2018-02-12 14:02:00

विश्व रोगी दिवस पर येसु पर चिंतन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 12 फरवरी 2018 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 11 फरवरी को, विश्व रोगी दिवस के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा विश्वासियों को अपना संदेश दिया। उन्होंने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एव बहनो, सुप्रभात।"

इन रविवारों को, संत मारकुस रचित सुसमाचार पाठ येसु द्वारा सभी प्रकार के रोगियों की चंगाई को प्रस्तुत करते हैं। इस संदर्भ में विश्व रोगी दिवस को सही स्थान मिला है जो 11 फरवरी को पड़ता है, जब लूर्द की माता मरियम का पर्व मनाया जाता है। इसलिए हमारा ध्यान मस्साबिल्ले की गुफा की ओर जाता है। हम येसु को शरीर और आत्मा के सच्चे चिकित्सक के रूप में चिंतन करें, जिनको पिता ईश्वर ने इस दुनिया में मानवता की चंगाई करने भेजा, जो पाप और पाप के परिणामों से त्रस्त थी।

सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा, "आज का सुसमाचार पाठ कोढ़ की बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति की चंगाई को प्रस्तुत करता है जिसको पुराने व्यवस्थान में गंभीर अशुद्धता माना जाता था तथा कोढ़ी व्यक्ति को समुदाय से अलग कर दिया जाता था। इस प्रकार उन्हें अकेले जीना पड़ता था।" उनकी स्थिति सचमुच दर्दनाक होती थी क्योंकि उस समय की मानसिकता उन्हें ईश्वर एवं लोगों के सामने अशुद्ध होने का एहसास दिलाता था। अतः सुसमाचार पाठ का वह कोढ़ी येसु से अर्जी करता है, "आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।" जिसको सुनने के बाद येसु को उस पर तरस आता है।

संत पापा ने कहा, "येसु के इस आंतरिक प्रतिध्वनि पर ध्यान देना अत्यन्त महत्वपूर्ण है जैसा कि हमने करुण की जयन्ती वर्ष के दौरान लम्बे समय तक किया। हम तब तक ख्रीस्त और उनके  कार्यों को नहीं समझ सकते, जब तक कि हम उनके हृदय में प्रवेश न कर लें जो कि दया और करुणा से पूर्ण है।"  इसी भावना ने उन्हें पीड़ित कोढ़ी तक पहुँचने हेतु प्रेरित किया, उनका स्पर्श करने एवं उनसे यह कहने, "मैं यही चाहता हूँ शुद्ध हो जाओ।" यहाँ सबसे अधिक प्रभावित करने वाली बात यह है कि येसु ने उसका स्पर्श किया क्योंकि ऐसा करना मूसा की संहिता के अनुसार पूरी तरह वर्जित था। एक कोढ़ी को छूने का मतलब था अंदर से संक्रमित होना, आत्मा की अशुद्धता अर्थात् पूरी तरह अशुद्ध हो जाना किन्तु इस मामले में कोढ़ी का संक्रामण येसु को प्रभावित नहीं कर सका बल्कि येसु ने उन्हें शुद्ध कर दिया। इस चंगाई में हम येसु की सहानुभूति, दया एवं साहस को देखते हैं जो न तो संक्रमण की चिंता करते और न ही उससे बचने के उपाय की बल्कि उस व्यक्ति के अभिशाप से उसके मुक्त होने की लालसा से प्रभावित होते जिसने उसे अपने कब्जे में कर लिया था।

संत पापा ने कहा, "कोई भी बीमारी अशुद्धता का कारण नहीं होता। बीमारी सम्पूर्ण व्यक्तित्व को अवश्य प्रभावित करता है किन्तु यह किसी भी तरह से ईश्वर के साथ हमारे संबंध को नहीं तोड़ सकता। इसके विपरीत, हो सकता है कि बीमार व्यक्ति ईश्वर से अधिक संयुक्त हो। हमें जो सचमुच अशुद्ध कर सकते हैं वे हैं, स्वार्थ, घमंड और भ्रष्टाचार। ये हृदय की बीमारियाँ हैं जिनसे हमें शुद्ध किये जाने की आवश्यकता है। हम उस कोढ़ी की तरह येसु की ओर मुड़ें और प्रार्थना करें, "आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।"

