2018-03-07 16:04:00

ईश्वर हमें तभी क्षमा करते जब हम दूसरों को माफ कर देते हैं


वाटिकन सिटी, बुधवार, 7 मार्च 2018 (रेई): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में मंगलवार 6 मार्च को, ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन में, अपने पापों को स्वीकार करने एवं दूसरों को क्षमा देने पर बल दिया ताकि हम ईश्वर द्वारा क्षमा किये जा सकें।

संत पापा ने कहा, "ईश्वर हमें तभी क्षमा करेंगे जब हम दूसरों को बिना किसी शत्रुता के क्षमा कर देंगे।" ख्रीस्तयाग के दौरान संत पापा ने क्षमाशीलता की विषयवस्तु पर चिंतन किया। उन्होंने घृणा के घेरे में बंद हो जाने के खतरे से बचने की चेतावनी दी। ख्रीस्तीयों को उन्होंने स्मरण दिलाया कि ईश्वर द्वारा क्षमा किये जाने के लिए हमें अपने पापों को स्वीकार करना है।

नबी दानिएल के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने विश्वासियों का ध्यान अज़ारिया की ओर आकृष्ट किया जो आग की भट्ठी पर फेंक दिये जाने के बावजूद प्रभु को अस्वीकार करने से इंकार किया। उसने उस पीड़ा के लिए ईश्वर से कोई शिकायत नहीं की और न ही अपनी निष्ठा का हवाला दिया, जबकि उसने ईश्वर की महानता का बखान करना जारी रखा तथा बुराई की जड़ की ओर इंगित किया कि ईश्वर की निरंतर रक्षा के बावजूद मनुष्य पाप करता रहा। उन्होंने कहा कि अपनी गलतियों के लिए अपने को दोषी स्वीकारना, क्षमाशीलता की ओर हमारा पहला कदम है।

संत पापा ने कहा, "दूसरों पर इल्जाम नहीं लगाना किन्तु खुद को ही दोषी स्वीकार करना ख्रीस्तीय प्रज्ञा का हिस्सा माना जाता है।" जब हम पापस्वीकार संस्कार में भाग लेते हैं तो हमें यह मनोभाव धारण करना चाहिए, महान ईश्वर ने मेरे लिए बहुत कुछ दिया है जबकि मैंने उनके विरूद्ध पाप किया है। मैंने उनकी अवज्ञ की है और मैं उनसे मुक्ति की याचना करता हूँ।̎  

अज़ारिया का उदाहरण देते हुए संत पापा ने कहा कि प्रभु पश्चातापी हृदय को प्यार करते हैं। जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास करता, वह कभी निराश नहीं होगा। एक पश्चातापी हृदय प्रभु के सामने सच्चाई प्रस्तुत करता जबकि प्रभु हमारा मुँह बंद कर देते हैं जैसा कि उड़ाव पुत्र के पिता ने अपने भटके हुए पुत्र के लौट आने पर किया। उन्होंने उन्हें बोलने नहीं दिया किन्तु प्रेम से स्वीकार करते हुए उसके सारे पाप क्षमा कर दिये।

संत पापा ने ख्रीस्तीयों को निमंत्रण दिया कि वे अपने पापों को स्वीकार करने में लज्जा महसूस न करें तथा आश्वासन दिया कि प्रभु क्षमा प्रदान कर हमें न्यायसंगत ठहराते हैं न केवल एक बार किन्तु हमेशा किन्तु एक ही शर्त पर कि हम दूसरों को भी क्षमा कर दें। संत पापा स्वीकार करते हैं कि घृणा के कारण क्षमा देना आसान नहीं है जो हमारे सिर पर घोसला बनाता तथा एक कड़वा एहसास भर देता है। हम कई बातों का जिक्र करते हैं जिसको दूसरों ने हमारे लिए किया है और हम उनके प्रति घृणा के गुलाम बन जाते हैं। संत पापा ने सलाह दी कि हम दो चीजों को मन में रखें, पहला, प्रभु की महिमा का ध्यान रखें एवं अपने पापों को स्वीकार करें तथा दूसरा, ईश्वर हमें सदा क्षमा प्रदान करते हैं, बशर्ते, कि हम दूसरों को माफ कर दें।    








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