2018-03-10 13:57:00

फादर कमिल बुल्के का अवशेष राँची लाया जाएगा


नई दिल्ली, शनिवार, 10 मार्च 2018 (ऊकान)˸ प्रसिद्ध बेलजिन जेस्विट मिशनरी फादर कमिल बुल्के के अवशेष को नई दिल्ली से राँची लाया जाएगा जहाँ उन्होंने अपनी प्रेरिताई का अधिकांश समय व्यतीत किया था।

फादर कमिल बुल्के के अवशेष को 5 मार्च को कब्र से बाहर निकाला गया।

राँची जेस्विट सोसाईटी के प्रोविंशल फादर जोसेफ मरियानुस कुजूर ने ऊका समाचार से कहा कि राँची में उनके स्थानंतरण की कार्यवाही पर विचार दो वर्षों से किया जा रहा था जहाँ मिशनरी को आदिवासियों के बीच शिक्षा तथा हिन्दी एवं स्थानीय संस्कृति में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।

फादर कमिल बुल्के का निधन सन् 1982 को नई दिल्ली में हुआ था और कुछ कारणों से उन्हें राजधानी में दफनाया गया था किन्तु वहाँ के काथलिकों एवं जेस्विट पुरोहितों की तमन्ना है कि उनके अवशेष को राँची लाया जाए ताकि उनके प्रशंसक, उनके जन्म एवं उनकी मृत्यु की सालगिराह पर उनकी याद कर, उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।

उनके अवशेष को राँची स्थित संत जेवियर्स कॉलेज परिसर में 14 मार्च को दफनाया जाएगा जहाँ वे हिन्दी एवं संस्कृत विभाग के प्रमुख थे।

बेलजियन मिशनरी जो 1934 में भारत आये थे, सन् 1951 में भारत के स्थायी निवासी बन गये थे। उन्होंने भारतीय भाषाओं की पढ़ाई की तथा संस्कृत में स्नातकोत्तर एवं हिन्दी साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। कॉलेज में भाषाओं की शिक्षा देने के अलावा उन्होंने बाईबिल का अनुवाद हिन्दी में किया था।

भारत सरकार ने सन् 1974 में उन्हें पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित की थी जो देश की तीसरी सबसे सम्मानित उपाधि है।

एक समाज सेवी संजय बासु माल्लिक ने कहा, ̎महान पुरोहित के अवशेष को यहाँ लाया जाना एक अनोखी बात है जो देश के लिए जिये और मरे।̎  

उन्होंने कहा कि फादर बुलके ने मुझे और हज़ारों लोगों को प्रेरित किया है कि हम स्थानीय भाषा और संस्कृति पर गर्व करें।








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