2018-02-21 17:32:00

आध्यात्मिक साधना : येसु दुनिया के सभी आँसुओं को इकट्ठा करते हैं


अरिच्चा, बुधवार 21 फरवरी 2018 (रेई) : रोम के बाहर अरिच्चा आध्यात्मिक साधना केंद्र में संत पापा फ्राँसिस एवं परमधर्माध्यक्षीय रोमी कार्यालय के सदस्यों की आध्यात्मिक साधना के चौथे दिन संचालक फादर होसे तोलेनतिनो दी मेंडोन्सा ने मनन चिंतन को संत लूकस के सुसमाचार की महिलाओं के आँसुओं पर केंद्रित किया जो येसु की प्यास को दर्शाते हैं।

आँसू जीवन और रिश्तों के लिए प्यास को दिखाते हैं। फादर होसे ने सुसमाचार के अलग अलग उद्धरणों के जरिए ईश्वर के साथ मनुष्य के संबंध में मनुष्य के आँसू की भावना पर प्रकाश डाला।

सुसमाचार में महिलाओं के आँसू

 संत लूकस के सुसमाचार में अधिकतर महिलाओं के बारे में चर्चाएँ मिलती हैं। एलिजबेद की कहानी, (1,5-25),  माता मरियम, (1,26-56),  अन्ना, (2.26-38), नाइन की विधवा (7.11-17), मारिया मगदलेना , जोहाना, सुसाना और अन्य महिलाएँ  जिन्होंने येसु के पीछे जाती थी (8:13), मार्था और मरिया (10.38-42), अस्वस्थ महिला (13,10-17), एक महिला जो खोए सिक्के की खोज करती है(15.8-10), आग्रह करने वाली विधवा (18.1-8) और येरुसालेम की महिलाएं, जो क्रूस के मार्ग में येसु के लिए रोती हैं (23: 27-31)।

फादर ने कहा कि हम सुसमाचार में मौजूद कई स्त्रियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उनकी आर्थिक स्थिति,  उम्र, उनके कार्य करने के तरीके अलग हैं पर वे सुसमाचार का प्रचार करती हैं।। उनकी सेवा करने की शैली भिन्न है, वे कभी भी येसु को "फँसाने" के लिए सवाल नहीं पूछती हैं। लेकिन उन सभी के आँसुओं में एकजुटता देखने को मिलती है, जो भावनाओं, संघर्षों, सुखों और घावों से भरी है। लेकिन आँसू कहते हैं कि ईश्वर हमारे जीवन में आते हैं, हमारी विफलताओं में, मसीह भी रोते हैं। येसु हमारी हर परिस्थितियों में हमारा साथ देते हैं। हमसे एक हो जाते हैं और वे हमारे आँसू में भी सम्मिलित होते हैं। वास्तव में वे हमारे आँसुओं के अपने में ले लेते हैं और जब वे रोते हैं, तो वे दुनिया के सभी आँसुओं को इकट्ठा करते हैं।

ईश्वर आँसुओं के दर्द को जानते हैं।

बचपन से रोना संबंध प्यास का संकेत करता है। संत इग्नासियुस लोयोला और बहुत से संत रोते और आँसु बहाते थे। दार्शनिक सीजर का कहना था कि अंतिम निर्णय के दिन केवन आँसू तौला जाएगा। यह हमारे अस्तित्व को अनंतकाल की भावना देगा। धर्म के उपहार है आँसू। यह हमें मानव बनाने के बाद संत बनाता है। हमारी जीवनी आँसुओं के माध्यम से भी कही जा सकती है। खुशी, गम, भावनाओं, अंधेरी रात, परित्याग और पश्चताप के आँसू। हमारे दर्द के आँसुओं को ईश्वर जानते हैं। वे उन्हें प्रार्थनाओं के रुप में स्वीकार करते हैं। उनके सामने हमारे आँसू छिपे नहीं हैं। इस लिए भरोसा के साथ हम उनके सामने प्रकट करें।

येसु की प्यास

फादर होसे ने उस महिला की ओर ध्यान आकर्षित कराया जो रोते हुए अपने आँसुओं से येसु के पैरों को धो रही थी। उन्होंने कहा "बहुधा हम अपनी भावनाओं को प्रदर्षित नहीं करते हैं। येसु कहते हैं कि उस स्त्री ने जिस तरह से उनकी आवभगत की उसके अनुपात में घर के मालिक सिमोन ने कुछ भी नहीं किया। महिला के हृदय में येसु के लिए जो प्यास थी उस प्यास का संकेत आँसू था। आज हम येसु के लिए अपनी प्यास पर चिंतन करें। 








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