2018-01-25 15:53:00

संत पापा ने फिनलैंड की ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता के प्रतिनिधियों से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 25 जनवरी 18 (रेई): ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह जब समाप्त होने को है, हम सुधार के उस संयुक्त स्मरणोत्सव की आनन्द पूर्वक याद करते हैं जिसने लुथेरन एवं काथलिकों के बीच प्रभु येसु ख्रीस्त में हमारे विश्वास को गहरा एवं सुदृढ़ बनाया है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 25 जनवरी को फिनलैंड की ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर कही जो संत एनरिको के पर्व दिवस पर रोम आये थे।

उन्होंने कहा, "यह संयुक्त स्मरणोत्सव ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता के लिए एक फलप्रद अवसर के रूप में है क्योंकि यह न केवल लक्ष्य को रेखांकित करता बल्कि ख्रीस्तीयों के बीच संपूर्ण और दृश्यमान एकता के लिए विश्वव्यापी खोज में आभार, पश्चाताप और आशा के तिगुने चिह्न के तहत एक प्रस्थान बिंदु है जिसमें तीनों अपरिहार्य हैं अगर हम वास्तव में हमारी स्मृति को चंगा करने की इच्छा रखते हैं। यह संयोग नहीं है कि ख्रीस्तीय एकता के सवालों पर हमारे अध्ययन का प्रयास आगे बढ़ रहा है।

संत पापा ने कहा कि हमारे विश्वव्यापी सुधार की संयुक्त स्मरणोत्सव का अनिवार्य पहलू है प्रार्थना एवं हमारी मुलाकात, न कि हमारे बीच बीते तनाव एवं झगड़े। यह हमारी उस समझदारी में संभव हुई है जिसमें हमने तृत्वमय ईश्वर पर हमारे विश्व को नवीकृत किया है।

संत पापा ने आधुनिक समाज में ख्रीस्तीयों के योगदान की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज जब समाज तेजी से सांसारिकता की ओर बढ़ रहा है ख्रीस्तीय एकता में हमारी सेवा जीवन्त ईश्वर का साक्ष्य देना होनी चाहिए। ख्रीस्तीय एकता हेतु सबसे बड़ी चुनौती है ईश्वर के प्रश्न पर केंद्रण को पुनः पुष्ट करना, जिसको हमें किसी अन्य देवता पर नहीं किन्तु उन पर जिन्होंने अपने आपको नाजरेथ के येसु द्वारा प्रकट किया। उन्होंने कहा कि जब काथलिक एवं लुथेरनों ने ईश्वर के केंद्रण के सवाल को स्वीकार कर लिया है यह संभव है कि हम सुधार की ख्रीस्तीय एकता यादगारी में शामिल हों, न केवल एक व्यवहारमूलक भाव में किन्तु क्रूसित एवं पुनर्जीवित ख्रीस्त में गहरे विश्वास के साथ, जिसको हम अभी प्रकट कर सकते हैं। ऐसा करने के द्वारा हम विगत सालों में किये गये सुधार की यादगारी को अपना महान सहयोग दे सकते हैं।

संत पापा ने उनकी तीर्थयात्रा की सार्थकता बतलाते हुए कहा कि यह हमें उन लोगों का स्मरण दिलाता है जो विश्व के विभिन्न हिस्सों में जरूरतों में पड़े हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम पूर्ण उदारता से, एक साथ उनकी मदद हेतु आगे बढ़ें। उन्होंने ख्रीस्त से उस कृपा के लिए प्रार्थना करने हेतु प्रेरित किया ताकि हम विश्व में शांति के माध्यम बन सकें। विभाजित लोगों के बीच एकता लाने तथा उनकी चंगाई एवं प्रेम को बांटने वाले सेवक की तरह उनके नाम की महिमा के साक्षी बन सकें। 








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