2018-02-21 15:46:00

भारत में ख्रीस्तीयों पर हमलों की संख्या में वृद्धि


भोपाल, बुधवार 21 फरवरी 2018 (उकान) : हाल में जारी किये गये रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ख्रीस्तीयों पर हिंदू कट्टरपंथियों के हमले पिछले एक साल में दोगुनी हो गई है। हिन्दू कट्टरपंथियों ने ख्रीस्तीयों को धार्मिक सहिष्णुता और राष्ट्रीय लोकाचार के खिलाफ काम करने के रूप में पेश किया है।

‘उत्पीड़न राहत’ के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 में ख्रीस्तीयों के खिलाफ 736 हमले और 2016 में 348 हमलों की घटनाएं दर्ज की गई। एक विश्वव्यापी मंच ‘उत्पीड़न राहत’ भारत में ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न को दर्ज करता है और पीड़ितों की मदद करता है।

पीडि़तों के खिलाफ सबसे अधिक पुलिस शिकायत दर्ज की गई है, जैसे देशद्रोही, धार्मिक सहिष्णुता के खिलाफ काम करना, लोगों के खिलाफ भेदभाव, राष्ट्रीय एकीकरण के खिलाफ काम करना, पूजा स्थलों और अन्य धर्मों का अपमान करने का आरोप आदि।

उत्पीड़न राहत के संस्थापक शिबु थोमस ने ऊकान्यूज को बताया,"ये गंभीर अपराध ख्रीस्तीयों पर आरोप लगाने की एक नई प्रवृत्ति है," अगर देशद्रोही आरोप साबित हो जाता है, तो आरोपी को आजीवन जेल की सजा मिल सकती है।

थोमस ने कहा, "ऐसी शिकायतों को दाखिल करना एक स्पष्ट संकेत है कि खीस्तीयों के विरोधी उन्हें राष्ट्र की रक्षा और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरों के रूप में चित्रित करना चाहते हैं।"

ख्रीस्तीय नेताओं का कहना है कि 2014 में हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सत्ता में आने के बाद अपने लोगों के खिलाफ हिंसा बढ़ी, वे भारत को हिंदू राज्य बनाना चाहते हैं। ये समूह धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे ख्रीस्तीयों और मुसलमानों को गैर-देशभक्त पेश करने का प्रयास करते हैं।

पिछले एक साल में पूरे भारत के 29 राज्यों में से 24 राज्यों में ख्रीस्तीयों को हिंसा का सामना करना पड़ा। चार राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में 57 प्रतिशत घटनाएं घटी हैं। उत्तरी भारत में उत्तर प्रदेश में, 2016 में जब समाजवादी समाजवादी पार्टी सत्ता में थी 39 घटनाएँ हुई थी और 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई, उस दौरान 69 हमलों हुए। मध्यप्रदेश, जहां भाजपा ने 15 वर्षों से शासन किया है, 52 घटनाएं दर्ज की गई,  और 2016 से 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि तमिलनाडु में 48 घटनाएं हुईं, जिसमें 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

थोमस ने कहा कि ख्रीस्तीयों पर लगाये गये झूठे आरोप एक बड़ी चिंता का विषय है। "99 प्रतिशत मामलों में, वे झूठे गवाहों को लाते हैं और ख्रीस्तीयों पर देशद्रोह जैसे गंभीर अपराध का आरोप लगाते हैं।"

 "जब पीड़ित पुलिस की मदद के लिए पहुंचते हैं, तो पुलिस खुद उनपर नियम उल्लंघन का आरोप लगाती है।" यह एक खतरनाक संकेत है। दुर्भाग्य से, पुलिस कट्टरपंथियों का साथ दे रही है और निर्वाचित सदस्य भी उनके कार्यों का समर्थन करते हैं।"








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