2018-03-14 16:47:00

भारत की कलीसिया ने मनायी संत पापा फ्राँसिस के प्रशासन की पाँचवीं सालगिराह


मुम्बई, बुधवार, 14 मार्च 2018 (एशियान्यूज)˸ भारत की कलीसिया ने विश्वव्यापी कलीसिया के साथ मिलकर, संत पापा फ्राँसिस के काथलिक कलीसिया के परमध्यक्ष के रूप में पाँचवाँ वर्षगाँठ मनाया।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष एवं मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने इस उपल्क्षय में, भारत में वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत एवं भारत के 33 धर्माध्यक्षों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया। 

कार्डिनल ग्रेसियस ने ख्रीस्तयाग के दौरान प्रार्थना करते हुए कहा, ̎ हम भारत एवं एशिया के धर्माध्यक्षों के लिए प्रार्थना करते है ताकि वे संत पापा के विचारों को समझ सकें एवं उनका अभ्यास कर सकें।̎   

धर्माध्यक्ष इन दिनों (12- 17 मार्च) एक सेमिनार में भाग ले रहे हैं जो नव अभिषिक्त धर्माध्यक्षों के लिए, मुम्बई स्थित गोरेगाँव के संत पीयुस दसवें सेमिनरी में आयोजित किया गया है।

कार्डिनल ग्रेसियस ने एशियान्यूज़ से कहा, ̎ मैंने नवनियुक्त धर्माध्यक्षों से संत पापा फ्राँसिस के बारे बातें कीं। वे कलीसिया के मार्गदर्शक हैं तथा पवित्र आत्मा से प्रेरित हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आज के इस चुनौती पूर्ण घड़ी में हम उनके विचारों को अपने मन में रखते हैं।̎ 

उन्होंने कहा कि संत पापा उपनगरों के संत पापा हैं। वे गरीबों के लिए करुणामय हदय के संत पापा हैं। उनका प्रेम एवं उनकी चिंता उन लोगों तक पहुँचती है जो भूला दिये गये हैं और जो पीड़ित हैं। वे युवाओं का ख्याल रखते एवं वयोवृद्धों का विशेष ध्यान रखते हैं। अपने प्रशासन काल के आरम्भ से ही उन्होंने युवाओं को वयोवृद्धों के करीब  रहने की सलाह दी है। संत पापा करूणा के संत पिता हैं वे लोगों के लिए मेल-मिलाप संस्कार का अनुष्ठान करते हैं। संत पिता को एशिया से विशेष प्रेम है जिसको उन्होंने एशियाई देशों में प्रेरितिक यात्रा के दौरान प्रकट किया है।

संत पापा ने विभिन्न धार्मिक परम्पराओं के स्त्री एवं पुरूषों के बीच मित्रता एवं सम्मान के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने इसके लिए वार्ता को प्रोत्साहित किया है। हम सभी वार्ता की संस्कृति को हर संभव प्रोत्साहन देने के लिए बुलाये गये हैं क्योंकि इसी के द्वारा हम समाज का पुनः निर्माण कर सकते हैं।     

कार्डिनल ने कहा कि संत पापा के विचार तीन प्रकार की वार्ता पर आधारित है, गरीबों के साथ, संस्कृति के साथ और धर्मों के साथ। उन्होंने प्रकृति के साथ भी वार्ता करने की सलाह दी है।








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