2018-01-31 15:33:00

दूतेरते के संवैधानिक परिवर्तनों के खिलाफ फिलीपींस के धर्माध्यक्ष


मनिला, बुधवार 31 जनवरी 2018 (एशियान्यूज) : फिलीपींस के राष्ट्रपति दूतेरते द्वारा 1987 के संविधान में परिवर्तन लाने हेतु दिये गये सुझाव से सभी धर्माध्यक्ष असहमत हैं।

मन्दाव शहर में  27 से 29 जनवरी तक चल रहे फिलीपींस काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन(सीबीसीपी) की 116वीं द्विवर्षीय आमसभा ने एक संघीय सरकार की ओर राष्ट्रपति के कदम की और राज्य के कुछ उच्चतम कार्यालयों के कार्यों का विस्तार करने के लिए उनकी आलोचना की है।

"कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत द्वारा प्रोत्साहित", धर्माध्यक्षों का कहना है, "हम स्पष्ट और साफ दिल से अपनी नैतिकता के लिए खड़ा होना चाहते हैं"

सीबीसीसी अध्यक्ष और दावाओ के महाधर्माध्यक्ष रोमुलो जी वैलेगस द्वारा हस्ताक्षरित पत्र, "चार सिद्धांतों" की पहचान करता है, जो इस प्रकार है, "चार्टर परिवर्तन की दिशा में वर्तमान कार्यवाही पर नैतिक आधार के तहत निर्णय", अर्थात् गरिमा और मानवाधिकार, अखंडता और सच्चाई, भागीदारी और एकता, और सार्वजनिक भलाई। धर्माध्यक्षों के लिए, "एक नए संविधान हेतु जल्दीबाजी में लिया गया यह कदम" इन मूलभूत मूल्यों को लुप्तप्राय कर सकता है।

एक सत्तावादी मोर्चा और पारदर्शिता की कमी के भय का हवाला देते हुए, पत्र में मांग की गई है कि विधायक व्यक्तिगत हितों के बजाय "सार्वजनिक हितों" को बढ़ावा देने का प्रयास करें।

 वास्तव में, "जब चार्टर परिवर्तन स्वयं के फायदे लिए बन जाती है, जैसे कि 'नो-एलेक्शन' (कोई चुनाव नहीं) के लिए कहती है तो राष्ट्रपति का कार्यकाल स्वतः बढ़ जाता है जिससे देश के नागरिक शक, विस्मय और उत्पीड़न के साथ प्रतिक्रिया दिखायेंगे। "

पत्र में इस बात को भी लिखा गया है कि "पिछले अनुभव के आधार पर यह तानाशाह की भावना लगती है और "राजनीतिक राजवंश वास्तव में हमारे देश के राजनीतिक जीवन में हावी हो रहे हैं।"

धर्माध्यक्षों ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संघीय व्यवस्था और सत्ता के विकेंद्रीकरण के बारे में भी सवाल उठाया है।

एक "संघीय प्रणाली जो एक समान आधार पर संघीय राज्यों को शक्ति प्रदान करती है, वह मिनदानाओ के लुमाड्स और मुस्लिमों की स्वतंत्रता और पैतृक अधिकारों के लिए सम्मान की उम्मीदों को संतुष्ट नहीं कर पायेगी।"

संविधान को बदलने के बजाय, 1987 के चार्टर के "पूर्ण कार्यान्वयन" की आवश्यकता है, जो हालांकि अपूर्ण है "पर सुसमाचार के अनुरूप"है। इसे ध्यान में रखते हुए, धर्माध्यक्ष काथलिकों से आग्रह करते हैं कि वे सचेत रहें। वे बारंबार कहते हैं कि सहभागिता ही लोकतंत्र का दिल है।

"हम आपसे आग्रह करते हैं, "ईश्वर के प्रिय लोगो,  आप अपनी बुद्धि, तर्क और स्तंत्रता का सही प्रयोग करें। आप आपस में चर्चा और बहस करें और सुसमाचार के प्रकाश में अपना निर्णय लें। हमारे लिए अभी आवश्यक है कि हमारे विधायकों को केवल चार्टर के उस मुद्दे पर सभी की भलाई के लिए वास्तव में जो कुछ करना है, उसके लिए राजी करें।"  

अंत में, "हम इस महत्वपूर्ण नैतिक कार्य को, हमारे देश के भविष्य को कुंवारी माता मरियम, फिलीपींस की रानी को सौंप देते हैं।"








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