2018-01-29 13:18:00

येसु हमारे गुरु कर्म और वचन से शक्तिशाली


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 जनवरी 2018 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस रविवार का सुसमाचार पाठ (मार.1,21-28) ‘कफरनाहूम के दिन’ कहे जाने वाले विस्तृत वृतांत का हिस्सा है। आज के पाठ के केंद्र में अपदूत निकालने की घटना का जिक्र है, जिसके द्वारा येसु एक नबी के रूप में वचन और कर्म के माध्यम से शक्तिशाली प्रस्तुत किये गये हैं।

"वे कफरनाहूम आये। जब विश्राम दिवस आया, तो ईसा सभागृह गये और शिक्षा देते रहे। लोग उनकी शिक्षा सुन कर अचंभे में पड़ जाते थे क्योंकि वे शास्त्रियों की तरह नहीं बल्कि अधिकार के साथ शिक्षा देते थे।" संत पापा ने कहा कि लोग जो शास्त्रियों की शिक्षा सुनते आये थे यह उनसे भिन्न थी, वास्तव में, शास्त्री, बिना अधिकार के शिक्षा देते थे जबकि येसु पूर्ण अधिकार के साथ शिक्षा देते थे। उन्होंने अपने आप को ईश्वर के संदेश वाहक के रूप में प्रकट किया, न कि एक साधारण व्यक्ति के रूप में, जिसे अपनी शिक्षा के लिए केवल परम्परा पर निर्भर रहना था। येसु को पूर्ण अधिकार था। उनका सिद्धांत नया था और सुसमाचार कहता है कि लोगों ने उसे अधिकार के साथ दी गयी नई शिक्षा कहा। (पद. 27)

साथ ही, येसु प्रकट करते हैं कि वे कार्य से भी शक्तिशाली हैं। कफरनाहूम के सभागृह में एक व्यक्ति था जो अशुद्ध आत्मा के वश में था जिसने अपने आप को ऊँचे स्वर से यह कहते हुए प्रकट किया, येसु नाजरेथ, आप हमसे क्या चाहते हैं। क्या आप हमारा सर्वनाश करने आये हैं, मैं जानता हूँ कि आप कौन हैं, ईश्वर के भेजे हुए परमपावन पुरूष।" (पद. 24).

अशुद्ध आत्मा ने सच कहा कि येसु अपदूतों का सर्वनाश करने आये हैं, उनपर विजय पाने। यह अशुद्ध आत्मा येसु के सामर्थ्य को जानता था और उसने उनकी पवित्रता को भी प्रकट किया। येसु उसे यह कहते हुए फटकारा, चुप रह, इस मनुष्य से बाहर निकल जा। (पद.25)  येसु के ये थोड़े शब्द शैतान पर विजय पाने के लिए काफी थे। सुसमाचार बतलाता है कि अपदूत उस मनुष्य को झकझोर कर ऊँचे स्वर से चिल्लाते हुए उससे बाहर निकल गया। (पद.26)

इस सच्चाई ने वहाँ उपस्थित सभी लोगों को चकित कर दिया। वे भयभीत हो गये तथा एक-दूसरे से पूछने लगे, यह क्या है? वे अशुद्ध आत्माओं को भी आदेश देते हैं।(पद.27) येसु का सामर्थ्य उनकी शिक्षा के अधिकार का प्रमाण देता है। वे केवल शब्दों का उच्चारण नहीं करते बल्कि कार्य भी करते हैं। इस तरह वे ईश्वर की योजना को वचन और कर्म की शक्ति से प्रकट करते हैं। वास्तव में, सुसमाचार में हम येसु को देखते हैं कि उन्होंने अपने इस धरा के मिशन में ईश्वर के प्रेम को अपनी शिक्षा एवं बीमार, जरूरतमंद, बच्चे एवं पापियों पर ध्यान देने एवं उनकी मदद करने के कार्यों द्वारा प्रकट किया।