संत पापा ने मौन प्रार्थना का निमंत्रण देते हुए कहा, अब हम कुछ देर मौन रहकर अपने हृदय पर गौर करें, अपने अंदर झांक कर देखें और अपनी अशुद्धियों एवं पापों को देखने का प्रयास करें तथा मन ही मन प्रभु से कहें, "आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।" जब कभी हम पश्चातापी हृदय से पाप-स्वीकार संस्कार में भाग लेते हैं तब प्रभु यही दुहराते हैं, "मैं यही चाहता हूँ, शुद्ध हो जाओ।" संत पापा ने कहा कि इसमें अपार खुशी है। इस तरह कोढ़ रूपी हमारे पाप मिट जाते हैं और हम ईश्वर के साथ एवं समुदाय में पुनः वापस लौटते हुए आनन्द के साथ जाने लगते हैं।

धन्य कुँवारी मरियम हमारी निष्कलंक माता की मध्यस्थता द्वारा, हम प्रभु से प्रार्थना करें कि जिन्हें रोगी को चंगा किया वे अपनी असीम करुणा से हमारे आंतरिक घावों को चंगा कर दे, हमें आशा एवं हृदय की शांति को पुनः वापस कर दे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विभिन्न जानकारियाँ प्रस्तुत कीं। उन्होंने पनामा में होने वाले आगामी विश्व युवा दिवस में सहभागी होने हेतु अपना नाम दर्ज कराते हुए कहा कि मैंने विश्व युवा दिवस के लिए एक तीर्थयात्री के रूप में अपना नामांकन किया। उन्होंने सभी युवाओं को निमंत्रण दिया कि वे इस अवसर को विश्वास एवं उत्साह के साथ मनायें।

संत पापा ने चंद्र नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा, "15 फरवरी को पूर्व एवं विश्व के विभिन्न हिस्सों में मिलियन लोग चन्द्र नव वर्ष मनाते हैं। मैं उनके सभी परिवारों को अपना हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान करता हूँ इस आशा के साथ कि वे सौहार्द, भाईचारा एवं भलाई तथा उस समाज के निर्माण हेतु सहयोग दे सकेंगे जिसमें हर व्यक्ति को स्वीकृति, सुरक्षा, प्रोत्साहन एवं एकीकरण प्राप्त हो सके। मैं शांति के बहुमूल्य वरदान के लिए प्रार्थना करने हेतु निमंत्रण देता हूँ जिसको सहानुभूति, दूरदर्शिता एवं साहस के द्वारा अपनाया जा सके।

उसके उपरांत संत पापा ने परिवारों, पल्लियों, संगठनों एवं उन सभी लोगों का अभिवादन किया जो इटली तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित थे। जिनमें उन्हें विशेषकर, स्पेन के मूर्चा के तीर्थयात्रियों एवं पुर्तगाल के गुमारास के बच्चों का अभिवादन किया।

संत पापा ने रोम स्थित कोंगो समुदाय के लोगों का अभिवादन करते हुए शांति हेतु उनकी प्रार्थना में सहभागी होने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "मैं याद करता हूँ कि विशेष रूप से 23 फरवरी को इस निवेदन हेतु प्रार्थना एवं उपवास किया जाएगा।"

संत पापा ने इटली की पल्लियों के उन युवाओं की याद की जो दृढ़ीकरण संस्कार प्राप्त कर चुके हैं तथा जो अपने विश्वास को प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा, "मैं उन सभी दलों का नाम नहीं ले सकता किन्तु मैं आपकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद देता हूँ तथा आप सभी को प्रोत्साहन देता हूँ कि आप आनन्द, उदारता, भलाई के साक्ष्य एवं प्रभु की करुणा में बढ़ें।"   

तदुपरांत, विश्व रोगी दिवस का स्मरण करते हुए संत पापा ने कहा, "मैं विशेषकर, विश्व के हर भाग के बीमार लोगों को सम्बोधित करता हूँ जो शारीरिक बीमारी के साथ-साथ, बहुधा अकेलापन एवं हाशिये पर जीवन यापन करने के लिए बाध्य हैं। धन्य कुँवारी मरियम रोगियों की स्वास्थ्य हरेक को अपने शरीर एवं आत्मा में आराम पाने में मदद करे।" संत पापा ने रोगियों की मदद करने वाले सभी लोगों के प्रति भी अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

अंततः संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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