2018-02-19 13:51:00

चालीसा का प्रथम रविवार, प्रलोभन, मन-परिवर्तन एवं सुसमाचार पर चिंतन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 19 फरवरी 2018 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 18 फरवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"

"चालीसा के इस प्रथम रविवार का सुसमाचार पाठ प्रलोभन, मन-परिवर्तन एवं शुभ समाचार की विषयवस्तु का स्मरण दिलाता है। सुसमाचार लेखक मारकुस लिखते हैं, "इसके बाद आत्मा ईसा को निर्जन प्रदेश ले चला। वह चालीस दिन वहाँ रहे और शैतान ने उनकी परीक्षा ली।" (मार 1: 12-13)

संत पापा ने कहा, "येसु दुनिया में अपने मिशन की तैयारी हेतु निर्जन प्रदेश जाते हैं। उन्हें मन- परिवर्तन की आवश्यकता नहीं थी किन्तु एक मनुष्य के रूप में, अपनी एवं पिता की इच्छा पूरी करने और हमारे लिए कृपा प्रदान करने के लिए उन्हें परीक्षा से होकर गुजरना था ताकि हम प्रलोभन से बच सकें। इस तैयारी का अर्थ है बुराई की आत्मा से संघर्ष करना अर्थात् शैतान के विरूद्ध संघर्ष। हमारे लिए भी चालीसा काल एक आध्यात्मिक संघर्ष का समय है। इस दरमियान हम प्रार्थना के द्वारा बुराई का सामना करने एवं ईश्वर की सहायता से हमारे दैनिक जीवन में उससे ऊपर उठने के लिए बुलाये जाते हैं। हम जानते हैं कि दुर्भाग्य से बुराई हमारे जीवन एवं हमारे आसपास क्रियाशील है जहाँ हिंसा, दूसरों का तिरस्कार, बंदी, युद्ध और अन्याय किया जा रहा है।

निर्जन प्रदेश में प्रलोभन के तुरन्त बाद, येसु सुसमाचार का प्रचार करना आरम्भ करते हैं। सुसमाचार व्यक्ति से मन-परिवर्तन एवं विश्वास की मांग करता है। येसु घोषणा करते हैं, "समय पूरा हो चुका है। ईश्वर का राज्य निकट आ गया है।" उसके बाद वे निमंत्रण देते हैं, "पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो।"(पद. 15)

उस सुसमाचार पर विश्वास करना कि ईश्वर का राज्य निकट आ गया है, हमारे जीवन में हमेशा और हर दिन मन-परिवर्तन की मांग करता है, कलीसिया हमें इसके लिए प्रार्थना करने हेतु प्रेरित करती है। वास्तव में, हम कभी भी ईश्वर की ओर पर्याप्त उन्मुख नहीं होते, अतः हमें अपने मन और हृदय को लगातार उनकी ओर मोड़ना चाहिए। इसके लिए हमें उन सभी चीजों का बहिष्कार करने के साहस की आवश्यकता है जो हमें उनसे दूर भटकाते हैं। वे हमारे स्वार्थ के द्वारा चुपके से आकर्षित कर हमें झूठे मूल्य के द्वारा धोखा देते हैं। जबकि हमें प्रभु पर, उनकी अच्छाई एवं हम प्रत्येक के लिए उनके प्रेम की योजना पर भरोसा रखना चाहिए।

संत पापा ने कहा कि यह पश्चाताप की घड़ी है किन्तु उदास होकर विलाप करने का नहीं। यह सहर्ष एवं गंभीर समर्पण का, हमारे पुराने स्वभाव से लड़ने तथा बपतिस्मा की कृपा के अनुसार अपने आप के नवीकरण का समय है।  

ईश्वर ही केवल हमें सच्ची खुशी प्रदान कर सकते हैं। यह व्यर्थ ही है कि हम उन्हें धन, सुख, सत्ता और पद आदि में खोजने का प्रयास करते हैं। ईश्वर का राज्य हमारी सबसे गहरी और वास्तविक आकांक्षाओं की पूर्ति है क्योंकि इससे एक ही समय में मानव की मुक्ति एवं ईश्वर की महिमा प्रकट होती है।

संत पापा ने कहा कि चालीसा काल के इस रविवार को हम मन-परिवर्तन हेतु येसु के आह्वान को ध्यान पूर्वक सुनें एवं सुसमाचार में विश्वास करें। हम पास्का की ओर यात्रा आरम्भ करने हेतु समर्पित होने के लिए प्रेरित किये जाते हैं ताकि हम ईश्वर की कृपा को ग्रहण कर सकें जो दुनिया को न्याय, शांति और भाईचारा के राज्य में बदलना चाहते हैं।

संत पापा ने चालीसा काल में ईशवचन के प्रति विश्वस्त बने रहने हेतु माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "अति निष्कलंक मरियम इस चालीसा में ईशवचन के प्रति निष्ठावान बने रहने एवं निरंतर प्रार्थना करने में मदद दे, जैसा कि येसु ने निर्जन प्रदेश में किया। उस प्रेम का स्वागत करने की प्रबल चाह महत्वपूर्ण है जो ईश्वर से आता तथा हमारे जीवन एवं समस्त विश्व के जीवन को बदलना चाहता है। 

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विभिन्न सूचनाएँ जारी करते हुए कहा, "एक महीने के अंदर 19 से 24 मार्च तक पूरे विश्व से करीब 300 युवा रोम में एकत्रित होंगे जो अक्तूबर में होने वाले सिनॉड की तैयारी हेतु आयोजित सभा में भाग लेंगे। मेरी तीव्र अभिलाषा है कि सभी युवा इस तैयारी के मुख्य पात्र बनें ताकि दूसरे युवा, विभिन्न भाषा के दलों के माध्यम से ऑनलाइन जुड़ सकें। नेटवर्क दलों के सहयोग से रोम की सभा में भाग लेने वाले युवा अपना योगदान दे सकेंगे। संत पापा ने युवाओं को सम्बोधित कर कहा, "प्रिय युवाओ, आप धर्माध्यक्षों के सिनॉड के सचिवालय के वेबसाईट पर जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं। आपके सहयोग के लिए धन्यवाद।

तदुपरांत संत पापा ने परिवारों, पल्ली दलों, संगठनों एवं सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया जो इटली एवं विश्व के विभिन्न देशों से संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित थे। उन्होंने मुर्चा, वान्नेस, वार्साव एवं रोक्लो के विश्वासियों का अभिवादन किया।

इसके बाद संत पापा ने पुनः स्मरण दिलाते हुए कहा कि चालीसा के आरम्भ में जिसको मैंने मन परिवर्तन एवं बुराई से लड़ने की एक यात्रा कहा, मैं कैदियों को अपना विशेष अभिवादन भेजता हूँ। उन्होंने कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो जो कैदखाने में हैं, मैं आप प्रत्येक को प्रोत्साहन देता हूँ कि आप चालीसा काल के इस समय को प्रभु की दयादृष्टि में मेल-मिलाप एवं अपने जीवन के नवीनीकरण के अवसर के रूप में लें। वे क्षमा करने से कभी नहीं थकते।"

अंत में संत पापा ने अपने तथा वाटिकन में अपने सभी कर्मचारियों के लिए प्रार्थना का आग्रह किया जो इस सप्ताह आध्यात्मिक साधना में भाग लेंगे। तब उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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