2018-01-19 16:07:00

चिली, इकीके में संत पापा ने युखारिस्तीय समारोह का अनुष्ठान किया


इकीके,चिली, शुक्रवार 19 जनवरी 2018 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्तपतिवार 18 जनवरी को इकीके के कामपो लोबिदो विस्तृत खुले मैदान में हजारों की संख्या में चिली और पड़ोसी देशों से आये ख्रीस्तीयों के साथ युखारिस्तीय समारोह का अनुष्ठान किया।

संत पापा ने समारोह के दौरान अपने प्रवचन को आनंद पर केंद्रित करते हुए कहा कि पवित्र सुसमाचार हमें निरंतर आनंदित रहने के लिए निमंत्रण देता है। सुसमाचार में हम पाते हैं कि स्वर्ग दूत ने मरियम को दर्शन देकर कहा, “आनंद मनायें” (लूकस, 1:28), स्वर्ग दूतों ने चरवाहों से कहा, “आनंद मनायें” स्वर्ग दूत ने बुजुर्ग महिला एलिजबेद से कहा, “आनंद मनायें” येसु ने क्रूस पर से अपने दाहिने टंगे पश्चातापी डाकू से कहा, “तुम आज ही परलोक में मेरे साथ होगे।” (सीएफ, लूकस 23:43) येसु ओपने चेलों से कहा, “मैंने तुम लोगों से इसलिए कहा है कि तुम मेरे आनंद के भागी बनो और तुम्हारा आनंद परिपूर्ण हो।” (योहन 15:11). यह आनंद जो संक्रामक है, पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, यह  हमें विरासत में मिली है क्योंकि हम ख्रीस्तीय हैं।

संत पापा ने कहा, “चिली के उत्तरी क्षेत्र के भाईयो बहनों, यह भूमि, दुनिया का सबसे सूखा रेगिस्तान है इस परिस्थिति में भी आप अपने मधुर संगीतों तथा नृत्यों द्वारा अपने विश्वास और आध्यात्मिक जीवन को प्रकट करना जानते हैं। ईश्वर से प्राप्त जीवन और सभी दानों के लिए आप सभी मिलकर जश्न मनाते हैं जो न सिर्फ कलीसिया तक ही सीमित रहता है पर सभी लोगों द्वारा पूरे शहर में मनाया जाता है। आपका राष्ट्रीय त्योहार कभी कभी सप्ताह भर तक रहता है। इस रेगिस्तानी बंजर भूमि में नबी इसायाह के वचन खरे उतरते हैं, “हमें उपर की ओर से आत्मा के वरदान से मरुभूमि फल-उद्यान बन जायेगी और फल उद्यान वन में बदल जायेगा।” (इसायाह, 32:15). 

संत पापा ने कहा आज के सुसमाचार में हम पाते हैं कि काना के विवाह भोज में माता मरियम ने आनंद को कायम रखने के लिए अपना बड़ा योगदान दिया। वह एक स्थान पर बैठकर जश्न का आनंद नहीं लेती पर एक अच्छी माँ की तरह परिवार में हो रहे सभी कार्यकलापों से अवगत होती हैं। इसी दौरान वह देखती है कि उनके पास अंगूरी घट गई है और यह विवाह भोज की खुशी को समाप्त कर सकती है अतः वे अपने बेटे के पास आती हैं और उससे कहती हैं: "उनके पास कोई अंगूरी नहीं रह गई है।" (योहन 2: 3)

संत पापा ने कहा माता मरिया आज हमारे शहर, हमारी गली, हमारे घरों और हमारे अस्पतालों से भी होकर गुजरती हैं। तिराना की कुवारी मरियम, अरिका के चट्टानों की कुंवारी हमारी उन सभी समस्याओं का ध्यान रखती है जो हमारे दिल को बोझिल करते हैं और येसु के कान में फुसफुसाते हुए कहती हैं: देखो, "उनके पास कोई अंगूरी नहीं है"।

मरियम चुपचाप नहीं बैठती हैं, वे सेवकों के पास जाती हैं और कहती हैं, “वे तुमलोगों से जो भी कहें वह करना।”(योहन 2:5).  इस तरह, वो येसु पहला चमत्कार करने के लिए प्रेरित करती हैं और इस चमत्कार में अपने दोस्तों को भी इस चमत्कार का हिस्सा बनाती हैं। क्योंकि येसु इस दुनिया में आये कि वे हमारे साथ मिलकर चमत्कार कर सकें।

