वारा येसु धरती पर आये किन्तु यह काफी नहीं था, वे मर गये ताकि मानव को पाप की दासता से मुक्त कर सकें तथा उन्हें एक नया जीवन दे सकें जो प्रेम से मेल-मिलाप करता है।
संत पापा ने कहा कि येसु ने मानव की मुक्ति की है बल्कि हम प्रत्येक की मुक्ति की है और उसके लिए कीमत चुकायी है। यही ख्रीस्त का रहस्य है। हम उनके घावों के पास जाएँ, उसपर चिंतन करें, येसु को अंदर से देखने का प्रयास करें।
संत पापा ने विश्वासियों को येसु का अनुकरण करने का निमंत्रण देते हुए कहा, गेहूँ के दाने की गतिशीलता जिसको येसु ने पूरा किया है, हम, उनके शिष्यों में भी महसूस किया जाना चाहिए। पास्का के इस रहस्य में नया जीवन (अनन्त जीवन) प्राप्त करने के लिए, अपना जीवन खो देने हेतु हम बुलाये जाते हैं।
संत पापा ने प्रश्न किया, जीवन खो देने का अर्थ क्या है? गेहूँ का दाना बनने का क्या मतलब है? इसका अर्थ है अपने बारे, अपनी व्यक्तिगत रूचि के बारे, कम चिंता करना किन्तु अपने पड़ोसियों की आवश्यकताओं पर ध्यान देना विशेषकर, जो पिछड़े हैं।
यह हमारे समुदायों के लिए एक आवश्यक आधारशीला है ताकि हम भाईचारा एवं आपसी स्वीकृति में बढ़ सकें, उन लोगों के लिए प्रेम के कार्यों को आनन्द से कर सकें जो शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से पीड़ित हैं। यही सुसमाचार को जीने का सच्चा रास्ता है। मैं येसु को देखना चाहता हूँ उन्हें अंदर से देखना, उनके घावों को महसूस करना तथा उस प्रेम पर चिंतन करना जो उनके हृदय में मेरे लिए, आपके लिए और सबके लिए है।
कुँवारी मरियम जिन्होंने अपने हृदय को, बेतलेहेम की चरनी से लेकर कलवारी पर क्रूस तक, हमेशा अपने पुत्र पर केंद्रित रखा, वे हमें उनसे मुलाकात करने एवं उन्हें जानने में मदद करें, जैसा येसु हमसे चाहते हैं ताकि हम उनके द्वारा प्रबुद्ध होकर संसार में न्याय एवं शांति का फल उत्पन्न कर सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।
उन्होंने कहा, ̎मैं आप सभी का हार्दिक अभिवादन करता हूँ जो रोम तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से यहाँ उपस्थित हैं।
मैं स्लोवाकिया एवं मड्रीड के तीर्थयात्रियों, संत अन्गनेल्लो, पेस्कारा, कियेती तथा चेरेमुले के पल्ली दलों, ब्रेशिया के युवाओं और मिलान के लोगों का अभिवादन करता हूँ।
संत पापा ने सन जोवन्ना रोतोन्दो के धर्माध्यक्ष, धर्मसमाजी, लोकधर्मी एवं अधिकारियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, ̎कल मैंने पियत्रेलचिना एवं सन जोवन्नी रोतोन्दो की यात्रा की। मैं सस्नेह अभिवादन उनका करता हूँ तथा बेनवेनूतो तथा मनफ्रेदोनिया धर्मप्रांत के समुदायों को धन्यवाद देता हूँ। मैं उनके हार्दिक स्वागत के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए हरेक को अपने हृदय में याद करता हूँ किन्तु खासकर कासा सोलियेवो देला सोफेरेंत्सा के बीमार, वयोबृद्ध एवं युवाओं की याद करता हूँ। मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस यात्रा का प्रबंध किया। पाद्रे पियो सभी को आशीर्वाद दे।
अंत में संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगल- कामनाएँ अर्पित की।
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