2018-03-17 16:02:00

पियेत्रेलचिना के पियाना रोमाना प्रांगण में ख्रीस्तीयों को संत पापा का संदेश


पियेत्रेलचिना, शुक्रवार 17 मार्च 2018 (रेई) : पियेत्रेलचिना के संत पीयो के स्टिगमाटा (दिव्य घाव) के प्रकट होने के सौंवी वर्षगांठ और उनकी पचासवीं पुण्यतिथि के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस शनिवार 17 मार्च को सुबह 8 बजे संत पापा हेलीकॉप्टर से पियेत्रेचिना पहुचें। पहले "संत फ्राँसिस" प्रार्थनालय में पाद्रे पीयो के स्टिगमाटा के ताबुत के सामने कुछ देर मौन प्रार्थना की। उसके बाद पियाना रोमाना प्रार्थनालय के प्रांगण में विश्वासियों से मुलाकात की।

संत पापा ने कहा,“ मुझे इस पवित्र भूमि में कदम रख पाने की बहुत खुशी है यहाँ फाँसिस फोरजोने का  जन्म हुआ था, इसी भूमि में उन्होंने प्रार्थना करना सीखा, गरीबों में येसु को पहचाना और येसु की सेवा में उन्होंने कपुचिन फ्रायर माइनर धर्मसमाज में प्रवेश कर पियेत्रेलचिना के पादरे पीयो बन गये। यह वही स्थान है जहाँ उन्होंने माता कलीसिया को एक बेटे के रुप में प्रेम करना शुरु किया। उन्होंने माता कलीसिया को उनकी सभी कमजोरियों, पापों और समस्याओं के बावजूद प्रेम किया। ईश्वर की आत्मा पापी कलीसिया को पवित्र बनाती है। उन्होंने प्रभु और कलीसिया को बहुत प्रेम किया। संत पौलुस के समान उन्होंने भी इस रहस्य पर विशवास किया,“मैं मसीह के साथ क्रूस पर मर गया हूँ। मैं जीवित नहीं रहा, बल्कि मसीह मुझमें जीवित हैं। (गलाति, 2,20)

संत पापा ने कहा,“संत फ्राँसिस के इस शिष्य को सम्मान के साथ याद करते हुए मैं इस धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष फेलीचे अक्रोका, पल्ली पुरोहित, महापौर महोदय, कपुचिन सनुदाय के सभी पुरोहितों और पल्ली वासियों का सस्नेह अभिवादन करता हूँ।

संत पापा ने कहा,“आज जिस धरती पर हम खड़े हैं संत पीयो 1911 में बीमारी के कारण स्वास्थय लाभ पाने हेतु अपनी जन्म भूमि लौटे थे। जिससे कि अपने पसंद की चाजों का सेवन कर सके और खुली हवा में रहकर जल्द ही उनके स्वास्थ्य में सुधार हो। उनके लिए अपना गाँव लौटना एक तरह से तकलीफ दायक था। उन्हें डर था कि वे परीक्षा में न पड़ जायें। शैतान उन्हें अपने फंदे में न डाल दे।

 संत पापा ने उपस्थित विश्वसियों से कहा,“क्या आप विश्वास करते हैं कि शैतान मौजूद है?”   

उन्होने कहा, “जी हाँ ”

संत पापा ने कहा, “हाँ शैतान हमें परीक्षा में डालता है, हमें धोखा देने की कोशिश करता है। पादरे पीयो भी डरते थे कि कहीं शैतान उनपर हमला ना कर बैठे। धोखे से अपने चंगुल में न फंसा ले। उन्होंने प्रधान पुरोहित साल्वातोरे पन्नुल्लो को पत्र लिखकर अपने भय और मन में उठ रहे भावों को प्रकट कर उनसे सलाह मांगी थी। (पत्र संख्या 57) अपने जीवन के भयानक क्षणों में भी पादरे पीयो ने निरंतर प्रार्थना की और ईश्वर में अपने विश्वास को बनाये रखा। उन्होंने अनुभव किया कि वे येसु की बाहों में हैं और शैतान ने उसे छोड़ दिया है। पर उससे कहा जाता था कि वह उदास है, वह बीमार है शायद उसे कुछ समस्या है इसपर उन्होंने मार्च 1911 में धर्मप्रांतीय अधिकारी फादर बेनेदिक्त को अपनी स्थिति के बारे एक पत्र में इस प्रकार लिखा कि वे सुबह में पवित्र संस्कार में प्रभु से मिलने के पहले एक प्रकार की अनोखी शक्ति का अनुभव करते थे और प्रभु के शरीर को ग्रहण करने के बाद भी प्रभु के लिए भूख और प्यास बढ़ती ही जाती थी।(पत्र संख्या 31) पादरे पीयो पवित्र यूखारिस्त समारोह के दौरान येसु की साक्षात उपस्थिति का अनुभव करते थे। अतः प्रभु ने उनके शरीर में अपने दुखभोग के रहस्य का दिव्य घाव उपहार में दिया।

संत पापा ने संत पादरे पीयो का अनुसरण करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा,“पेत्रेलचिना के भाईयो और बहनो, आप सभी इस महान संत का अनुसरण कर ईश्वर के प्रेम का साधन बनें। समाज के कमजोर और बीमार लोगों के बीच आप भी ईश्वर के प्रेम का साक्ष्य दें। आप एकता में रहकर शांति की स्थापना के लिए काम करें। एक दूसरे से प्रेम भाव रखें। वह देश जहाँ लोग आपस में झगड़ते रहते हैं वह देश उन्नति नहीं कर सकता। वहाँ दुख ही दुख है। संत पापा ने कहा,“आप लड़ाई-झगड़े में बेकार ही अपनी शक्ति खर्च न करें। इससे किसी को फायदा नहीं होता, उलटे देश कमजोर होता है।”

संत पापा ने कहा कि इस वर्तमान समय में संत पीयो की शिक्षा हमें जीवन के नये आयाम की ओर प्रेरित करता है। विशेषकर इस क्षेत्र के युवा जो काम की खोज में देश के अन्य भागों में चले गये हैं और इस क्षेत्र का आबादी कम होती जा रही है। हम प्रार्थना करें कि माता मरियम इस धरती में भी युवाओं को काम पाने में सहायता करें। सत पापा ने युवाओं को संबोधित कर कहा कि बुजुर्ग हमारे समाज के खजाने हैं उन्हें अकेला न छोड़ें। उन्हें दर किनार न करें। संत पापा ने हास्यप्रद लहजे में कहा कि यहाँ आने से कुछ देर पहले उन्हें 97 और 99 वर्षीय सुन्दर युवतियों से मुलाकात करने की खुशी मिली। बुजुर्ग हमारे देश और समाज के अतुलनीय विरासत हैं।

अंत में संत पापा ने संत पादरे पीयो के पदचिन्हों पर चलते हुए, इस भूमि की पवित्रता को बरकरार रखने की प्रेरणा देते हुए कहा कि वे उदारता के कार्यों द्वारा अपने दैनिक जीवन को खुशी के साथ पूरी तरह से जीयें। माता मरियम जिन्हें वे “स्वतंत्रता की माता मरियम” कहते हैं उन्हें पवित्रता के मार्ग पर चलने की खुशी प्रदान करें।

संत पापा ने अपने लिए प्रार्थना की मांग करते हुए उनसे विदा ली।








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