2018-03-14 15:39:00

“हे पिता हमारे” और रोटी तोड़ने पर संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 14 मार्च 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को पवित्र यूखारिस्तीय बलिदान के दौरान “हे पिता हमारे” और रोटी तोड़ने पर अपनी धर्मशिक्षा देते हुए कहा,

प्रिय भाई एवं बहनों, सुप्रभात।

अंतिम व्यारी के समय येसु अपने हाथों में रोटी और दाखरस लेते हुए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। हम जानते हैं कि उन्होंने “रोटी तोड़ी”। यूखारिस्तीय धर्मविधि में येसु का रोटी तोड़ने के बाद हम उनकी द्वारा सिखलाई हुई प्रार्थना को कहते हैं।

इस तरह परमप्रसाद की धर्मविधि शुरू होती है जहाँ हम यूखारिस्त की लम्बी प्रार्थना उपरान्त जिसमें ईश्वर का धन्यवाद और उनकी महिमा की जाती है हम पूरे विश्वासी समुदाय संग मिलकर “हे पिता हमारे” की प्रार्थना करते हैं। संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए ख्रीस्तीय प्रार्थनाओं में से कोई एक प्रार्थना नहीं वरन ईश्वरीय संतानों की एक प्रार्थना है। वास्तव में यह हमें बपतिस्मा के दिन प्राप्त हुआ है जो हमें येसु ख्रीस्त के मनोभावनाओं से संयुक्त करता है।  इस प्रार्थना के द्वारा हम अपने को येसु की शिक्षा से संयुक्त करते हुए ईश्वर को “पिता” कहने का साहस करते हैं क्योंकि हम जल और पवित्र आत्मा के द्वारा ईश्वर की संतान स्वरुप एक नये जीवन की शुरूआत करते हैं। (एफे.1.5) सच्चे अर्थ में कोई भी ईश्वर को “पिता” कहा कर तबतक पुकार नहीं सकता जबतक यह ईश्वर की ओर से वरदान स्वरूप न मिलता हो, जब तक उन्हें पवित्र आत्मा प्रेरित नहीं करता हो जैसे कि संत पौलुस अपनी शिक्षा में करते हैं।(रोमि.8.15) येसु ख्रीस्त के द्वारा सिखलाई गई इस प्रार्थना से उत्तम और कौन-सी प्रार्थना हो सकती है जो हमें पवित्र परमप्रसाद में उनसे मिलन हेतु तैयार करेॽ मिस्सा बलिदान के आलवे “हे पिता” की प्रार्थना सुबह और शाम की प्रार्थनाओं के समय उच्चरित की जाती है जिसके द्वारा हम येसु के संग अपने को संतान और अपने पड़ोसियो के संग भ्रातृत्व की भावना में संयुक्त होते हैं।

संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त की प्रार्थना में हम “रोज दिन की रोटी” की मांग करते हैं जो हमारा ध्यान विशेष रुप से यूखारिस्तीय रोटी की ओर कराता है जो ईश्वर की संतान स्वरुप जीवन व्यतीत करने हेतु हमारे लिए आवश्यक है। हम अपने “पापों की क्षमा” के लिए निवदेन करते हैं। ईश्वर से अपनी गलतियों को क्षमा पाने के योग्य होने हेतु हमें उन्हें क्षमा करने की जरुरत है जिन्होंने हमारे विरुद्ध अपराध किया है। इस भाँति यह हमें अपने हृदय को ईश्वर के सामने खोलने और अपने को भ्रातृत्व प्रेम में खुला रहने हेतु मदद करता है। अंत में हम पुनः ईश्वर से निवदेन करते हैं कि वे हमें “बुराई से बचाये रखें” जो हमें ईश्वर से अलग करता और अपने भाइयों से विभाजित करता है।

