2018-01-27 14:56:00

संत पापा द्वारा नई चुनौतियों का सामना करने हेतु ईशशास्त्र अकादमी से आग्रह


वाटिकन सिटी, शनिवार 27 जनवरी 2018 ( वीआर,रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 26 जनवरी को वाटिकन के  सामान्य लोकसभा परिषद भवन में ईशशास्त्र अकादमी के करीब 50 सदस्यों को संबोधित कर उनसे आग्रह किया कि वे अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ संपर्क में रहें और ज्ञान के विशाल क्षेत्र में सुसमाचार के अच्छे बीज बोना जारी रखें।

संत पापा क्लेमेंट ग्यारहवें द्वारा परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय अकादमी की स्थापना के 300वीं वर्षगांठ के अवसर पर संत पापा ने अकादमी के सदस्यों को कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इसके साथ ही अपनी पहचान को नए सिरे से जागरूकता और कलीसिया में अपने मिशन को पुन: शुरु करने की इच्छा के साथ आगे बढ़ने का मौका है।

संत पापा ने कहा कि विभिन्न सामाजिक और कलीसियाई संदर्भों द्वारा आने वाली नई चुनौतियों का सामना करने के लिए परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय अकादमी की संरचना और संगठन में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इसे "ऐसे समय में पुरोहितों के धार्मिक प्रशिक्षण के लिए एक उपयुक्त जगह माना गया था जबकि अन्य संस्थाएँ इस उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम नहीं थीं।"

एक बदलते समाज की चुनौतियों के लिए खुला रहना

उन्होंने कहा कि विभिन्न परिवर्तनों के बावजूद इस अकादमी की विशेषता है: कलीसिया की सेवा में लगे रहना, विश्वास को बढ़ावा देना, कलीसिया के शिक्षण का समर्थन करना और संस्कृति की मांगों और चुनौतियों के लिए खुला रहना।

"यह हर नए संदर्भों में सुसमाचार के संचार के लिए विचारों का आदान प्रदान और वार्ता का स्थान है यह हमेशा पीड़ित मानवता की जरूरतों से प्रभावित होती और विश्वास के योगदान को प्रस्तावित करती है।।

अन्य संस्थानों के साथ आदान प्रदान द्वारा संस्कृति को समृद्ध करना

संत पापा ने रोम के अन्य विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ अकादमी के संबंध के बारे में कहा कि वे उनके बीच मौजूद पारस्परिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय अकादमी ने खुद को एक अलग इकाई के रूप में कभी नहीं माना है। परंतु सभी के साथ संबंध बनाये रखता है और उनके साथ आदान प्रदान द्वारा संस्कृति को समृद्ध करता है।








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