कन्जमेंदी (ओडिशा), सोमवार 12 मार्च 2018 (मैटर्स इंडिया) : सन् 2007 और 2008 में हुए कंधमाल में कट्टरवादी हिंसा से बचे हुए लोगों ने 10 मार्च को ओडिशा के कंजमेंदी जिले में एक जिला स्तर की सभा आयोजित की। सभा में भाग लेने वाली रिनी डिंगल ने बताया कि सभा में कई लोगों ने साझा किया कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक उन्हें अभी तक सरकारी मुआवजा और कानूनी न्याय प्राप्त नहीं हुआ है।
यह जानकर उन्होंने खेद प्रकट किया कि हिंसा से बचे हुए बहुत से लोगों ने अपने प्रियजनों, घरों और सामानों को खो दिया है, उन्हें सरकार की सूची में शामिल नहीं किया गया है।
स्थानीय नेता बिप्रा चरण नायक ने कहा कि हमने सरकार को फिर से गणना करने और पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने हेतु अपील की है। उन्होंने कहा कि इस सभा का उद्देश्य प्रभावित लोगों के न्याय के लिए दबाव डालना था।
ब्लॉक के कुछ प्रतिनिधियों ने कहा, "हमारे गांवों में, लूटपाट हत्या और घरों के नष्ट होने के मामले हैं, परंतु हमारे नाम सरकार की सूची में नहीं हैं।"
कुछ अन्य नेताओं ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने 315 अदालतों के मामलों को फिर से खोलने का आदेश दिया है, लेकिन हमारे कानूनी सहायता प्रणाली में पिछली विफलताओं के कारण हमें सफलता के बारे में संदेह है।"
अधिकांश प्रतिनिधियों ने व्यक्त किया, "नष्ट किए गए घरों के लिए घोषित मुआवजे पर्याप्त नहीं हैं।"
2008 में करीब चार महीने तक कंधमाल की हिंसा ने 100 से ज्यादा लोगों की जानें ले ली थी और 50,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे।
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