2018-02-16 11:07:00

ख़तरों एवं सम्भावनाओं के प्रति सन्त पापा फ्राँसिस ने पुरोहितों को किया सचेत


रोम, शुक्रवार, 16 फरवरी 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम स्थित सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर में प्रभु येसु के दुखभोग के स्मरणार्थ मनाये जानेवाले चालीसा काल के उपलक्ष्य में पुरोहितों के साथ पारम्परिक मुलाकात के दौरान, गुरुवार को, सन्त पापा फ्राँसिस ने पौरोहित्य जीवन के ख़तरों एवं सम्भावनाओं के प्रति ध्यान आकर्षित कराया।

सन्त पापा फ्रांसिस ने पुरोहितों से कहा कि हर पुरोहित अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि पुरोहित को केवल अपने आस-पड़ोस की परिस्थितियों को ही नहीं देखना चाहिये अपितु पौरोहित्य जीवन को उचित रीति से निभाने के लिये अपने जीवन की शैली का ख़ुद निर्माण करना चाहिये। 

इस बात के प्रति उन्होंने ध्यान आकर्षित कराया कि हालांकि पुरोहित को निर्धारित सीमाओं के भीतर रहकर काम करना होता है किन्तु इसके बावजूद उन्हें इन सीमाओं के साथ सम्वाद करते हुए जीवन यापन करना चाहिये।

युवा पुरोहितों को सन्त पापा ने परामर्श दिया कि वे अपने लिये एक मार्गदर्शक चुनें जो उन्हें उनका दिशा निर्देशन कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक काथलिक पुरोहित ब्रहम्चर्य के व्रत में बँधा है किन्तु ब्रहम्चर्य का वरण करने के लिये उसे एक मार्गदर्शक की नितान्त आवश्यकता है जो उसे उसकी उर्वरक अवधि में विवेक प्रदान कर सके।

अधेड़ पुरोहितों से सन्त पापा ने कहा कि वे स्वतः को घर के पिताओं के सदृश समझें जो अपने से छोटों का मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि इस आयु में पुरोहितों को अपनी प्रेरिताई के लिये सतत प्रार्थना की ज़रूरत होती है ताकि वे संसार एवं शैतान के प्रलोभन में न पड़ें और अन्यों के लिये आदर्श बन सकें।      

वृद्ध पुरोहितों को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि वृद्धावस्था विवेक एवं प्रज्ञा की अवस्था है और इस अवस्था के पुरोहितों का दायित्व है कि वे हर विश्वासी के प्रति स्वतः को उपलभ्य बनायें तथा सदैव सबकी मदद को तैयार रहें। सन्त पापा ने वृद्ध पुरोहितों के अनुभव से लाभान्वित होने का पुरोहितों को परामर्श दिया तथा वृद्ध पुरोहितों का आह्वान किया कि वे अपने अनुभवों के आधार, विशेष रूप से, युवा पुरोहितों की सहायता करें।








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