2018-02-22 15:41:00

मातृभाषा वैचारिक निरंकुशता के खिलाफ एक बचाव है, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 22 फरवरी 2018 (वाटिकन न्यूज़): 21 फरवरी विश्व मातृभाषा दिवस पर संत पापा फ्राँसिस के शब्द हमें स्मरण दिलाते हैं कि उपनिवेशवाद का विरोध करने और विश्वास को हस्तांतरित करने में मातृभाषा की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित विश्व मातृभाषा दिवस का उद्देश्य है भाषा और सांस्कृतिक विविधता एवं एक से अधिक भाषाओं को बोल पाने की क्षमता को बढ़ावा देना।

संत पापा फ्राँसिस मातृभाषा के प्रयोग का समर्थन करते हैं। उन्होंने 23 नवम्बर 2017 को वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था में ख्रीस्तयाग प्रवचन में कहा था, "मातृभाषा वैचारिक एवं सांस्कृतिक उपनिवेशन के विरूद्ध सुरक्षा का गढ़ है तथा विविधता को नष्ट करने वाले प्रधानता की सोच के खिलाफ।"

संत पापा ने कहा था कि अपनी मातृभाषा बोल नहीं पाना एक प्रकार से इतिहास को मिटाना है ताकि विचारों की स्वतंत्रता को कमजोर किया जा सके। उन्होंने कहा कि हर बोली की अपनी ऐतिहासिक जड़ होती है।

संत पापा ने बतलाया कि जब औपनिवेशीकरण का सामना करना पड़े तो दो चीजें हैं जो लोगों की रक्षा कर सकती हैं, स्मृति एवं बोली। स्मृति एवं बोली को कौन सुरक्षित रखता हैं? संत पापा ने कहा कि महिलाएँ उन्हें सुरक्षित रखती हैं जो पुरुषों के अधिक मजबूत होतीं। यही महिलाओं की शक्ति है कि वे संस्कृतिक एवं वैचारिक उपनिवेशन से बचाये रखती हैं। बाईबिल इसका साक्षी है।    

संत पापा ने 7 जनवरी को बपतिस्मा प्राप्त बच्चों के माता-पिता से भी कहा था कि विश्वास माता-पिता और दादा-दादी की भाषा में हस्तांतरित होता है। वे उसे न भूलें। उनका कर्तव्य है कि वे विश्वास को हस्तांतरित करें। वे इसे प्रेम की भाषा में अपने परिवार में करें। सच्चा विश्वास माता के मुख से सिखा जा सकता है उस भाषा से जिसको उसके बच्चे समझ सकते हैं।  








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