येसु हमारे गुरु हैं जो शब्दों एवं कार्यों दोनों से शक्तिशाली हैं। येसु हमें उन सभी प्रकार के प्रकाश से अवगत कराते हैं जो हर रास्ते को उजाला प्रदान करते जो बहुधा हमारे कारण अंधकार हो जाते हैं। वे हमारे लिए उस शक्ति को भी प्रत्यक्ष करते हैं जो कठिनाईयों, चुनौतियों एवं प्रलोभनों पर विजय पाने के लिए आवश्यक है। सचमुच यह एक महान कृपा है कि हम उस ईश्वर को जानते हैं जो अत्यन्त शक्तिशाली एवं अच्छे हैं। एक शिक्षक एवं एक मित्र जो हमें रास्ता दिखलाते एवं हमारी देखभाल करते हैं, विशेषकर, जब हम जरूरत में होते हैं।

संत पापा ने माता मरियम की याद करते हुए कहा, "धन्य कुँवारी मरियम, सुनने वाली माता, हमारे अंदर और बाहर एकान्त बनाने में हमें मदद दे ताकि हम दुनिया के शोरगुल में, एक सबसे अधिकारपूर्ण शब्द को सुन सकें जिसको उनके पुत्र येसु ख्रीस्त हमें हर प्रकार की गुलामी (बुराई) से मुक्त करने के लिए उच्चरित करते हैं।"   

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विभिन्न लोगों को सम्बोधित किया। उन्होंने अफगानिस्तान की राजधानी कबुल में हुए आतंकी हमले के शिकार लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट की जिसमें करीब सौ लोग मारे गये तथा अनेकों घायल हुए हैं। उन्होंने कहा, "अफगान लोगों को इस अमानवीय हिंसा को कब तक सहना पड़ेगा? उन्होंने उनके लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए कहा, "हम मौन रहकर कुछ देर घटना के शिकार एवं उनके परिवार वालों के लिए प्रार्थना करें। हम उस देश के सभी लोगों के लिए प्रार्थना करें जो शांति के निर्माण हेतु कार्य कर रहे हैं।"

संत पापा ने विश्व कोढ़ी दिवस का स्मरण दिलाते हुए कहा कि आज विश्व कोढ़ी दिवस है यह बीमारी अब भी वंचित और गरीब लोगों को प्रभावित कर रही है। उन सभी भाई बहनों के प्रति हम अपना सामीप्य एवं सहृदयता प्रकट करते हैं। हम उन लोगों के लिए भी प्रार्थना करते हैं जो कोढ़ रोग से ग्रसित लोगों की मदद करते तथा समाज में उनके पुनः एकीकरण हेतु कार्य करते हैं।

उसके बाद संत पापा ने परिवारों, पल्लियों, संगठनों तथा इटली तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये सभी लोगों का अभिवादन किया, खासकर, उन्होंने स्पेन के विद्यार्थियों स्लोवेनिया एवं वेनिस तथा वेलिये के विश्वासियों को सम्बोधित किया।

संत पापा ने रोम धर्मप्रांत के काथलिक अक्शन दल के युवक-युवतियों का अभिवादन करते हुए कहा कि वे इस वर्ष भी अपने महाधर्माध्यक्ष, माता-पिता, शिक्षकों एवं संचालक पुरोहितों के साथ "शांति के काफिले" में भाग लेने बड़ी संख्या में आये हैं। संत पापा ने उनके इस प्रयास के लिए धन्यवाद दिया तथा प्रोत्साहन दिया कि वे शांति एवं आनन्द के माध्यम बनने से न थकें।

संत पापा ने शांति हेतु प्रार्थना के लिए युवाओं का नेतृत्व करते हुए कहा, "अभी हम एक साथ अपने हृदय में शांति हेतु प्रार्थना करेंगे। मौन प्रार्थना के अंत में युवाओं ने बैलून उड़ाया।"  

संत पापा ने युवाओं से कहा, "क्या आपने इन गुब्बारों को देखा? जब हम अच्छी तरह प्रार्थना नहीं करते, जब हम ऐसा जीवन नहीं जीते हैं जैसा येसु चाहते हैं तब हमारी प्रार्थना ऊपर नहीं जाती। और ऐसे समय में इसे ऊपर जाने के लिए हमें एक-दूसरे को मदद करना चाहिए। जब आप अपनी प्रार्थना को ऊपर उठता हुए महसूस नहीं करते हैं तो दूसरों से मदद मांगें।"

अंत में संत पापा ने अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएं अर्पित की।








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