2018-02-01 15:40:00

महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करने के लिए एक महिला राजनीतिक आंदोलन


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 1 फरवरी 2018 (एशियान्यूज़): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के नारी उत्थान विभाग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष जेकब मार बरनाबस ने एशिया न्यूज़ को बतलाया कि महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने कई कदम उठाये हैं जिनमें से एक है "भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने तथा नारी मूल्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलन को बढ़ावा देना। धर्माध्यक्ष के अनुसार पुरूष और नारी की प्रतिष्ठा एक समान है।"   

भारत की कलीसिया द्वारा महिलाओं के पक्ष में इस प्रयास का उद्देश्य है प्रधानता की मानसिकता में परिवर्तन लाना, खासकर, उस मानसिकता से जिसमें महिलाएँ अपने को पुरूषों से नीचे समझती हैं। यह एक लम्बी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कलीसिया उनके लिए संघर्ष कर रही है।

धर्माध्यक्ष बरनाबस ने यह बात भारत के वितमंत्री के उस रिपोर्ट के बाद कही, जिसमें उन्होंने बतलाया है कि 21 मिलियन ‘अवांछित लड़कियाँ’ हैं जिनके माता-पिता बच्चों को तब तक जन्म देना जारी रखते हैं जब तक कि पुत्र पैदा न हो जाए। अधिकारियों की रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि लिंग चयनात्मक गर्भपात, मृत्यु या बहिष्कार के कारण 63 मिलियन महिलाएँ भारत की आबादी से गायब हैं।

इस पृष्ठभूमि के बावजूद धर्माध्यक्ष के लिए "यह सोचना गलत है कि देश में महिलाएँ हमेशा नीच समझी जाती हैं। केवल कुछ संजातीय दल हैं जिनमें महिलाएँ प्रधान होती हैं और जिसमें सम्पति पुत्रों को नहीं बल्कि पुत्रियों को दी जाती हैं।"    

उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा देश में अब भी काफी मजबूत है जिसके द्वारा कई समस्याएँ खासकर, गरीब परिवारों के लिए उत्पन्न हो जाती हैं। जब माता-पिता सम्पति का बटवारा अपने बच्चों के बीच करते हैं तब भी समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं। लड़कियों को आर्थिक बोझ के रूप में देखा जाता है और जिसके कारण इधर कुछ सालों से महिला गर्भपात में वृद्धि हुई है यद्यपि लिंग परीक्षण को अवैध घोषित किया गया है।

धर्माध्यक्ष ने कहा किन्तु धीरे-धीरे मानसिकता बदल रही है। लड़कियों के लिए काम की खोज करना आसान है और काथलिक कलीसिया भी कई तरह से इसमें मदद दे रही है।

महिला उत्थान विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि हर पल्ली में महिलाओं की मदद करने हेतु दलों का निर्माण किया गया है।

उदाहरण के लिए 8 सितम्बर को माता मरियम के जन्म दिवस पर सभी कलीसियाओं को एक चिट्ठी दे गयी है जिसमें महिलाओं की भूमिका एवं महत्व का जिक्र किया गया है। कई ऐसे केंद्र भी खोले गये हैं जिसमें परित्यक्त महिलाओं को अध्ययन करने एवं काम पाने में सहायता दी जाती है।








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