2018-01-30 16:39:00

कलीसिया के चरवाहे कठोर नहीं वरन् कोमल एवं लोगों के करीब होते हैं


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 30 जनवरी 2018 (रेई): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में मंगलवार 30 जनवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में सच्चे चरवाहे की विशेषताओं को प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा कि एक सच्चा चरवाहा का मनोभाव येसु के समान होना चाहिए जो ठोस सामीप्य एवं कोमलता के साथ अपने लोगों का साथ देता है न कि कठोरता एवं न्याय के साथ पेश आता।  

संत पापा ने संत मारकुस रचित सुसमाचार के उस पाठ पर चिंतन किया जिसमें येसु द्वारा चंगाई की दो घटनाओं का जिक्र है। संत पापा ने कहा कि यह येसु के जीवन के एक दिन को दर्शाता है जो कि एक पुरोहित अथवा धर्माध्यक्ष के लिए उत्तम उदाहरण है कि उन्हें लोगों के साथ चलना, उनके बीच रहना एवं उनकी देखभाल करना है।

सुसमाचार लेखक वर्णन करता है कि येसु लोगों की भीड़ से घिरे थे जो उनके साथ चल रही थी। यह ईश्वर की उस प्रतिज्ञा को दर्शाता है जिसमें उन्होंने अपने लोगों का साथ देने का वचन दिया था।

संत पापा ने कहा कि येसु एक प्रतीक के साथ आध्यात्मिक सलाह हेतु कार्यालय नहीं खोलते और न ही एक डॉक्टर के प्रतीक के साथ वे कोई संस्था चलाते हैं बल्कि वे खुद को लोगों की भीड़ में डाल देते हैं।

उन्होंने कहा कि यही सच्चे चरवाहे की छवि है जिसे येसु हमें प्रदान करते हैं। जब लोग उनसे आग्रह करते हैं तो येसु बाहर जाना और कठिनाई में पड़े लोगों से मुलाकात करना चाहते हैं। एक पवित्र पुरोहित जो अपने लोगों का साथ देता वह शाम तक सचमुच थक जाता है। उसकी थकान वास्तविक होती न कि काल्पनिक।

आज का सुसमाचार हमें इस बात से भी अवगत कराता है कि भीड़ के बीच येसु छू लिए गये। संत मारकुस रचित सुसमाचार में यह शब्द पाँच बार आता है। संत पापा ने गौर किया कि प्रेरितिक यात्रा के दौरान लोग ऐसा ही करते हैं। वे कृपा पाने के लिए ऐसा करते हैं जिसको येसु ने भी महसूस किया था। उन्होंने इसे वापस लेने का प्रयास कभी नहीं किया चाहे इसके लिए उन्हें लज्जा अथवा उपहास का पात्र ही क्यों न बनना पड़ा। ये येसु के चिन्ह हैं अतः उनमें एक सच्चे चरवाहे का मनोभाव है।

संत पापा ने कहा कि एक याजक जो अपने अभिषेक के दिन धर्माध्यक्ष द्वारा पवित्र तेल से अभियंजित किया जाता है, उसे एक सच्चे, आंतरिक, सामीप्य एवं कोमलता के तेल से अभियंजित होना चाहिए। पुरोहित जो अपने लोगों के करीब आना नहीं जानता वह कुछ खो रहा है, शायद वह उस क्षेत्र का मालिक बन रहा है न कि चरवाहा। एक पुरोहित जिसमें कोमलता का अभाव है वह कठोर होता तथा अपनी रेवड़ को पीटता है।

संत पापा ने कहा कि यदि येसु की तरह एक पुरोहित अपना दिन भले कार्यों को करते हुए थकान के साथ समाप्त करता है तब लोग उनमें ईश्वर की उपस्थिति महसूस करेंगे।

संत पापा ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे अपने पुरोहितों एवं धर्माध्यक्षों के लिए प्रार्थना करें ताकि ईश्वर ने कोमलता एवं नजदीकी के साथ लोगों के बीच रहने की जो कृपा उन्हें प्रदान की है उसे वे साकार कर सकें जिससे कि लोग उनमें ईश्वर की उपस्थिति महसूस कर सकें।  








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