संत पापा ने कहा कि यहुदियों के शुद्धिकरण के लिए रखे मटके के जल से चमत्कार की शुरुआत होती है। हम भी अपने लिए नहीं अपितु दूसरों के लिए चमत्कार करने हेतु आमंत्रित किये जाते हैं।

इकीके सपनों का देश है।(आयमारा भाषा में इकीके का अर्थ सपनों का देश) इस धरती ने विभिन्न संस्कृति के लोगों को आश्रय दिया है जिन्हें विभिन्न कारणों से अपना देश छोड़ना पड़ा था। कुछ ने बेहतर जीवन प्राप्त करने की आशा के साथ अपना स्थान छोड़ा परंतु अपने भविष्य के बारे में भय और अनिश्चितता से भी वाकिफ थे। उन्हें इस मरुभूमि में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। इन लोगों को ज़िंदगी की ज़रूरतों की कमी के लिए अपनी देश छोड़ना था, वे पवित्र परिवार की एक छवि हैं, जिसे जीवित रहने के लिए रेगिस्तान को पार करना पड़ा।

इकीके सपनों का देश है। साथ ही यह आतिथ्य का देश भी बन रहा है।          यह देश आनंद के साथ आतिथ्य सत्कार करता है। जैसा कि हम जानते हैं बंद दरवाजों के अंदर की खुशी ख्रीस्तीय आनंद नहीं हो सकती जब दूसरे लोगों के लिए हमारे बीच कोई जगह न हो और वे हमारे बाच रहते हुए भी अवांछित महसूस करते हों। (सीएफ, लूकस 16: 19 -31)

संत पापा ने कहा माता मरियम के समान आइये हम भी हमामरे शहरों गलियों में उन लोगों के पास जाये जो जीवन की तंग हालातों और कठिनाइयों से गुजर रहे हैं। वे दुखी और जीवन से निराश हैं। उनकी गरीबी, उनकी दयनीय परिस्थिति, उनका क्रंदन, एक तरह की प्रार्थना है; जो हमारे दिल खोलता है और हमें उनके प्रति विशेष ध्यान देने के लिए सिखाता है। आइए, हम अन्याय की सभी परिस्थितियों और नए प्रकार के शोषण के प्रति चौकस रहें, जिससे हमारे कई भाई और बहनों को आनंद के अभाव में रहना पड़ता है। उन्हें भाषा न जानने की वजह से या सही दस्तावेज के अभाव में उनका शोषण किया जाता है। माता मरियम के समान आइये हम भी साहस के साथ कहें उनके पास अंगूरी नहीं है।

विवाह भोज के उन सेवकों के समान  हम भी प्रभु की बातें ध्यान से सुनें और अपनी सेवा देने से पीछे न हटें। न्याय के प्रति प्रतिबद्धता में हमारी एकता हमारी नृत्य या गीत का हिस्सा बन सकती है जो हम अपने प्रभु को दे सकते हैं। प्रवासी जो अपने साथ ज्ञान और विश्वास लाते हैं उनसे मुलाकात हमारे लिए उनकी अच्छी बातों और मूल्यों को सीख ने का अवसर बने। आइये हम अपना मटका खुला रखें जिससे कि इस धरती पर आने वाले प्रवासियों के ज्ञान और संस्कृति से हमारा मटका भरता रहे।

संत पापा ने कहा आइये, हम येसु को अपने समुदायों और अपने दिल में अपना चमत्कार पूरा करने दें जिससे कि हम अनुभव कर सकें कि प्रभु हमारे साथ हैं हमने उनके लए अपने दिल में जगह बनाना सीखा है।उसकी उपस्थिति में हम आनंद मनाते हैं। यह आनंद संक्रामक है और इस आनंद के सुसमाचार प्रचार में किसी को भी दरकिनार नहीं करती। हम अपनी मूल संस्कृति, परंपराओं और पैतृक ज्ञान को सही तरीके से समृद्ध बनाने के लिए सभी लोगों के साथ साझा कर सकें। और यही उत्सव है जहाँ पानी अंगूरी में तब्दील हो गया है यह येसु का चमत्कार है।

  इस धरती में विभिन्न नामों से पुकारी जाने वाली माता मरियम येसु के कान में फुसफुसाते हुए कहती रहे: देखो, "उनके पास कोई अंगूरी नहीं है"। हम भी सेवकों के समान माता मरियम की बातों को मानते हुए अपना काम जारी रखें, “वे तुमलोगों से जो भी कहें वह करना।"

 








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