2018-03-08 15:03:00

जर्मन भाषी गुरूकुल अधिकारियों को संत पापा का संबोधन


वाटिकन, गुरुवार 08 मार्च 2018 (रेई) संत पापा फाँसिस ने जर्मन भाषी गुरूकुल अधिकारियों को संबोधित करते हुए बुलाहटीय जीवन का साक्ष्य देने हेतु उनका आहृवान किया।

उन्होंने कहा कि मानव और पुरोहितों के रुप में हम अपने अनुभव रुपी नींव पर विश्वास करते हैं, यद्यपि इस संदर्भ में हमें वर्तमान में उभरने वाली उन नई और एक अलग संस्कृति को भी पहचाने की जरुरत है जो हमारे ज्ञात आदर्शों से मेल नहीं खाती है। हमें अपने कुछ पुराने अभ्यासों का परित्याग करते हुए अज्ञात प्ररूपों को धारण करने की जरूरत है। लेकिन ऐसी स्थिति में भी हमें येसु ख्रीस्त की ओर अपनी नजरें उठाने की जरूरत है जिन्होंने हमारे लिए दुःखभोग, मार डाले गये और जीव उठे। उनके घावों और साथ ही संसार के घावों में हम पुनरूत्थान की निशानी को पहचान सकते हैं जो निश्चित रुप से हमें आशा का साक्षी बनने में मदद करता है।
संत पापा ने कहा कि हम बुलाहाटों की शुरूआत नहीं कर सकते हैं। लेकिन इसके बदले हम ईश्वर की कुरूणामय बुलाहट का साक्ष्य दे सकते हैं। ”येसु हमें बुलाते हैं जिससे हम ”मैं” रुपी अहम को “आप” में परिणत कर सकें। यह “आप” हमारा ध्यान ठोस रुप में जरूरतमंद व्यक्ति की ओर इंगित करता है जिसे हमारी और ईश्वर की आवश्यकता है। इस भांति हम उन युवाओं में एक चेतना जागृत करते हैं जो अपने को पुरोहिताई जीवन के समर्पण हेतु तैयार कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी एक वृहृद समुदाय का निर्माण करने हेतु आमंत्रित किये जाते हैं जो ईश्वरीय प्रजा कहलाती है। यह समुदाय हमें अपना हृदय ईश्वर की ओर उन्मुख करने में मदद करता है।

अपने संक्षिप्त ठोस संदेश के अंत में संत पापा ने जर्मनी के सभी गुरूकुल दीक्षार्थियों और पुरोहितों को अपनी शुभकामनाएं अर्पित करते हुए उन्हें माता मरियम के हाथों में सुपुर्द किया।








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