संत पापा ने कहा कि वास्तव में “हे पिता हमारे” प्रार्थना द्वारा पुरोहित हम सभों के नाम पर ईश्वर से यह निवेदन करता है कि “वे हमें सभी बुराइयों से बचाये रखें और हमें जीवन में शांति प्रदान करें।” इसके बाद शांति अभिवादन की धर्मविधि में वे ख्रीस्त से शांति के उपहार हेतु निवेदन करते और हमें शांति की मुहर प्रदान करते हैं।(यो.14.27) यह संसार से एकदम अलग है जो कलीसिया को एकता और शांति में ईश्वरीय इच्छा के अनुसार विकसित करता है। इस तरह हम पूरी कलीसिया के साथ शांति का अभिवादन करते हैं। रोमी पूजन धर्मविधि के अनुसार शांति अभिवादन प्रचीन समय से ही परमप्रसाद के पूर्व रखी गई है जो हमें यूखारिस्त में पूर्ण रूपेण संयुक्त करता है। संत पौलुस की चेतावनी के अनुसार यदि हम अपने को भ्रातृत्व प्रेम की शांति से पुष्ट नहीं करते हैं तो हम सभी एक रोटी में सहभागी नहीं हो सकते जो हमें येसु ख्रीस्त के साथ संयुक्त करता है।( 1 कुरु.10. 16-17,11.29) येसु ख्रीस्त की शांति उस हृदय में नहीं पनप सकती जो पड़ोसी प्रेम को तोड़ने के बाद उसे पुनः सुदृढ़ बनाने हेतु अपनी ओर से पहल नहीं करता है।  

शांति अभिवादन के उपरान्त रोटी तोड़ा जाता है जो चेले के समय से ही यूखारिस्तीय उत्सव के नाम से प्रचलित हुआ। अंतिम व्यारी के समय येसु द्वारा रोटी तोड़ने की क्रिया चेलों को पुनरुत्थान के बाद येसु को पहचाने में मदद करता है। एमाऊस की राह में पुरर्जीवित येसु के साथ चेलों की मुलाकात उस समय स्पष्ट हुई जब उन्होंने “येसु को रोटी तोड़ते समय पहचाना।” (लूका. 24.30-31.35)

यूखारिस्तीय रोटी तोड़ने की क्रिया “ईश्वर के मेमने” प्रार्थना को उच्चरित करते हुए की जाती है जिसे योहन बपतिस्ता येसु की ओर इंगित करते हुए अपने चेलों से कहते हैं, “देखो ईश्वर का मेमना जो संसार के पाप हर लेता है।” (यो.1.29) यूखारिस्त की रोटी, जो विश्व के लिए तोड़ी जाती है, प्रार्थनामय विश्वासी समुदाय ईश्वर के सच्चे मेमने को पहचानते हैं जो दुनिया को मुक्ति दिलाते अतः वे एक स्वर में विनय करते हुए कहते हैं “हम पर दया कर... हमें शांति प्रदान कर।”

संत पापा फ्राँसिस ने कहा “हम पर दया कर”, “हमें शांति प्रदान कर” वे निवेदन प्रार्थनाएं हैं जो “हे पिता हमारे” से लेकर रोटी तोड़ने तक हमारे मन-हृदय को यूखारिस्त भोज में केन्द्रित करने हेतु मदद करता है जिसके फलस्वरुप हम ईश्वर और अपने भाइयों के साथ संयुक्त होते हैं।


इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।

उन्होंने विशेष रूप से युवाओं, बुजुर्गों, रोगग्रस्तों और नव विवाहितों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय मित्रों येसु ने हमें इस बात की प्रतिज्ञा की है कि वे सदा हमारे साथ रहेंगे और अपने को विभिन्न रुपों में प्रकट करेंगे। वे हम सबों को हमारे उत्तदायित्वों और साहसिक कार्यों में अपने प्रेम का प्रमाण देते हैं जो हमारे जीवन के हर क्षण को संचालित करता है। अतः हम येसु ख्रीस्त को अपना जीवन समर्पित करने और उनके सुसमाचार को प्रसारित करने हेतु न थकें।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने सभी परिवारों पर येसु ख्रीस्त की शांति और खुशी की कामना की और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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