2018-02-15 16:21:00

चालीसा काल उपवास एवं दया के कामों को करने का अवसर, कार्डिनल ऑस्वल्ड


मुम्बई, बृहस्पतिवार, 15 फरवरी 2018 (रेई): मुम्बई के ‘पवित्र नाम’ महागिरजाघर में बुधवार 14 फरवरी को राखबुध मनाने के लिए करीब 500 विश्वासियों ने भाग लिया।

मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष एवं सीबीसीआई के नये अध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने राखबुध की धर्मविधि का अनुष्ठान किया। इस अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने विश्वासियों को स्मरण दिलाया कि यह आध्यात्मिकता में बढ़ने तथा उपवास करने एवं दान देने का अवसर है।

उन्होंने संदेश में कहा, "राखबुध के साथ 14 फरवरी को हमने चालीसा के कृपाओं से भरे एक विशेष काल की शुरूआत की जिसमें हमें निमंत्रण दिया जाता है कि हम प्रभु के दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान पर चिंतन करें।" 

कार्डिनल ने कहा "चालीसा काल 2018 के लिए अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस हमें स्मरण दिलाते हैं कि येसु हमें उस परिस्थिति की चेतावनी देते हैं जिसमें शिष्यों के समुदाय में झूठे नबी होंगे जो उन्हें भटकने एवं सुसमाचार के मूल, प्रेम के सदगुण में ठंढ़ा पड़ने हेतु प्रेरित करेंगे। 

संत पापा के संदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सहानुभूति एवं दया की भावना तथा प्रेम के फलों को कभी ठंढ़ा नहीं पड़ना चाहिए। चालीसा काल में विशेषकर, ख्रीस्तयाग और ईश वचन के पाठ, हमारे लिए आध्यात्मिक नवीनीकरण के माध्यम हैं, साथ ही साथ, कलीसिया हमें सलाह देती है कि हम अधिक प्रार्थना, पश्चाताप एवं उदारता के कार्यों द्वारा अपना आध्यात्मिक नवीनीकरण करें।   

कार्डिनल ने उपवास एवं परहेज के लिए प्रोत्साहन देते हुए कहा, "मैं आप सभी को प्रोत्साहन देता हूँ कि पुरानी परम्परा को अपनाते हुए राखबुध एवं चालीसा काल के शुक्रवारों को मांस से परहेज करें। हमें प्रभु के प्रति उदार बनने की आवश्यकता है। पुण्य शुक्रवार को प्रभु के दुःखभोग की याद करते हुए न केवल चालीसा काल में किन्तु साल भर के हर शुक्रवार को मांस से परहेज रखें। यह समय मेल-मिलाप संस्कार में भाग लेने का भी अवसर है। हम पवित्र सप्ताह का इंतजार न करें किन्तु अभी ही मेल-मिलाप संस्कार में भाग लेकर प्रभु की कृपा को ग्रहण करें। 

कलीसिया के नियम संख्या 1249 को उद्धृत करते हुए उन्होंने हरेक विश्वासी को तपस्या करने का निमंत्रण दिया तथा उन्हें प्रार्थना, दया और उदारता के कार्यों, अपने कामों को अधिक निष्ठा पूर्वक पूरा करने की सलाह दी खासकर, उपवास एवं परहेज के माध्यम से।








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