2018-01-31 15:45:00

शब्द समारोहः ईश्वर और मनुष्य के बीच वार्ता


वाटिकन सिटी, बुधवार, 24 जनवरी 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों को पवित्र यूखारिस्त बलिदान पर अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाई एवं बहनों, सुप्रभात।

यूखारिस्त धर्मविधि के बारे में परिचय उपरान्त आइए हम धर्मविधि में “शब्द समारोह” के बारे चिंतन करें क्योंकि इसमें हम ईश्वर के किये गये कार्यों की चर्चा सुनते हैं जिसे ईश्वर पुनः हमारे जीवन में करने की चाह रखते हैं। यह हमारे लिए सुनी सुनाई बात नहीं वरन एक “जीवंत” उदाहरण होता है क्योंकि गिरजाघर में ईश वचनों के पठन-पाठन द्वारा ईश्वर अपने पुत्र के वचनों, सुसमाचार द्वारा हम सभों से बातें करते हैं।

शब्द समारोह में हम वास्तव में ईश्वर के वचनों को सुनते हैं जिसके माध्यम से ईश्वर स्वयं हम से बातें करते और हमें अपने वचनों पर विश्वास करने हेतु निमंत्रण देते हैं। आत्मा जो प्रेरितों के माध्यम से बोला और सुसमाचार लेखकों को इसे लिखने हेतु प्रेरित किया “वे वचन हमारे हृदयों और कानों में गुंजित होते हैं।”  वचनों के माध्यम ईश्वर हम से बातें करते, हम उन्हें सुनते और उन वचनों को अपने जीवन में जीने का प्रयास करते हैं।

संत पापा ने कहा कि हमें वचनों को सुनने की जरूरत है। वे वास्तव में हमारे लिए जीवन के स्रोत हैं। इसके बारे हमें विशिष्ट रुप से कहा गया है, “मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता वरन ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीता है।(मत्ती. 4.4) इस अर्थ में हम शब्द समारोह को एक “मेज” के समान देखते हैं जिसे ईश्वर हमारे आध्यात्मिक जीवन को प्रोषित करने हेतु सजाते हैं। शब्द समारोह की मेज धर्मग्रंथ के मूल्यवान चीजों से भरा-पूरी एक मेज है जहाँ हम पुराने और नये दोनों विधानों में येसु ख्रीस्त के अद्वितीय और महान रहस्य के प्रकटीकरण को पाते हैं। संत पापा ने कहा कि यहाँ मैं स्तोत्र के महत्व की चर्चा करना चाहूँगा जो हमें प्रथम पाठ पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है। यह हमारे लिए उचित है कि हम इसे गायें, कम से कम स्थायी को। उन्होंने कहा कि दैनिक साप्ताहिक पाठ भी हमारे ख्रीस्त जीवन को प्रोषित करने हेतु अति महत्वपूर्ण होते हैं।

यूखारिस्त बलिदान के पाठों को हम पूर्वी और पश्चिम विभिन्न रीतियों के अनुसार पाठ संग्रहों में पाते हैं। धर्मविधि के दौरान इन पाठों का पठन जो कि धर्मग्रंथ के स्तोत्र से संयोजित है हमारे लिए कलीसिया की एकता को प्रकट करता और हम प्रत्येक को अपने दैनिक जीवन में प्रोषित करता है। यही कारण है कि हम धर्मविधि में व्यक्तिनिष्ठ या गैर-धर्मग्रंथों से पाठों के निषेध को पाते हैं क्योंकि वे ईश्वर और विश्वासियों के मध्य वार्ता को कमजोर करती हैं। वही दूसरी ओर मंच और पाठ संग्रह से लिये गये पाठ, पाठों और स्तोत्र के सही उद्घोषक, शांतिपूर्ण माहौल हमें ईश्वर और विश्वासियों की सामुदायिक वार्ता को अर्थपूर्ण बनाता है।

संत पापा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि ईश्वर का वचन हमारे लिए अपरिहार्य सहायता है जिसके द्वारा हम अपने को जानते और समझ पाते हैं जैसे कि स्तोत्र रचयिता कहा है, “ईश्वर का वचन मेरे पैरों, मेरे मार्ग की ज्योति है।” (स्तो.119.105) हम अपने भौतिक जीवन में कठिनइयों और मुश्किलों का सामना कैसे कर सकते हैं यदि ईश्वर का वचन हमारे प्रतिदिन के जीवन को प्रोषित और ज्योतिमय न करेंॽ  

संत पापा ने कहा कि ईश्वर के वचनों का श्रवण करना हमारे लिए पर्याप्त नहीं है बल्कि हमें ईश्वरीय दिव्य वचनों को अपने हृदय में ग्रहण करते हुए उसके द्वारा फल उत्पन्न करने की जरूरत है। उन्होंने बोने वाले के दृष्टांत को उद्धत करते हुए कहा कि हम उन बीजों की याद करें जो विभिन्न तरह की भूमियों में गिरे।(मत्ती. 4.14-20) हमारे जीवन और हमारे हृदयों में पवित्र आत्मा की क्रियाशीलता जरूरी है जिससे जिन बातों को हम मिस्सा बलिदान में सुनते हैं वे हमारे दैनिक जीवन का अंग बन सकें, जैसे की प्रेरित संत याकूब कहते हैं, “आप वचन के श्रोता ही नहीं, बल्कि उसके पालनकर्ता भी बनें।” (याकू.1.22)

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रासिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। संत पापा ने कहा कि आज हम सभी संत योहन बास्को का त्योहार मनाते हैं जो युवाओं के पिता और शिक्षक रहे। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपने शिक्षकों की ओर निगाहें फेरें। आप बुजुर्ग और बीमार से पीड़ितों, आप क्रूसित येसु पर अपना विश्वास बनाये रखें। और नव विवाहितों आप वैवाहिक जीवन की प्रेरिताई को उदारतापूर्वक जीने हेतु येसु से निवेदन करें।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने सभी परिवारों पर येसु ख्रीस्त की शांति और खुशी की कामना की और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। 








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