2018-01-27 12:16:00

सच्चाई एवं साक्ष्य के साहस द्वारा विश्वास का हस्तांतरण


वाटिकन सिटी, शनिवार, 27 जनवरी 2018 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 26 जनवरी को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कहा कि यदि सुसमाचार का प्रभाव हमारे वास्तविक जीवन में व्यक्त न हो तो यह मात्र खोखला शब्द है।

संत पापा ने विश्वास को हस्तांतरित किये जाने पर चिंतन किया।

प्रवचन में उन्होंने संत पौलुस द्वारा तिमोथी को लिखे पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए स्मरण किया कि विश्वास को किस तरह उनकी दादी और माता ने निष्ठापूर्ण जीया एवं उन्हें हस्तांतरित किया जिसको स्वीकार करते हुए अब उसे साक्ष्य देना है।

संत पापा ने कहा कि पाठ में ‘आँसु’ शब्द का जिक्र है। पौलुस ने अधुरी शिक्षा द्वारा उसे मधुर बनाने का प्रयास नहीं किया बल्कि साहस के साथ पूरा किया क्योंकि सुसमाचार का प्रचार गुनगुनें लोगों के द्वारा संभव नहीं है।

उन्होंने कहा, "शिक्षा देना थप्पड़ मारने के समान है, एक ऐसा थप्पड़ जो व्यक्ति को आगे ले चलता है।"   

संत पौलुस स्वयं इसे मूर्खतापूर्ण शिक्षा कहते हैं। मूर्खतापूर्ण इसलिए क्योंकि ईश्वर मनुष्य बने, क्रूसित हुए एवं तीसरे दिन मृतकों में से जी उठे। इस शिक्षा में थोड़ी मूर्खता झलकती है जिसमें हम अधुरी शिक्षा के प्रलोभन में पड़ सकते हैं।

संत पापा ने विश्वास पर प्रकाश डालते हुए जोर दिया कि इसे साक्ष्य द्वारा हस्तांतरित किया जाना चाहिए। साक्ष्य वचन को पुष्ट करता है। उदाहरण के लिए आरम्भिक कलीसिया जिन्हें देखकर लोग कहते थे कि वे किस तरह एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। 

संत पापा ने गौर किया कि कुछ पल्लियों में प्रेम के बदले एक-दूसरे की शिकायत सुनाई पड़ती है। संत पापा ने ऐसी बातें करने वालों के जीभों की तुलना चाकू से की जो दूसरों की खाल उधेड़ने की कोशिश करता है। उन्होंने प्रश्न किया कि गपशप द्वारा बिगड़े माहौल में किस तरह विश्वास को हस्तांतरित किया जा सकता है?

 संत पापा ने सच्चे साक्ष्य का अर्थ बतलाते हुए कहा कि इसका अर्थ है दूसरों के बारे कभी बूरी बातें नहीं बोलना बल्कि उदारता के कार्य करना, रोगियों से मुलाकात करना एवं अपने आचरण पर ध्यान देना।

संत पापा ने कहा कि उन्हें दुःख होता है, जब बच्चे ‘क्रूस का चिन्ह’ बनाना नहीं जानते क्योंकि उनकी माता अथवा दादी ने उन्हें नहीं सिखाया है।

संत पापा ने प्रार्थना करने हेतु निमंत्रण देते हुए कहा, हम प्रभु से प्रार्थना करें कि वे हमें साक्षी बनने, शिक्षा देने एवं उन महिलाओं को ज्ञान प्रदान करने की कृपा दे, जो माताएँ हैं ताकि वे विश्वास को हस्तांतरित कर सकें।








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